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नौनिहालों को कुपोषण के गर्त से बचाने की ख़ातिर

ये यमन की राजधानी सना में गंभीर कुपोषण का शिकार एक बच्चा है, ऐसे करोड़ों बच्चों की मदद संयुक्त राष्ट्र सहायता एजेंसियाँ करने में लगी हैं.
WFP/Marco Frattini
ये यमन की राजधानी सना में गंभीर कुपोषण का शिकार एक बच्चा है, ऐसे करोड़ों बच्चों की मदद संयुक्त राष्ट्र सहायता एजेंसियाँ करने में लगी हैं.

नौनिहालों को कुपोषण के गर्त से बचाने की ख़ातिर

स्वास्थ्य

"संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता व्यवस्था के पैरोकारों के रूप में हम सभी ने शून्य में ताकती आँखों को देखा है, आँखें एक ऐसे बच्चे की जिसका शरीर कुपोषण की वजह से हड्डियों ढाँचा भर रह गया है जिसमें जीवन जैसे अंतिम साँसें गिन रहा हो, उसकी धीमी गति से आती-जाती साँसों से ही बस उसके जीवित होने का  पता चलता है." ये शब्द हैं संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता के कार्यों में सक्रिय एजेंसियों के जो दुनिया भर में कुपोषण के शिकार बच्चों का हालत बयान करने के लिए व्यक्त किए हैं.

इन एजेंसियों ने रविवार को जारी एक वक्त्य में कुपोषण के शिकार बच्चों की हालत को कुछ इस तरह बयान किया...

जब किसी बच्चे को मौत के मुँह में जाने से नहीं बचाया जा सकता है तो हम सभी उससे बहुत व्यथित होते हैं.

लेकिन साथ ही हमने ये भी देखा है कि संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी और पार्टनर किस तरह अथक काम करते हैं – कभी कभी तो बहुत ख़तरनाक हालात में – ताकि मौत के कगार पर पहुँच चुके बच्चों की ज़िन्दगी बचाई जा सके, ताकि भूख से बदहाल और कुपोषित किसी बच्चे को ऐसे हालात का फिर से सामना ना करना पड़े.

सीरिया के होरिया में एक कैन में पानी भर कर लाती बच्ची - लाखों करोड़ों बच्चों को पीने का साफ़-पानी भी उपलब्ध नहीं है जिससे उनका विकास प्रभावित होता है
UNICEF/Souleiman
सीरिया के होरिया में एक कैन में पानी भर कर लाती बच्ची - लाखों करोड़ों बच्चों को पीने का साफ़-पानी भी उपलब्ध नहीं है जिससे उनका विकास प्रभावित होता है

संयुक्त राष्ट्र हर वर्ष गंभीर कुपोषण का शिकार लगभग एक करोड़ बच्चों को ऐसी चीज़ें और सेवाएँ मुहैया कराता है जिनकी उन्हें जीवित रहने के लिए ज़रूरत होती है.

इनमें स्वस्थ रहने के लिए भोजन, संक्रमण व बीमारियों से बचाव के लिए इलाज, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता के काम आने वाला सामान व सेवाएँ शामिल हैं. साथ ही पीने का साफ़ पानी और एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए ज़रूरी पोषक ख़ुराक़ भी मुहैया कराए जाते हैं.

कुपोषण की शिकार लगभग 20 लाख गर्भवती महिलाओं और पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं को ख़ुद के साथ-साथ अपनी संतान के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्यवर्धक ख़ुराकें दी जाती हैं.

इनके साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र हर वर्ष ऐसे करोड़ों बच्चों को स्वास्थ्यवर्धक चीज़ें उपलब्ध कराता है ताकि वो कुपोषण का शिकार ना हों. इसके लिए महिलाओं को अपने बच्चों को अपना दूध पिलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और ये भी सुनिश्चित किया जाता है कि उन्हें समुचित मात्रा में हर समय स्वस्थ और पोषक ख़ुराक़ें मिलती रहें.

फिर भी दुनिया भर में कई दशकों तक भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या में कमी आने के बाद अब पिछले कुछ वर्षों में इस संख्या में वृद्धि हुई है.

इस समय दुनिया भर में लगभग 82 करोड़ लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिलता है. इनके अलावा पाँच वर्ष से कम आयु के लगभग 5 करोड़ बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.

लगभग 14 करोड़ 90 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार होने की वजह से शारीरिक व मानसिक रूप से अविकसित हैं.

गर्भ से शुरू होकर

बहुत से बच्चों के लिए कुपोषण तो गर्भ में ही शुरू हो जाता है जब उन्हें जन्म देने वाली महिला ख़ुद भी कुपोषण का शिकार होती है क्योंकि उन्हें भरपेट भोजन व स्वस्थ ख़ुराक़ नहीं मिलती है. फिर भी जो बच्चे इस नाज़ुक गर्भावास्था को पार करके इस दुनिया में आ जाते हैं और शुरू के कुछ महीने संघर्ष करके गुज़ार भी लेते हैं तो भी आगे चलकर उनके कुपोषित होने का बहुत ज़्यादा ख़तरा रहता है.

दक्षिण सूडान में जीने की जद्दो-जहद में एक महिला अपनी संतान के साथ. दुनिया भर में ऐसे करोड़ों महिलाएं व बच्चे हैं जिन्हें सहारे की ज़रूरत है.
FAO/Stefanie Glinski
दक्षिण सूडान में जीने की जद्दो-जहद में एक महिला अपनी संतान के साथ. दुनिया भर में ऐसे करोड़ों महिलाएं व बच्चे हैं जिन्हें सहारे की ज़रूरत है.

ऐसे बच्चों के पांच वर्ष की उम्र होने से पहले ही मौत के मुँह में चले जाने का ख़तरा बरक़रार रहता है क्योंकि कुपोषण के कारण उनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता बहुत कमज़ोर हो जाती है.

ऐसे हालात में जो बच्चे पाँच वर्ष से आगे जीवित बच भी जाते हैं तो उनका शारीरिक और मानसिक विकास बुरी तरह प्रभावित होने का ख़तरा होता है.

बहुत से मामलों में तो उनकी सीखने की क्षमता स्थाई रूप से प्रभावित हो जाती है और उन्हें स्कूली शिक्षा के दौरान कुछ भी सीखने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है. यहाँ तक कि वयस्क होने पर उनकी उत्पादक क्षमता भी बहुत कम होती है.

ऐसे वयस्कों का भी ग़रीबी के हालात में जीवन जीने की बहुत संभावना होती है और अगर ऐसा होता है तो उनकी संतानें भी फिर उसी कुचक्र में फँस जाती हैं कि स्वस्थ ख़ुराक़ व हालात के अभाव में उनकी भी शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होता है.

इसलिए कुपोषण की सभी क़िस्मों को ख़त्म करने के लिए पीढ़ियों को स्थानांतरित होने वाला कुपोषण का ये सिलसिला रोकन बहुत ज़रूरी है. 2030 के टिकाऊ विकास एजेंडा के लक्ष्य भी यही हैं.

संयुक्त राष्ट्र इस चुनौती का सामना करने के लिए एकजुट प्रयासों को संभव बनाने की कोशिश कर रहा है. इसलिए कुपोषण की बढ़ती समस्या और एकजुट प्रयासों की ख़ातिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस तरफ़ आकर्षित करने के लिए खाद्य सुरक्षा और पोषण के बारे में एक ताज़ा रिपोर्ट जारी कर रहा है.

इसमें दुनिया भर में भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या और स्थिति के बारे में ज़्यादा जानकारी दी जाएगी और ख़ासतौर से कुपोषण और बाधित विकास के शिकार बच्चों की स्थिति की तरफ़ भी ध्यान खींचा जाएगा.

दुनिया भर में करोड़ों बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार हैं. अगर ये बच्चे जीवित भी बच जाते हैं तो वयस्क होकर उनका शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होता है.
UNICEF/Tremeau
दुनिया भर में करोड़ों बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार हैं. अगर ये बच्चे जीवित भी बच जाते हैं तो वयस्क होकर उनका शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होता है.

संयुक्त राष्ट्र कुपोषण की चुनौती का सामना करने के तरीक़ों को बेहतर बनाने के लिए मौजूदा अध्ययनों सबक़ सीखने की कोशिश कर रहा है. इन्हीं प्रयासों के तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन 2021 के मध्य तक गंभीर कुपोषण से निपटने के बारे में व्यापक दिशा-निर्देश प्रकाशित करेगा.

इसके साथ ही कुपोषण का सामना कर रहे परिवारों और समुदायों को बेहतर भोजन व ख़ुराक़ें मुहैया कराने प्रबंध करने के उपायों पर भी विचार किया जा रहा है.

इसमें सफलता पाने के लिए संयुक्त राष्ट्र नीतियाँ, कार्यक्रम व रणनीतियाँ बनाने में सदस्य देशों की हर संभव मदद करने के लिए तैयार है. कामयाबी सुनिश्चित करने के लिए समुचित धन की ज़रूरत है जिसके लिए सदस्य देशों की प्रतिबद्धता बहुत ज़रूरी है.

ये बहुत फ़ायदे वाला निवेश है क्योंकि बच्चों को कुपोषण का शिकार होने से बचाने के उपायों में निवेश किए जाने वाले हर एक डॉलर के बदले 16 डॉलर का योगदान मिलेगा क्योंकि व्यस्क होने पर उसके स्वास्थ्य पर कम ख़र्च होगा और उसकी उत्पादकता ज़्यादा होगी.

“करोड़ों बच्चों का भविष्य दाँव पर लगा है, इन बच्चों को बेसहारा नहीं छोड़ा जा सकता.”