इसराइल-यूएई समझौते से निकल सकती है अमन की राह

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत निकोलय म्लैदेनॉफ़ ने कहा है कि इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हाल ही में हुए समझौता में पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र के समीकरण बदलने की क्षमता है. विशेष दूत ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद के साथ अपनी मासिक बैठक में फ़लस्तीनी और इसराइली नेतृत्व से आग्रह किया कि वो अपने लम्बे समय से चले आ रहे संघर्ष को हल करने के लिये फिर से एक दूसरे की तरफ़ सुलह-सफ़ाई का हाथ बढ़ाएँ.
मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये विशेष यूएन संयोजक निकोलय म्लैदेनॉफ़ ने सुरक्षा परिषद में कहा कि महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हुए समझौते का स्वागत किया है जो दोनों देशों के बीच सम्बन्धों को सामान्य बनाता है.
"Without resolving the Israeli-Palestinian conflict, regional peace will not be complete," #UN Special Coordinator @nmladenov tells @UN Security Council. His full remarks: https://t.co/gsLzLJTlbh pic.twitter.com/6Nd1vdbMoB
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साथ ही इसराइल द्वारा क़ब्ज़ा किये हुए फ़लस्तीनी क्षेत्र पश्चिमी तट के कुछ हिस्सों को छीनने की इसराइल की योजनाओं पर भी विराम लगाता है.
उन्होंने कहा, “उम्मीद है कि ये समझौता सभी तरफ़ के नेतृत्व को इसराइली-फ़लस्तीनी संघर्ष का हल निकालने के लिये सार्थक बातचीत में रचनात्मक तरीक़े से शामिल होने के लिये प्रेरित करेगा.”
विशेष दूत ने ये भी कहा कि इसराइल द्वारा पश्चिमी तट में कुछ इलाक़ों को छीनने के अपने इरादों को स्थगित करने की घोषणा से, क्षेत्रीय स्थिरता के लिये तात्कालिक ख़तरा भी फ़िलहाल ख़त्म हो गया है.
ये तो पक्का है कि इसराइल द्वारा फ़लस्तीनी इलाक़ों को छीनने से अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का गम्भीर उल्लंघन होगा, साथ ही इससे एक टिकाऊ फ़लस्तीनी राष्ट्र और दो देशों के रूप में समाधान के लिये बातचीत फिर शुरू करने की सम्भावनाओं का दरवाज़ा भी बन्द होता है.
विशेष दूत ने कहा कि दो राष्ट्रों के रूप में समाधान ही एक मात्र विकल्प है जिसमें इसराइल और फ़लस्तीन पड़ोसी देशों के रूप में साथ-साथ रहें और शान्ति, सुरक्षा व आपसी पहचान को मान्यता दें, केवल इसी समाधान के ज़रिये एक टिकाऊ शान्ति स्थापित की जा सकती है.
ये सही समय है जब शान्ति प्रयास बढ़ाए जाएँ, और मध्य पूर्व में नेताओं के साथ असाधारण सक्रियता से सम्पर्क क़ायम किया जाए, और फ़लस्तीनी व इसराइली नेताओं को रचनात्मक तरीक़े से एक दूसरे के साथ जुड़ने के लिये प्रोत्साहित किया जाए.
निकोलय म्लैदेनॉफ़ ने कहा, “आज फ़लस्तीनी उद्देश्य के लिये मायूसी दिखाने का समय नहीं है, फ़लस्तीनी इलाक़ों को छीनने की इसराइली योजनाएँ फ़िलहाल रोक दी गई हैं.”
अलबत्ता, सकारात्मक माहौल बनाने वाले इस समझौते की ख़बर ऐसे समय आई है जब फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं.
विशेष दूत निकोलय म्लैदेनॉफ़ ने कहा कि अगस्त 2018 में जो युद्धविराम संयुक्त राष्ट्र और मिस्र के प्रयासों से सम्भव हुआ था, उसकी फिर से पुष्टि किया जाना ज़रूरी है, क्योंकि ग़ाज़ा के भीतर चरमपन्थी गतिविधियाँ, रॉकेट हमले और मानवीय सहायता की ज़रूरतें बढ़ रही हैं जिससे मौजूदा व्यवस्थाएँ तेज़ी से कमज़ोर हो रही हैं.
तेज़ी से बिगड़ती अर्थव्यवस्था, एक दशक से भी ज़्यादा हमास का शासन और कोविड-19 के कारण लगी पाबन्दियों से कामगारों के मुक्त आवागमन पर रोक ने स्थिति को और ज़्यादा तकलीफ़देह बना दिया है.
साथ ही इसराइल व फ़लस्तीनी प्राधिकरण के बीच सहयोग की कमी के कारण बुनियादी परियोजनाएँ ठप हो गई हैं, बहुत से लोगों के रोज़गार छिन गए हैं.
विशेष दूत निकोलय म्लैदेनॉफ़ ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि विस्फोटक गुब्बारों की बढ़ती संख्या के बीच इसराइल ने 11 अगस्त को कुछ सामान की आवाजाही पर प्रतिबन्ध लगा दिया और करेम शैलॉम के ज़रिये निर्माण सामग्री को ग़ाज़ा में जाने से भी रोक दिया.
इसराइली अधिकारियों ने 12 अगस्त को ईंधन की आपूर्ति भी अगली सूचना तक रोक दी है, इसमें वो ईंधन भी शामिल है जो दानदाताओं से मिलता है. परिणामस्वरूप ग़ाज़ा बिजलीघर बन्द हो गया है, जिससे ग़ाज़ा के लोगों को दिन भर में केवल तीन घण्टा ही बिजली आपूर्ति होती है.
इस स्थिति के कारण महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा बुरी तरह प्रभावित हो रहा है जिसमें गन्दे पानी की निकासी और पीने का साफ़ पानी मुहैया कराने जैसी सेवाएँ भी शामिल हैं.
इसराइल द्वारा फ़लस्तीनी इलाक़े छीनने की घोषणा के बाद फ़लस्तीनी प्राधिकरण ने इसराइल के साथ सहयोग नहीं करने का जो फ़ैसला किया, संयुक्त राष्ट्र उस गतिरोध के आर्थिक व मानवीय परिणामों के असर को कम करने के लिये गहन प्रयास कर रहा है.
विशेष संयोजक निकोलय म्लैदेनॉफ़ ने कहा कि इसराइल के क़ब्ज़ेवाले पूर्वी येरूशलम सहित पश्चिमी तट में फ़लस्तीनी समुदायों के बीच हिंसक अपराध भी हुए हैं. इनके अलावा फ़लस्तीनी सुरक्षा बलों और आम लोगों के बीच भी कुछ हिंसक घटनाएँ हुई हैं.
इस बीच इसराइली अधिकारियों ने एरिया-सी और पूर्वी येरूशलम में फ़लस्तीनियों के मालिकाना हक़ वाले 72 घर ढहा दिये हैं, जिसके परिणामस्वरूप 89 लोग विस्थापित हो गए हैं.
इनके अतिरिक्त, 11 फ़लस्तीनियों ने अपने घर अतिरिक्त जुर्माने से बचने के प्रयासों के तहत ख़ुद ही ध्वस्त कर दिये हैं.
उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि ये मौजूदा स्थिति की कड़वी सच्चाई है. इसराइली-फ़लस्तीनी संघर्ष को हल किये बिना, क्षेत्रीय शान्ति पूर्ण नहीं होगी.
विशेष दूत निकोलय म्लैदेनॉफ़ ने कहा, “पूर्वी येरूशलम सहित पश्चिमी तट और ग़ाज़ा में रहने वाले लगभग 50 लाख फ़लस्तीनियों की वाजिब राष्ट्रीय आकांक्षाओं को नज़रअन्दाज़ नहीं किया जा सकता.”