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कुलभूषण जाधव को मौत की सज़ा पर ‘फिर से विचार करे पाकिस्तान’

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस नीदरलैंड्स के हेग शहर में स्थित है.
Photo/ICJ/Jeroen Bouman
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस नीदरलैंड्स के हेग शहर में स्थित है.

कुलभूषण जाधव को मौत की सज़ा पर ‘फिर से विचार करे पाकिस्तान’

क़ानून और अपराध रोकथाम

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) ने भारत के पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सज़ा पर पुनर्विचार किए जाने का आदेश दिया है. पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव पर जासूसी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप लगाए थे लेकिन भारत ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन किया है.

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि भारतीय नागरिक कुलभूषण सुधीर जाधव को हिरासत में लिए जाने और मुक़दमा चलाए जाने के मामले में पाकिस्तान ने कौंसुलर संबंधों पर विएना संधि के अनुच्छेद 36 के तहत तय किए दायित्वों में अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन किया है.

विएना संधि के तहत देशों के बीच राजनयिक संबंध के नियम तय किए गए हैं.

बुधवार को सुनाए गए फ़ैसले में कोर्ट ने मौत की सज़ा पर लगी रोक को बरक़रार रखने का आदेश दिया है ताकि उन्हें दोषी ठहराए जाने और सज़ा सुनाए जाने की प्रभावी ढंग से समीक्षा हो सके और सज़ा पर पुनर्विचार हो.

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नैदरलैंड्स के हेग शहर में स्थित कोर्ट का कहना है कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने कुलभूषण जाधव को उनके अधिकारों के बारे में नहीं बताया और भारत सरकार को भी उनसे संपर्क नहीं साधने दिया गया.  

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है जिसने कुलभूषण जाधव मामले में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद 17 जुलाई के बाद अपना निर्णय सुनाया.

कोर्ट का फ़ैसला अंतिम और बाध्यकारी है और उसके विरूद्ध अपील नहीं की जा सकती.

सुनवाई के दौरान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान को आदेश दिया था कि मौत की सज़ा को अमल में तब तक ना लाया जाए जब तक अदालत का अंतिम फ़ैसला नहीं आ जाता.

पाकिस्तान के मुताबिक़ कुलभूषण जाधव को बलूसचिस्तान प्रांत में सुरक्षाकर्मियों ने तीन साल पहले गिरफ़्तार किया था.

पाकिस्तान का आरोप है कि बलूचिस्तान प्रांत में भारत अलगाववादियों को भड़का रहा है और कि कुलभूषण जाधव जासूसी और पाकिस्तान विरोधी गतिविधियों में शामिल थे.

कुलभूषण जाधव को गिरफ़्तार किए जाने के कुछ समय बाद एक वीडियो जारी किया गया जिसमें उन्हें ख़ुद स्वीकार करते हुए दिखाया गया कि वह जासूसी गतिविधियों में लिप्त थे.

लेकिन भारत ने इस कथित इकबालनामे पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसे ज़बरदस्ती दबाव डालकर हासिल किया गया था.

भारत ने कुलभूषण जाधव के जासूस होने से इनकार किया है और उन्हें ईरान में अगवा किए जाने का आरोप लगाया जहां बताया गया है कि वह अपना व्यवसाय चला रहे थे.

अप्रैल 2017 में पाकिस्तान में सैन्य अदालत में मौत की सज़ा सुनाए जाने के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में केस दर्ज कराया था.

भारत ने पाकिस्तानी सैन्य अदालत में चली कार्रवाई को हास्यास्पद क़रार देते हुए सज़ा पर रोक लगाने और कुलभूषण को कौंसुलर सुविधा दिए जाने की मांग की की थी.

पाकिस्तान ने दलील दी थी कि कुलभूषण जाधव को इसलिए कौंसुलर सुविधा नहीं दी गई क्योंकि वह एक जासूस हैं और देश में अशांति और अस्थिरता फैलाने के इरादे से उन्होंने ग़ैरक़ानूनी ढंग से पाकिस्तान में प्रवेश किया.