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बेहतर दुनिया के लिए 'समावेशी और सुरक्षित' हो डिजिटल तकनीक

डिजिटल सहयोग पर उच्चस्तरीय पैनल के सहअध्यक्ष जैक मा और मलिंडा गेट्स, यूएन महासचिव के साथ.
UN Photo/Mark Garten
डिजिटल सहयोग पर उच्चस्तरीय पैनल के सहअध्यक्ष जैक मा और मलिंडा गेट्स, यूएन महासचिव के साथ.

बेहतर दुनिया के लिए 'समावेशी और सुरक्षित' हो डिजिटल तकनीक

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय पैनल की रिपोर्ट में डिजिटल सहनिर्भरता कायम करने और भविष्य में डिजिटल तकनीकों को सुरक्षित और समावेशी बनाने की अहमियत पर ज़ोर दिया गया है. यूएन पैनल की सहअध्यक्षता गेट्स फ़ाउन्डेशन की मलिंडा गेट्स और अलीबाबा कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन जैक मा ने की और  'द ऐज ऑफ़ डिजिटल इंटरडिपेन्डेन्स’ रिपोर्ट को सोमवार को जारी किया गया. 

डिजिटल तकनीकों ने जिस अभूतपूर्व गति से रोज़मर्रा के जीवन को व्यापक पैमाने पर बदल डाला है, उसके अनुरूप साइबर प्रणाली की निगरानी और देखरेख के लिए ढांचा तैयार नहीं हो पाया है. साइबर शासन प्रणालियों को विकसित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को आवश्यक माना गया है और यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इसी दृष्टि से एक साल पहले इस पहले इस पैनल का गठन किया था. 

रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे डिजिटल तकनीक के सहारे यूएन के टिकाऊ विकास एजेंडा को हासिल किया जा सकता है, डिजिटल तकनीक मानवाधिकारों और सुरक्षा से कैसे जुड़ी हैं और समाज के विभिन्न पक्षों में डिजिटल सहयोग को संभव बनाया जा सकता है.

एक ऐसे समय में जब दुनिया में आधी आबादी के पास इंटरनेट तक पहुंच नहीं है, पैनल ने 2030 तक किफ़ायती रूप से इसे सभी तक पहुंचाने की अपील की है. साथ ही डिजिटल तकनीकों के सहारे स्वास्थ्य और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित  करने का अनुरोध किया गया है.

डिजिटल तकनीकों से मानव कल्याण और सशक्तिकरण में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं लेकिन उनसे नई चुनौतियां भी पैदा हुई हैं. टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इन तकनीकों ने अभिनव समाधानों का रास्ता खोला है लेकिन नफ़रत के तेज़ी से फैलने और ऑनलाइन दुर्व्यवहार जैसी समस्याएं भी खड़ी की हैं.

अंतरराष्ट्रीय सीमाओं और अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों से परे जाकर डिजिटल माध्यमों ने जीवन के हर पहलु पर प्रभाव डाला है और कोई सरकार, कंपनी, अंतरराष्ट्रीय और नागरिक संगठन इन तकनीकों के बिना कामकाज की कल्पना नहीं कर सकते.

रिपोर्ट का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय पटल पर डिजिटल सहयोग को बढ़ाना, डिजिटल तकनीकों के ज़रिए सकारात्मक बदलावों को प्रोत्साहित करना है जबकि जोखिमों को कम करना है.  

दुनिया में आधी आबादी के पास इंटरनेट तक पहुंच नहीं.
ITU
दुनिया में आधी आबादी के पास इंटरनेट तक पहुंच नहीं.

रिपोर्ट के अनुसार कृत्रिम बुद्धिमता और स्वायत्त प्रणाली (ऑटोनोमस सिस्टम्स) वाली तकनीकों का इस्तेमाल इस तरह से होना चाहिए जिससे उनके निर्णयों को समझा जा सके और उनके इस्तेमाल में जवाबदेही मनुष्यों की ही हो.

इसके लिए आचार संबंधी मानक तैयार करने की सलाह दी गई है. साथ ही आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस एआई प्रणालियों को बेहद समझबूझकर इस्तेमाल किया जाना होगा, ख़ासकर तब जब उनके द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों से लोगों के सामाजिक और आर्थिक अवसर अधिकार प्रभावित होते हों.

रिपोर्ट में देशों, कंपनियों और नागरिक समाज से अनुरोध किया गया है कि साइबर सुरक्षा के लिए पारस्परिक सहयोग की आवश्यकता होगी.

डिजिटल और भौतिक दुनिया के बीच ख़त्म होती दूरियों का ध्यान रखते हुए साइबर जगत में बड़े स्तर पर विश्वास और स्थिरता की ज़रूरत है और ज़िम्मेदारी भरे व्यवहार को सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों से जोखिम कम करने और विश्वास बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

नए मानकों और साइबर शासन प्रणाली के लिए नीतिगत सलाह और क्षमता निर्माण में संयुक्त राष्ट्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. यह विशेषकर छोटे और विकासशील देशों के लिए यह मददगार होगा जिनके पास जटिल नीति निर्माण प्रक्रिया के लिए संस्थागत ढांचा उपलब्ध नहीं है.

'द ऐज ऑफ़ डिजिटल इंटरडिपेन्डेन्स’ रिपोर्ट में पांच अनुशंसाओं को पेश किया गया है:

  • समावेशी डिजिटल अर्थव्यवस्था और समाज का निर्माण
  • मानवीय और संस्थागत क्षमताओं का निर्माण
  • मानवाधिकारों और मानवीय विवेक की रक्षा
  • डिजिटल माध्यमों पर विश्वास, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा
  • वैश्विक डिजिटल सहयोग को प्रोत्साहन

इस रिपोर्ट के लिए गेट्स फ़ाउन्डेशन की मलिंडा गेट्स और अलीबाबा कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन की सहअध्यक्षता में एक 20-सदस्यीय पैनल का गठन किया गया था. पैनल सदस्यों ने सरकारी और निजी क्षेत्र, शिक्षा और तकनीक जगत, नागरिक और अंतरराष्ट्रीय संगठन के नुमाइंदों के सुझावों को सुनने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है.