वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

यमन में हिंसा में तेज़ी से मुश्किलें बढ़ीं

यमन में करीब एक करोड़ लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.
OCHA/Giles Clark
यमन में करीब एक करोड़ लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.

यमन में हिंसा में तेज़ी से मुश्किलें बढ़ीं

शान्ति और सुरक्षा

यमन में संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता अधिकारी  लिज़े ग्रान्डे ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि वहां स्थिति "बहुत नाज़ुक" है और पिछले तीन दिनों में दो गवर्नरेट में झड़पों के दौरान 13 लोग मारे गए हैं और कम से कम 70 घायल हुए हैं.

मानवीय सहायता कार्यों की समन्वयक लिज़े ग्रान्डे ने गुरूवार को बताया कि लोग फिर से अपने घरों में फंस गए हैं और भोजन व चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच पाने में असमर्थ हैं.

अदन में कुछ सड़कें ख़ाली हो गई हैं और हवाई अड्डे से आने-जाने वाली उड़ानें अस्थाई तौर पर रोक दी गई हैं.

उन्होने कहा, ”हम मृतकों और घायलों के प्रति शोक व्यक्त करते हैं और लड़ाई में शामिल सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत निर्धारित दायित्वों का सम्मान करने का अनुरोध करते हैं."

ख़राब हालात पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि हिंसा में तेज़ी आने का इससे और बुरा समय नहीं हो सकता.  यमन में मानवीय राहत अभियान गहरी मुसीबत में है क्योंकि गत फरवरी में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में किए गए वादे पूरे नहीं किए गए हैं.

"हम पहले ही टीकाकरण और स्वास्थ्य कार्यक्रमों को बंद करने और यौन व लिंग आधारित हिंसा के शिकार पीड़ितों के लिए सुरक्षा सेवाओं का दायरा घटाने के लिए मजबूर हो गए हैं."

"यदि दानदाताओं ने अपने वादे पूरे नहीं किए तो आने वाले हफ्तों में 22 प्रमुख कार्यक्रम बंद हो जाएंगे.”

यमन को दुनिया के सबसे ख़राब मानवीय संकटों में बताया गया है और मौजूदा समय में 2 करोड़ 41 लाख की कुल आबादी का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा मानवीय सहायता और संरक्षण सेवाओं पर निर्भर है.

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय के अनुसार क़रीब एक करोड़ लोग लोग भुखमरी के कगार पर हैं और 70 लाख से ज़्यादा लोग कुपोषण का शिकार हैं.

यमन में मानवीय राहत योजना के तहत वर्ष 2019 में 2 करोड़ से ज़्यादा लोगों की सहायता के लिए 4.2 अरब डॉलर  की आवश्यकता है. 

इनमें एक करोड़ वो लोग भी शामिल हैं जो हर महीने अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.

फ़िलहाल इस योजना को कुल ज़रूरत का महज़ 34 प्रतिशत धन ही उपलब्ध हो पाया है.

फ़रवरी में मानवीय संकट के लिए एक उच्च-स्तरीय संकल्प सम्मेलन में यमन में तत्काल ज़रूरतों को पूरा करने के लिए दो अरब 60 करोड़ अरब डॉलर की रक़म  का वादा किया गया था लेकिन अभी तक आधे से कम राशि ही प्राप्त हुई है.