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नवजात शिशुओं के लिए स्तनपान है सर्वोत्तम आहार

यूनीसेफ़ भारत में स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं के साथ मिलकर प्रयास कर रहा है.
UNICEF/UNI148848/Vishwanathan
यूनीसेफ़ भारत में स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं के साथ मिलकर प्रयास कर रहा है.

नवजात शिशुओं के लिए स्तनपान है सर्वोत्तम आहार

स्वास्थ्य

शनिवार, 1 अगस्त, को ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ की शुरुआत हुई है जिसके तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने एक साझा अपील जारी करके स्तनपान से होने वाले फ़ायदों और उसके सही तरीक़ों से जुड़ी अहम जानकारी महिलाओं तक पहुंचाने के लिये परामर्श सेवाएँ सुनिश्चित किये जाने की पुकार लगाई है. यूएन एजेंसी के मुताबिक नवजात शिशुओं को जन्म के बाद पहले छह महीनों में सिर्फ़ स्तनपान कराना चाहिये और उसके बाद भी लगभग दो साल तक स्तनपान जारी रखने के प्रयास करने चाहिये.

संयुक्त राष्ट्र स्तनपान से होने वाले फ़ायदों के बारे में लम्बे समय से जागरूकता का प्रसार करता रहा है. स्तनपान से बच्चों और माताओं को स्वास्थ्य, पोषण सम्बन्धी व भावनात्मक लाभ होता है और टिकाऊ खाद्य प्रणाली को प्रोत्साहन देने में भी मदद मिलती है. 

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की प्रमुख हेनरीएटा फ़ोर ने अपने साझा बयान में कहा कि स्तनपान एक स्वाभाविक प्रक्रिया ज़रूर है लेकिन यह आसान नहीं है. इसकी शुरुआत में और बाद में भी माताओं को निरन्तर सहारे की ज़रूरत होती है.

उन्होंने कहा कि कुशल परामर्श सेवाओं के ज़रिये माताओ व परिवारों के लिए सहायता, ज़रूरी जानकारी, सलाह व आश्वासन सुनिश्चित किया जा सकता है ताकि वे अपने बच्चों का लालन-पालन सर्वश्रेष्ठ ढँग से कर सकें. 

“स्तनपान सम्बन्धी परामर्श से माताओं के निजी हालात व चयन का सम्मान करते हुए उनका आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिल सकती है.” 

उन्होंने कहा कि परामर्श सेवाओं से महिलाओं को चुनौतियों पर क़ाबू पाने के लिये सशक्त बनाया जा सकता है और उन आदतों या देखभाल के तरीक़ों से बचा जा सकता है जिनसे स्तनपान के फ़ायदे ना मिल पाते हों, जैसेकि बाज़ार में मिलने वाले और नवजात शिशुओं को दिये जाने वाले ऐसे उत्पादों या भोजन पर निर्भरता जो आमतौर पर माँ के दूध के विकल्प के रूप में दिये जाते हैं. 

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक विश्लेषण दर्शाता है कि स्तनपान की दर बढ़ाने से हर साल आठ लाख से ज़्यादा बच्चों की जान बचाई जा सकती है और 300 अरब डॉलर से ज़्यादा की अतिरिक्त आय हो सकती है. 

विविध प्रकार के स्वास्थ्यकर्मी इस सम्बन्ध में माताओं व परिवारों को विशेषज्ञ जानकारी मुहैया करा सकते हैं और इस कार्य में सामुदायिक कार्यक्रमों की भी मदद ली जा सकती है. 

उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान परिवारों की स्तनपान सम्बन्धी परामर्श सेवाओं की उपलबधता जारी रखने के लिये अभिनव समाधानों की तलाश करना और भी ज़रूरी है.

इन्हीं प्रयासों के तहत कोविड-19 के दौरान यूनीसेफ़ व यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने ‘Global Breastfeeding Collective’ नामक पहल में सुझाए गए नीतिगत उपायों के तहत सरकारों से निम्न क़दम उठाने की अपील जारी की है:  

- सही ढँग से स्तनपान और उससे जुड़ी जानकारी हर महिला तक पहुँचाने के लिये ज़रूरी निवेश 

- माताओं व परिवारों को सलाह-मशविरे के लिये ज़िम्मेदार स्वास्थ्यकर्मियों, दाइयों व नर्सों को प्रशिक्षण 

- नियमित स्वास्थ्य व पोषण सेवाओं में सुलभ स्तनपान परामर्श सेवाओं का समावेशन 

- नागरिक समाज और स्वास्थ्यकर्मी एसोसिएशन के साथ नज़दीकी सहयोग व उपयुक्त परामर्श प्रणाली की स्थापना के लिये साझीदारी पर ज़ोर

- नवजात शिशुओं को भोजन उद्योग के दबाव में ना आने से बचाने के लिये स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा