मानवता के 'सर्वनाश का सबब' हैं परमाणु हथियार
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने परमाणु हथियारों को मानवता के लिए एक ऐसा ख़तरा बताया है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने आगाह किया है कि परमाणु हथियारों के अंत के साथ ही ये ख़तरा समाप्त किया जा सकता है. इसे संभव बनाने के लिए परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की रोकथाम के लिए संवाद को बढ़ावा देने और परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए व्यवहारिक क़दमों पर ज़ोर दिया गया है.
26 सितंबर को ‘परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन का अंतरराष्ट्रीय दिवस’ मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 2013 में ये दिवस मनाने की घोषणा की थी जिसके ज़रिए परमाणु हथियारों के ख़तरे के प्रति नागरिक जागरूकता का प्रसार होता है और परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में एकजुट प्रयास किए जाते हैं.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए परमाणु हथियारों को पृथ्वी के अस्तित्व के लिए ख़तरा बताया हैं जिनका इस्तेमाल मानवीय विनाश का कारण बन सकता है.
उन्होंने चिंता जताई कि परमाणु हथियारों के ख़तरों को कम करने की दिशा में प्रगति रुक गई है और अब यह उल्टी दिशा में जा रही है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि परमाणु शक्ति संपन्न देशों में रिश्ते अविश्वास से घिरे हैं, हथियारों की होड़ और उनके इस्तेमाल पर ख़तरनाक बयानबाज़ी बढ़ रही है.
“हथियारों पर नियंत्रण रखने के लिए जिस तंत्र को मेहनत से बनाया गया था वो बिखर रहा है, निरस्त्रीकरण की गति और स्तर पर विभाजन बढ़ रहा है. मुझे चिंता है कि हम फिर वही बुरी आदतें अपना रहे हैं जिनसे विश्व परमाणु सर्वनाश के ख़तरों का बंधक बन गया था.”
ऐतिहासिक ‘इन्टरमीडिएट न्यूक्लियर फ़ोर्सेज़ ट्रीटी’ की अवधि अगस्त महीने में समाप्त हो गई जिससे अब तक विश्व को परमाणु युद्ध से मुक्त रखना संभव हो पाया था.
यूएन प्रमुख ने अमेरिका और रूस से ‘न्यू स्टार्ट’ समझौते का विस्तार करने का आग्रह किया है ताकि स्थिरता सुनिश्चित हो और भविष्य में हथियारों पर नियंत्रण के प्रयासों पर बातचीत के लिए समय मिल सके.
अपने संबोधन में उन्होंने सदस्य देशों से वर्ष 2020 में परमाणु अप्रसार संधि की सफलतापूर्वक समीक्षा के लिए साथ मिलकर काम करने की अपील की.
परमाणु अप्रसार संधि को परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार तंत्र का एक अहम अंग माना जाता है.
परमाणु हथियारों पर पाबंदी की संधि इन हथियारों के इस्तेमाल की आशंका पर विश्व में व्याप्त चिंता को दर्शाती है, और व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) लंबे समय से चल रहे प्रयासों का हिस्सा बनी हुई है.