बच्चों के समुचित विकास के लिए सही नीतियों की दरकार

बच्चों के जीवन में शुरुआती वर्षों को उनके सही विकास और स्वास्थ्य की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. उन वर्षों की अहमियत को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने पारिवारिक दृष्टि से अनुकूल नीतियों के लिए अनुशंसाओं की एक सूची जारी की है. यूएन एजेंसी का कहना है कि इन नीतियों को अपनाए जाने से अनेक लाभ होंगे.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरिएटा फ़ोर का कहना था, “बच्चों के जीवनकाल में आरंभिक साल सबसे ज़्यादा अहम होते हैं और इसीलिए हमें एक ऐसे कायापलट कर देने वाले बदलाव की ज़रूरत है जिसके बाद व्यावसायिक प्रतिष्ठान और सरकारें उन नीतियों और प्रथाओं में निवेश करें जिससे मस्तिष्क का स्वस्थ विकास होने के साथ-साथ बच्चों और माता-पिता के बीच संबंध मज़बूत बने – इसके व्यापक आर्थिक और सामाजिक लाभ होंगे.”
इसके बावजूद अभिभावकों को वेतन सहित अवकाश दिए जाने, स्तनपान के लिए कुछ देर के लिए छुट्टी दिए और किफ़ायती रूप से बच्चों की देखभाल किए जाने की सुविधा दुनिया भर में अधिकतर अभिभावकों को उपलब्ध नहीं है.
Child care is a once-in-a-lifetime opportunity for curious young minds to learn, play and shape their growing brains. But too many are missing out.We’re calling for universal access to quality and affordable child care for every family. It's about time. #EarlyMomentsMatter pic.twitter.com/TV3rTxTbwm
UNICEF
इसी विषय पर ध्यान केंद्रित करती “फ़ैमिली-फ्रेंडली पॉलिसीज़: री-डिज़ायनिंग द वर्कप्लेस ऑफ़ द फ़्यूचर” नामक रिपोर्ट नए तथ्यों के बारे में बताती है और स्वस्थ विकास, सफलता और ग़रीबी में कमी लाने के लिए अनुशंसाएं भी दी गई हैं.
यूनीसेफ़ के अनुसार निम्न और मध्य आय वाले देशों में वेतन सहित मातृत्व अवकाश में एक महीने की बढ़ोत्तरी किए जाने से शिशु मृत्यु दर में 13 फ़ीसदी की कमी देखी गई है.
उच्च-आय वाले देशों में वेतन सहित अवकाश को एक सप्ताह बढ़ाए जाने से अकेले ही मातृत्व की ज़िम्मेदारी उठाने वाली महिलाओं के ग़रीबी में रहने की आशंका चार फ़ीसदी तक कम होती है.
यूएन एजेंसी के अनुसार वेतन सहितअवकाश छह महीने किए जाने से स्तनपान को बढ़ावा देने में भी मदद मिलती है.
इसके आर्थिक लाभ भी हैं. मसलन कर्मचारियों द्वारा नौकरी छोड़ने की दर कम रहती है, चयन प्रक्रिया और प्रशिक्षण की दर कम होती है और अनुभवी कर्मचारियों को रोके रखने में मदद मिलती है.
ये नीतियां जिन देशों में पिछले कई दशकों से लागू हैं वहां महिलाओं को रोज़गार मिलने से सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को 10 से 20 फ़ीसदी तक बढ़ाने में मदद मिली है.
यूनीसेफ़ ने अपनी अनुशंसा में माता-पिता दोनों को संयुक्त रूप से कम से कम छह महीनों का अवकाश दिए जाने की अनुशंसा की है – महिलाओं को कम से कम 18 सप्ताह दिए जाने की बात कही गई है.
काम करते समय दिन में थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद स्तनपान कराने की अनुमति दिए जाने से कई तरह की बीमारियों को दूर करने और उनकी रोकथाम में मदद मिलती है.
महिलाओं को भी इससे लाभ होता है और उनमें प्रसव के बाद अवसाद की दर कम देखी गई है, शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर हुआ है और स्तन कैंसर के जोखिम का डर भी कम हुआ है.
समुचित ढंग से स्तनपान कराए जाने से सामाजिक स्तर पर लाभ होते हैं और यूनीसेफ़ के अनुमान के अनुसार एक डॉलर ख़र्च किए जाने पर 35 डॉलर का फ़ायदा होता है.
कार्यस्थलों पर स्तनपान कराने की राह में कई बार अवरोधों का सामना करना पड़ता है इसीलिए नई नीतियों में इस स्थिति को दूर करने की अनुशंसा शामिल की गई है.
रिपोर्ट कहती है कि पारिवारिक नज़रिए से अच्छी नीतियों को लागू किए जाने से होने वाले लाभ उनके ख़र्च से कहीं ज़्यादा है.
इससे स्वास्थ्य क्षेत्र में अच्छे नतीजे मिलते हैं, ग़रीबी में कमी आती है, उत्पादकता बढ़ती है और आर्थिक वृद्धि भी सही दिशा में अग्रसर होती है.
वेतन सहित अवकाश समाप्त होने से बच्चों के पहली कक्षा में स्कूल जाने तक क़िफ़ायती और गुणवत्तापरक ढंग से बच्चों के पालन-पोषण को भी अनुशंसाओं की सूची में शामिल किया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार जिन बच्चों का गुणवत्तापूर्ण और सही ढंग से ख़याल रखा जाता है - वे स्वस्थ्य होते हैं, जल्दी सीखते हैं और स्कूल में लंबे समय तक रहते हैं, साथ ही बड़े होने पर उनकी आमदनी भी अच्छी होती है.
एक नए विश्लेषण के मुताबिक दुनिया में हर तीन में से एक घर को बच्चों या परिवार की ज़रूरतों के लिए नक़द भत्ता मिलता है.
योरोप और मध्य एशिया में यह 88 फ़ीसदी है जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यह 28 प्रतिशत और अफ़्रीका में 16 फ़ीसदी है.
यानी अधिकतम ग़रीब देशों में बच्चों का सही विकास सुनिश्चित करने के लिए लोगों को सही मदद नहीं मिल पा रही है.