डिजिटल अर्थव्यवस्था आमजन को बना सकती है वित्त का नियन्त्रक
डिजिटल अर्थव्यवस्था के जोखिमों और फ़ायदों की गहन जानकारी जुटाने के लिये बनाए गए एक यूएन कार्यदल ने कहा है कि इस अर्थव्यवस्था का टिकाऊ विकास पर परिवर्तनशील प्रभाव हो सकता है, और ये नागरिकों को करदाता व निवेशक दोनों के रूप में सशक्त बना सकती है.
आमजन का धन: एक टिकाऊ भविष्य के वित्तीयकरण के लिये डिजिटल प्रक्रिया का लाभ उठाने के नाम से तैयार की गई ये रिपोर्ट बुधवार यूएन महासचिव की डिजिटल वित्त पर कार्यदल ने बुधवार को जारी की है.
Digital financing is key to getting the #SDGs back on track from the social and economic impact of the COVID-19 pandemic. New #PeoplesMoney report from the @UN Secretary-General's @UNDFTaskForce outlines solutions to #RecoverBetter: https://t.co/SBIQl5qb9E pic.twitter.com/CdJoNNydTl
UNDP
इस टास्क फ़ोर्स यानि कार्यदल का नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के प्रमुख अख़ीम स्टाइनर करते हैं और इसमें प्रोद्योगिकी क्षेत्र, वित्तीय संस्थानों, सरकारों और संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों की हस्तियाँ भी शामिल हैं.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने 2018 में इस कार्यदल का गठन तेज़ी से आगे बढ़ती वित्तीय प्रोद्योगिकी (फ़िनटैक) और डिजिटल वित्तीय क्षेत्रों के लाभ और जोखिम के बारे में जानकारी बेहतर बनाने के लिये किया था.
ये पहल 2030 एजेण्डा के लिये धन जुटाने के वास्ते यूएन प्रमुख की रणनीति का एक हिस्सा है. इस एडेण्डा को इनसानों और पृथ्वी ग्रह के बेहतर भविष्य के लिये संयुक्त राष्ट्र का ब्लूप्रिण्ट माना जाता है.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने 2018 में कहा था कि 2030 एडेण्डा की वित्तीय ज़रूरतें प्रतिवर्ष लगभग 5 खरब से 7 खरब डॉलर के बीच अनुमानित हैं.
आमजन का धन नामक ये रिपोर्ट तैयार करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल प्रोद्योगिकी को अपनाने से इस अनुमानित लागत के लिये धन जुटाने के साधन मिल सकते हैं.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ये रिपोर्ट जारी होने के अवसर पर कहा, “डिजिटल टैक्नॉलॉजी वित्तीय क्षेत्र में असाधारण व अभूतपूर्व बदलाव कर रही हैं और हम सभी के साझा लक्ष्यों को हासिल करने में इसकी बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है.”
“टिकाऊ विकास लक्ष्यों के डिजिटल वित्तीयकरण पर ये कार्यदल डिजिटल क्रान्ति के फ़ायदों के लिये राह दिखा रहा है.”
कोविड-19 की तेज़ी के प्रभाव
कोविड-19 महामारी के दौरान डिजिटल उपकरणों व औज़ारों की लोकप्रियता आसमान छूने की तेज़ी से बढ़ी है और इसमें दुनिया भर में करोड़ों लोगों को राहत पहुँचाने, कारोबारों की सहायता करने, रोज़गार व आजीविकाएँ बचाने के लिये डिजिटल वित्त की क्षमताएँ व सम्भावनाएँ साफ़ नज़र आती हैं.

एख़िम स्टाइनर ने यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में महामारी के प्रभावों में तेज़ी का ख़ाका पेश करते हुए कहा, “हमने जो चीज़ें अगले कुछ वर्षों के दौरान होने की अपेक्षा की थी, वो कुछ सप्ताहों के भीतर हो गई हैं."
"महामारी ने सरकारों को परम्परागत सीमितताओं पर पार पाने और सबसे कमज़ोर हालात वाले लोगों की शिनाख़्त करने और उन तक पहुँच बनाने की महत्ता दिखा दी है.”
उन्होंने डिजिटल धन स्थानान्तरण का उदाहरण देते हुए कहा कि इस चैनल ने पाकिस्तान में करोड़ों लोगों की मदद की है, स्कूलों में ब्रॉडबैण्ड इन्टरनेट कनेक्शन की उपलब्धता, सरकारें और संसदें अब दूर-सम्पर्क स्थापित कर रही हैं और अब ये एक सामान्य घटना बन गई है.
एख़िम स्टाइनर ने कहा कि स्मार्टफ़ोन के व्यापक प्रयोग से अरबों लोगों के हाथों में शक्तिशाली डिजिटल औज़ार हमेशा उपलब्ध हैं. इन डिजिटल औज़ारों के ज़रिये ये अरबों लोग रोज़गार वाला कामकाज कर सकते हैं, सामाजिक सम्बन्ध बनाए रख सकते हैं और वित्तीय कामकाज भी कर सकते हैं.
उन्होंने वित्तीय व्यवस्था में व्यापक बदलाव करने पर ज़ोर देते हुए कहा कि दुनिया भर में खरबों डॉलर की रक़म निवेश की जा रही है, जोकि साधारण लोगों से उपलब्ध होती है.
एख़िम स्टाइनर का कहना था, “इस धन सम्पदा के मालिक आमजन हैं जिसमें उनकी पेंशन और बचत का बड़ा हिस्सा शामिल होता है. ये कार्यदल इस धारणा को फिर से जीवित करने में बहुत रुचिकर है कि अर्थव्यवस्था आम नागरिक पर टिकी हुई है.”

आम नागरिकों को ज़्यादा पारदर्शिता की ज़रूरत है और उनके पेंशन योगदान कहाँ जाते हैं, इस बारे में उनकी राय को और ज़्यादा अहमियत मिलनी चाहिये. और धन निवेश के फ़ायदे मिलने के साथ-साथ सार्वजनिक उद्देश्यों वाले फ़ायदे भी सुनिश्चित होने चाहिये.
डिजिटल वित्त आम नागरिकों को जुड़ने के लिये एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि इसके ज़रिये जलवायु परिवर्तन जैसी प्रमुख चुनौतियों के समाधान निकलने के रास्ते मिल सकते हैं.