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नफ़रत फैलाने वाले धार्मिक और राजनीतिक नेताओं के विरोध की अपील

काहिरा की ऐतिहासिक अल-अज़हर मस्जिद का दौरा करने के बाद शांति और भाईचारे का संदेश देते यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश.
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काहिरा की ऐतिहासिक अल-अज़हर मस्जिद का दौरा करने के बाद शांति और भाईचारे का संदेश देते यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश.

नफ़रत फैलाने वाले धार्मिक और राजनीतिक नेताओं के विरोध की अपील

मानवाधिकार

मिस्र में काहिरा की ऐतिहासिक अल-अज़हर मस्जिद का दौरा करने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने दुनिया भर के समाजों, धर्मों और संस्कृतियों से एक साथ आने की अपील की है. उन्होंने कहा कि सभी समुदायों को सामूहिक हितों के लिए मिल कर काम करना चाहिए और नफ़रत फैला रहे नेताओं को अस्वीकार कर देना चाहिए. 

निरंतर बढ़ रही मुस्लिम-विरोधी, यहूदी-विरोधी, नस्लवादी और विदेशियों के प्रति डर और नफ़रत की भावनाओं पर यूएन महासचिव ने चिंता जताई. "यह अतिआवश्यक है कि हम उन धार्मिक और राजनीतिक नेताओं का विरोध कर उन्हें ख़ारिज करें जो निजी लाभ के लिए भिन्नताओं का दोहन करते हैं."

उन्होंने कहा कि यह पूछा जाना चाहिए कि इतनी बड़ी संख्या में लोग ख़ुद को अलग-थलग क्यों महसूस करते हैं और फिर एक दूसरे के प्रति चरम असहिष्णुता फैलाने वाले संदेशों से क्यों बहक जाते हैं. 

काहिरा में इस्लामी विद्वता के केंद्र के रूप में पहचानी जाने वाली और एक हज़ार साल पुरानी मस्जिद में यूएन प्रमुख श्रृद्धा भाव के साथ पहुंचे. उन्होंने कहा कि क्राइस्टचर्च में पिछले महीने दो मस्जिदों में वर्चस्ववादी विचारधारा से प्रेरित गोलीबारी की घटना में लोगों के मारे जाने के बाद वह श्रृद्धालुओं के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करना चाहते हैं. 

"अच्छे और दुष्टतापूर्ण कर्म एक समान नहीं है. दुष्टता को बेहतर कर्मों से दूर भगाओ, और फिर आप देखेंगे कि एक समय जो आपका शत्रु था वह सबसे परम मित्र बन गया है."

दुनिया में बढ़ती असहिष्णुता पर दुख प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में अमेरिका के पिट्सबर्ग में भी एक बंदूकधारी ने यहूदी उपासना स्थल में एकत्र यहूदी श्रृद्धालुओं पर ऐसा ही हमला किया था.

लोकतांत्रिक मूल्यों को ख़तरा

उन्होंने ध्यान दिलाया कि क्राइस्टचर्च की घटना के तुरंत बाद दूसरे धर्मों को मानने वाले लोगों ने पीड़ितों के समर्थन में आवाज़ उठाई और उन्हें सहारा दिया.

"यही भावना है जो इस्लाम में गहराई से निहित है - प्रेम, करुणा, क्षमा, दया और शिष्टता का भाव." 

समाज की मुख्यधारा में नफ़रत भरे भाषणों को जगह मिलने और फिर सोशल और पारंपरिक मीडिया के ज़रिए उनके जंगल में आग की तरह फैल जाने से उदार लोकतंत्रों और सत्तावादी देशों, दोनों पर बुरा असर पड़ रहा है. 

काहिरा में अल-अज़हर मस्जिद के शाही इमाम डॉ अहमद अल तैयब के साथ यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश.
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काहिरा में अल-अज़हर मस्जिद के शाही इमाम डॉ अहमद अल तैयब के साथ यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश.

 

"ये काली ताक़तें लोकतांत्रिक मूल्यों, सामाजिक स्थिरता और शांति के लिए बड़ा ख़तरा हैं. ये महिलाओं, अल्पसंख्यकों, प्रवासियों और शरणार्थियों को कलंकित करने का प्रयास करती हैं."

इस चुनौती से निपटने में उन्होंने धार्मिक नेताओं की अहम भूमिका का उल्लेख करते हुए बताया कि अल-अज़हर मस्जिद के शाही इमाम, शेख़ अहमद अल तैयब, और पोप फ़्रांसिस इस साल फ़रवरी में एक साथ आए थे. 

"मेरे पास शाही इमाम और पोप फ्रांसिस द्वारा अनुमोदित साझा संदेश है जो पारस्परिक सम्मान, सहिष्णुता, करुणा और शांति का एक बेहतरीन साक्ष्य है जिसे दुनिया के दो प्रमुख धार्मिक नेताओं ने दिया है."

मुस्लिमों ने चुकाई आतंकवाद की बड़ी क़ीमत

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि चंद अपराधियों द्वारा किए गए आतंकी हमलों से मुस्लिम समुदाय को नुक़सान पहुंचा है. "जैसा कि शाही इमाम ने कहा, मुठ्ठी भर अपराधियों के कारनामों की मुस्लिम समुदाय को बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी है." उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सभी धर्म इस बात पर सहमत है कि ईश्वर किसी को मारने की अनुमति नहीं देता. 

उन्होंने मध्य पूर्व में रह रहे ईसाईयों की सुरक्षा के मुद्दे को भी उठाया और याद दिलाया कि शाही इमाम ने मुस्लिमों से ईसाईयों की रक्षा करने की अपील की है. ग़ौरतलब है कि मध्य पूर्व में इस्लामिक स्टेट जैसे कट्टरवादी गुटों के हाथों ईसाईयों को अत्याचार सहने पड़े हैं. 

"अल-अज़हर की ओर से हुई पहल की मैं प्रशंसा करता हूं जिससे इस्लाम के वास्तविक चेहरे को बढ़ावा देने और हिंसक चरमपंथी विचारधाराओं और आतंकी प्रोपेगेंडा का मुक़ाबला करने में मदद मिलेगी. आतंकवाद को किसी भी रूप में सही नहीं ठहराया जा सकता और जब धर्म भी इसमें शामिल हो तो यह ख़ासतौर पर वीभत्स हो जाता है."