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कामकाज के भविष्य के केंद्र में हो 'सभी के लिए सामाजिक न्याय'

जिनिवा में शुरू हुआ 108वां अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन.
ILO/Marcel Crozet
जिनिवा में शुरू हुआ 108वां अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन.

कामकाज के भविष्य के केंद्र में हो 'सभी के लिए सामाजिक न्याय'

एसडीजी

अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए श्रम संगठन (ILO) के महानिदेशक गाए रायडर ने कामकाज के एक ऐसे भविष्य के निर्माण की अपील की है जिसमें सभी के लिए सामाजिक न्याय संभव हो. जिनिवा में सोमवार को शुरू हुए 108वें श्रम सम्मेलन को 'श्रम आंदोलन की विश्व संसद' भी कहा जाता है और इसे यूएन एजेंसी के शताब्दी वर्ष के दौरान आयोजित किया जा रहा है.

 

ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि कामकाज के तरीक़ों में आ रहे बड़े बदलावों के परिप्रेक्ष्य में सामाजिक न्याय पर आधारित एक भविष्योन्मुखी घोषणा को जल्द ही पारित किया जा सकता है. यूएन एजेंसी के महानिदेशक रायडर ने कहा कि इसके ज़रिए दुनिया को बताया जाएगा कि “हमारे पास आत्मविश्वास है, साझा इरादा है, इच्छा है और साधन है” जिनके ज़रिए सामाजिक न्याय को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती रहेगी.

“हम ऐसा करेंगे क्योंकि श्रम कोई वस्तु नहीं है. हम ऐसा करेंगे क्योंकि अन्याय, तक़लीफ़ और अभाव से दुनिया में शांति को ख़तरा पैदा होता है.”

यूएन एजेंसी के महानिदेशक ने बताया कि श्रम संगठन का शताब्दी और यह सम्मेलन वर्ष ऐसे समय में आयोजित किया जा रहा है जब दुनिया में कामकाज के तरीक़ों और उसके भविष्य से जुड़ी एक गहरे बदलाव की प्रक्रिया जारी है. इसे उन्होंने मौजूदा समय की एक निर्धारक चुनौती बताया.

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“इन बदलावों में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे आईएलओ की प्रासंगिकता या अधिकार पत्र पर कोई सवाल उठता हो या उसकी अहमियत से ध्यान हट जाए.”

न्यूयॉर्क में इस साल अप्रैल में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित एक बैठक के दौरान महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इतिहास में सामाजिक प्रगति के लिए संघर्ष में श्रम संगठन की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित किया था.

महानिदेशक गाए रायडर ने बताया कि आने वाले समय में सामाजिक न्याय पर केंद्रित एक घोषणा ज़रूरी है क्योंकि सतत प्रगति के लिए अभिव्यक्ति और आपस में जुड़े रहने की आज़ादी बेहद अहम है.

“हम यह मिलकर करेंगे क्योंकि किसी भी स्थान पर ग़रीबी का होना हर जगह समृद्धि के लिए ख़तरा बन सकता है. और हम इसे करेंगे क्योंकि कामकाज के लिए मानवीय परिस्थितियों के निर्माण में कुछ देशों की विफलता अन्य देशों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं जो ऐसा करना चाहते हैं.”

संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फ़र्नान्डा एस्पिनोसा ने जिनिवा में उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए संगठन के पहले महानिदेशक एल्बर्ट थॉमस को उद्धत किया जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन को शांति और सामाजिक न्याय का स्मारक बताया था.

बहुपक्षवाद में संगठन की प्रासंगिकता को समझाते हुए उन्होंने दोहराया कि टिकाऊ विकास एजेंडे के प्रभावी अमलीकरण के लिए अच्छे और उपयुक्त कार्य को सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है. इसके ज़रिए बाल श्रम, जबरन मज़दूरी और दासता के आधुनिक स्वरूपों जैसी चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सकती है.

अच्छा और उपयुक्त कार्य और लैंगिक समानता वो महत्वपूर्ण सीढ़ियां हैं जिनसे होकर ग़रीबी का उन्मूलन किया जा सकता है और देशों में व्याप्त असमानता को कम किया जा सकता है.

विश्व में दो अरब लोग जीवन यापन के लिए अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर हैं और 78 करोड़ लोग ग़रीबी में जीवन जी रहे हैं. श्रम संगठन के आंकड़ों के मुताबिक़, 2016 में दुनिया में 2.49 करोड़ लोग जबरन मज़दूरी के लिए विवश थे.

इनमें से 1.6 करोड़ लोगों का शोषण निजी क्षेत्र – घरेलू काम, निर्माण और कृषि - में हो रहा था. यूएन एजेंसी का मानना है कि अधिकांश मामलों में महिलाओं और लड़कियों से जबरन मज़दूरी कराई जाती है.