
थाईलैण्ड: टिकाऊपन की दिशा में बढ़त: ब्लॉग
थाईलैण्ड में ग़रीबी घटाने और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा निर्धारित टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने में निजी क्षेत्र की एक प्रमुख भूमिका है. थाईलैण्ड में संयुक्त राष्ट्र की प्रतिनिधि (रैज़िडैण्ट कोऑर्डिनेटर) गीता सभरवाल और यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट नैटवर्क के प्रमुख सूपाचाई चेयारावनोन्त, इस ब्लॉग में बता रहे हैं कि कोविड-19 महामारी की वैश्विक चुनौती के बावजूद इन लक्ष्यों की दिशा में प्रगति किस तरह हो रही है.
कोविड-19 महामारी के बावजूद दुनिया में अन्य स्थानों की तरह थाईलैण्ड में ग़रीबी और असमानता को दूर करने, टिकाऊपन को प्रोत्साहन देने और बेहतर दुनिया के निर्माण में निजी सैक्टर की अहम भूमिका है.
संयुक्त राष्ट्र और थाईलैण्ड में व्यवसायों के ग्लोबल कॉम्पैक्ट नैटवर्क के सदस्य, महामारी के गुज़र जाने के बाद के दौर के लिये टिकाऊ विश्व की दिशा में व्यावहारिक समाधानों पर काम कर रहे हैं.
उदाहरण के तौर पर, एक कम्पनी प्लास्टिक कपों के बजाय ताड़ के पेड़ (Palm trees) से ‘जैविक कप’ (Bio cup) बना रही है. एक अन्य कम्पनी राजधानी बैंकॉक के एक इलाक़े में बिजली चालित मोटरसाइकिल टैक्सी का प्रयोग कर रही है जबकि एक अन्य कम्पनी का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 500 अरब बोतलें री-सायकिल करना है.
कुछ कम्पनियाँ सरकार और अन्य संगठनों के साथ मिलकर पर्यावरणीय क़ानूनों पर काम कर कर रही हैं जबकि अन्य कम्पनियाँ स्कूलों में सूचना प्रोद्योगिकी (आईटी) शिक्षा के लिये निवेश कर रही हैं ताकि थाईलैण्ड में अगली पीढ़ी को कोडिंग और आर्टिफ़िशियल इंटैलीजेंस की बुनियादी शिक्षा में कुशल बनाया जा सके.
न्यायोचित भविष्य के लिये मज़बूत साझीदारी
इन प्रयासों का लक्ष्य वर्ष 2030 के टिकाऊ विकास एजेण्डा के तहत टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करना है.

ये 17 लक्ष्य वैश्विक विकास का एक ऐसा ब्लूप्रिण्ट है जिसके ज़रिये ग़रीबी उन्मूलन, सर्वजन की स्वास्थ्य देखभाल, न्यायसंगत विश्व के निर्माण और पृथ्वी की जैवविविधता व प्राकृतिक पर्यावरण को संजो कर रखने के प्रयास किये जा रहे हैं.
इन सभी लक्ष्यों को 2030 तक की समयसीमा में हासिल करने के लिये सभी पक्षकारों में मज़बूत साझीदारियों और असाधारण नवाचारी समाधानों की दरकार होगी.
एसडीजी की दिशा में हुई प्रगति ही थाईलैण्ड सहित दुनिया के अन्य देशों में लोगों व समुदाय का कल्याण निर्धारित करेगी.
लेकिन हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के नतीजे दर्शाते हैं कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों के प्रति जागरूकता का स्तर अपेक्षाकृत कम है, विशेष रूप से युवाओं में जोकि टिकाऊ विकास के भविष्य के लिये बेहद अहम हैं.
यह स्पष्ट है कि एसडीजी लक्ष्यों के प्रति यह जागरूकता बढ़ाना ज़रूरी है कि ये लक्ष्य मूल रूप से लोगों व समुदायों की बेहतरी के लिये हैं और केवल कोरी कल्पना नहीं हैं.
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि थाईलैण्ड में टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये यह ज़रूरी है कि हर व्यक्ति के पास गुज़र-बसर करने के लिये प्रतिदिन 50 भाट (1.60 डॉलर) की रक़म हो.
इस मानक पर खरा उतरने के लिये साझीदारियाँ महत्वपूर्ण हैं. संयुक्त राष्ट्र का कामकाज सरकारों के साथ व सरकारों के बीच, निजी क्षेत्र, ग़ैरसरकारी संगठनों, नागरिक समाज और युवाओं सहित आम जनता के साथ साझीदारियों पर निर्भर करता है.

इन सहबन्धनों को समावेशिता व समानता के सिद्धान्तों पर आधारित होना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पीछे ना छूटने पाए.
आपस में गुथे हैं समाज
कोविड-19 महामारी ने दिखाया है कि समाज आपस में किस तरह गुथे और जुड़े हुए हैं और कि हम सभी का कल्याण एक दूसरे पर निर्भर है.
हमें एक ऐसी पुनर्बहाली के लिये संकल्प लेना होगा जिसमे सभी लोगों का समावेश हो और टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिये प्रगति को बहाल करना होगा.
थाईलैण्ड में संयुक्त राष्ट्र नज़दीकी तौर पर ग्लोबल कॉम्पैक्ट नैटवर्क के साथ मिलकर प्रयास कर रहा है. यह नैटवर्क देश भर से लगभग 60 व्यावसायी नेताओं को एक साथ लाता है जिनमें वे कम्पनियाँ भी शामिल हैं जोकि थाईलैण्ड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं.
इस नैटवर्क के सदस्यों ने पहले ही उन परियोजनाओं में 1.2 ट्रिलियन भाट (38 अरब डॉलर) के निवेश का संकल्प लिया है जिनसे टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की योजनाओं को ज़मीन पर उतारा जा सके.
इन परियोजनाओं का लोगों के जीवन पर सकारात्मक और महसूस किया जाने वाला असर होगा लेकिन अभी और प्रयास करने बाक़ी हैं.
सभी प्रकार की कम्पनियों में व्यावसायी नेता अपने बोर्ड रूम, कार्यालयों, फ़ैक्ट्रियों और अन्य समुदायों में बदलाव लाने में मदद कर सकते हैं.
थाईलैण्ड और यहाँ के नागरिकों के लिये टिकाऊ विकास लक्ष्यों की अहमियत के बारे में जागरूकता प्रसार के हमारे प्रयासों के दौरान, अग्रणी हस्तियों को बेहतर समझ होनी ज़रूरी है कि इन लक्ष्यों को किस तरह लागू किया जाए और रास्ते में आने वाली रुकावटों से किस तरह निपटा जाए.
सामाजिक दायित्व की पूर्ति
थाईलैण्ड में निजी क्षेत्र के अनेक लोग टिकाऊ विकास के मार्ग में आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिये इच्छुक हैं.

वे समझते हैं कि टिकाऊपन पर केन्द्रित प्रयास कम्पनियों के लिये भविष्य में समृद्धि का रास्ता खोल सकते हैं, साथ ही इससे कोविड-19 जैसी महामारियों के बड़े झटकों से निपटने के लिये सहनक्षमता बढ़ाई जा सकती है.
वो भावी पीढ़ियों, बच्चों और नाती-पोतों के लिये अपने साझा सामाजिक दायित्वों को भी समझते हैं.
निजी क्षेत्र में बड़े व्यवसाइयों के लिये अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिये ज़रूरी है कि वे ना सिर्फ़ अपने उद्यमों को आगे बढ़ाएँ बल्कि पूरे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में भी मदद करें.
ऐसा करते समय टिकाऊपन और समानता, दोनों बातों का ध्यान रखा जाना होगा.
दूसरे शब्दों में, हमें और ज़्यादा बदलाव लाने वाले वाहकों (Change agents) की ज़रूरत है जो वैश्विक और स्थानीय चुनौतियों के प्रति जागरूक हों.
दृढ़ निश्चय और साझीदारियों के साथ इन बदलाव के वाहकों में जागरूकता के प्रसार से उस सहनक्षमता में योगदान दिया जा सकता है जिसकी हमें इस महामारी से उपजी चुनौतियों से निपटने में ज़रूरत है. इसके समानान्तर, टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में भी प्रगति जारी रखी जानी होगी.
विविध प्रकार के संकट
लेकिन हम इस तथ्य को दरकिनार नहीं कर सकते कि यह महामारी उन अन्य संकटों के सन्दर्भ में फैल रही है जोकि हमारे क्षेत्र व मानवता को एक साथ प्रभावित कर रहे हैं:
सामाजिक विषमता व भेदभाव, जलवायु परिवर्तन व पर्यावरणीय क्षरण और अन्य इलाक़ों में हिंसक संघर्ष व मानवीय आपात हालात.

थाईलैण्ड में संयुक्त राष्ट्र की टीम इन विविध चुनौतियों से निपटने के लिये तीन मुख्य स्तम्भों पर आधारित जवाबी कार्रवाई को आगे बढ़ा रही है:
- टिकाऊ विकास एजेण्डा को बढ़ावा देने और उसे लागू करने के लिये साझा दायित्व के साथ मज़बूत साझेदारियाँ, और महामारी के सन्दर्भ में एक हरित और ज़्यादा न्यायसंगत नई परिस्थितियों (New normal) के लिये बेहतर पुनर्बहाली
- टैक्नॉलॉजी के साथ-साथ व्यावसायिक ढाँचों और रोज़गारों में नवाचार, जिसमें कामगारों के कौशल को बढ़ाना और उन्हें नए सिरे से विकसित किया जाए
- समावेशन, यह सुनिश्चित करने का प्रयास कि देश जब आगे बढ़े तो कोई भी पीछे ना छूट जाए
इस जवाबी कार्रवाई को वैश्विक व क्षेत्रीय होना होगा, लेकिन साथ ही राष्ट्रीय व सामुदायिक स्तर पर लागू किया जाना होगा.
इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र की 75वीं और ग्लोबल कॉम्पैक्ट की 20वीं वर्षगाँठ है. यह हम सभी के लिये एक साथ आने का असाधारण अवसर है – आपस में एकजुट होने और थाईलैण्ड व यहाँ की जनता को टिकाऊ विकास लक्ष्यों को वास्तविक बनाने के मार्ग पर ले जाने के लिये.
रैज़िडैण्ट कोऑर्डिनेटर (आरसी) संयुक्त राष्ट्र विकास प्रणाली में देशीय स्तर पर यूएन के वरिष्ठतम प्रतिनिधि होते हैं.
यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट सर्वजन के लिये टिकाऊ भविष्य के लक्ष्य को पाने में निजी सैक्टर की भागीदारी सुनिश्चित करता है.