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जी-20: ठोस जलवायु कार्रवाई और आर्थिक सहयोग की अपील

जापान के ओसाका शहर में एकत्र जी-20 देशों के नेता.
G20 Osaka Summit 2019
जापान के ओसाका शहर में एकत्र जी-20 देशों के नेता.

जी-20: ठोस जलवायु कार्रवाई और आर्थिक सहयोग की अपील

जलवायु और पर्यावरण

जापान के ओसाका शहर में ग्रुप-20 (जी-20) समूह के नेताओं की वार्षिक शिखर वार्ता शुक्रवार को शुरू हो गई. जी-20 दुनिया की सबसे बड़ी और तेज़ी से बढती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि यह बैठक बड़े राजनैतिक तनाव के परिदृश्य में हो रही है.

ओसाका में जी-20 शिखर वार्ता को संबोधित करने से पहले उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि “हम वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी देख रहे हैं, लेकिन वैश्विक राजनीति का तापमान भी बढ़ रहा है और इसे व्यापार और तकनीक के मुद्दों पर मतभेदों में देखा जा सकता है, इसे दुनिया के कई हिस्सों में क़ायम स्थिति में देखा जा सकता है, विशेषकर खाड़ी क्षेत्र में.”

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश का इशारा हाल के दिनों में स्ट्रेट ऑफ़ होरमुज़ और ओमान की खाड़ी में तेल टैंकरों पर हुए हमलों के बाद तनाव बढ़ने से था.

व्यापार मुद्दों पर बढ़ते तनाव, क़र्ज़ के ऊंचे स्तर, अस्थिर वित्तीय बाज़ारों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता पनप रही है और आर्थिक वृद्धि के सुस्त पड़ने की आशंका है.

यूएन प्रमुख के अनुसार अंतरराष्ट्रीय समुदाय कई बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है और उनसे निपटने में प्रगति मुश्किल नज़र आ रही है.

संयुक्त राष्ट्र, जी-20 समूह का हिस्सा नहीं है. इस बैठक में शामिल होने का उद्देश्य विश्व के बड़े नेताओं को अपनी चिंताओं से अवगत कराना है.

यूएन महासचिव ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों को अपनी मुख्य प्राथमिकता क़रार दिया है.

योरोप में गर्म हवाएं चलने, अफ़्रीका में सूखा पड़ने, अफ़्रीका और कैरिबियाई देशों में तूफ़ान चलने, ग्लेशियर पिघलने  और बड़ी तीव्रता वाली प्राकृतिक आपदाओं के बार-बार होने से गंभीर मानवीय हालात पैदा हो रहे हैं.

यूएन महासचिव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की गति वैश्विक प्रयासों से कहीं ज़्यादा तेज़ है.

 

“हर तरह के विश्लेषण दर्शाते हैं कि व्यवहारिक तौर पर स्थिति अनुमानों से कहीं अधिक ख़राब है, और राजनीतिक इच्छाशक्ति विफल हो रही है.”

विज्ञान में अपना विश्वास दोहराते हुए उन्होंने ‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाईमेट चेंज’ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए आगाह किया 21वीं सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा बढ़ोत्तरी नहीं होनी चाहिए.

इस लक्ष्य को पाने के लिए 2050 तक ‘कार्बन न्यूट्रैलिटी’ की आवश्यकता है और उसके लिए सरकारों और अर्थव्यवस्था के अन्य हिस्सेदारों को जलवायु कार्रवाई के लिए और अधिक महत्वाकांक्षा प्रदर्शित करनी होगी.

इसी मुद्दे पर सितंबर 2019 में न्यूयॉर्क में जलवायु शिखर वार्ता होनी है जिसके ज़रिए यूएन प्रमुख वैश्विक जलवायु कार्रवाई में तेज़ी लाने का प्रयास कर रहे हैं.

इन प्रयासों के तहत कार्बन पर टैक्स लगाए जाने, जीवाश्म ईंधनों की सब्सिडी समाप्त किए जाने और कोयले से चलने वाले ऊर्जा संयंत्रों पर रोक लगाने के प्रस्ताव हैं.

टिकाऊ विकास लक्ष्यों से जुड़े 2030 एजेंडा पर प्रगति की रफ़्तार को उन्होंने सुस्त बताया है. इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए उन्होंने वित्तीय संसाधनों को जुटाने की अहमियत पर बल दिया है.

“देशों को और अधिक प्रयास करने होंगे, घरेलू संसाधनों का इस्तेमाल कर, प्रशासन तंत्र में बेहतरी लाकर, भ्रष्टाचार में कमी लाकर और क़ानून का राज स्थापित” कर इसे किया जा सकता है.

महासचिव गुटेरेश ने बताया कि जी-20 समूह के देश 80 फ़ीसदी कार्बन उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार हैं. पत्रकारों से बातचीत के दौरान अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव का मुद्दा भी उठा और यूएन प्रमुख ने साझा कार्ययोजना (JCPOA) के लिए अपना समर्थन जताया. यह व्यापक कार्ययोजना तेहरान को परमाणु हथियार विकसित न करने देने पर केंद्रित है.

“मेरा हमेशा विश्वास रहा है और आगे भी रहेगा कि साझा कार्ययोजना एक बेहद अहम ज़रिया है जिससे स्थिरता लाने का प्रयास हुआ था. और उसे बचाए रखना महत्वपूर्ण होगा. खाड़ी क्षेत्र में व्याप्त तनाव में कमी लाना भी आवश्यक है” ताकि एक ऐसे टकराव को रोका जा सके जिसका ख़तरा मोल नहीं लिया जा सकता.

डिजिटल माध्यमों पर निर्भरता बढ़ने के साथ ही अर्थव्यवस्था पर उनका प्रभाव पड़ रहा है. यूएन प्रमुख ने कहा कि बड़ी संख्या में नौकरियां चली जाएंगी और रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे.

उन्होंने कहा कि नई चुनौतियों से निपटने के लिए शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा और नौकरियों के अवसर पैदा करने में निवेश करना होगा ताकि डिजिटल अर्थव्यवस्था और कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस) से पैदा हो रही चुनौतियों से निपटा जा सके.

उन्होंने आशा जताई कि जी-20 देश इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.