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संवाद, सहिष्णुता और शांति का शक्तिशाली माध्यम है रेडियो

विश्व रेडियो दिवस पर रोज़मर्रा के जीवन में रेडियो की भूमिका को रेखांकित किया जाता है.
UNESCO
विश्व रेडियो दिवस पर रोज़मर्रा के जीवन में रेडियो की भूमिका को रेखांकित किया जाता है.

संवाद, सहिष्णुता और शांति का शक्तिशाली माध्यम है रेडियो

यूएन मामले

विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपने संदेश में कहा है कि रेडियो एक ऐसा शक्तिशाली माध्यम है जिसने संवाद, सहिष्णुता और शांति फैलाने के काम को जारी रखने में सहायता की है. 

"डिजिटल संचार की इस दुनिया में आज भी किसी अन्य माध्यम की तुलना में रेडियो की पहुंच ज़्यादा लोगों तक है. यह अति-आवश्यक सूचना प्रदान करता है और महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति जागरूकता पैदा करता है." 

यूएन महासचिव ने कहा कि रेडियो एक निजी, संवादात्मक मंच है जहां लोग अपने विचार, चिंताएं और कष्ट प्रकट कर सकते हैं. "रेडियो एक समुदाय का निर्माण कर सकता है." 

संयुक्त राष्ट्र रेडियो की शुरुआत 13 फ़रवरी 1946 को हुई थी. संचार का एक किफ़ायती और शक्तिशाली माध्यम होने की पहचान के रूप में 2013 से रेडियो दिवस मनाया जाता है. 

गुटेरेश ने कहा कि "संयुक्त राष्ट्र के लिए, विशेषकर शांतिरक्षा अभियानों के लिए, युद्ध से पीड़ित लोगों को जानकारी देने, उन्हें फिर से मिलाने और सशक्त बनाने का रेडियो एक महत्वपूर्ण ज़रिया है."

हाल के सालों में इंटरनेट का उभार हुआ है. इसके बावजूद, दुनिया के कई हिस्सों, ख़ासकर इंटरनेट के बग़ैर दूरदराज़ के इलाक़ों में रहने वाले समुदायों के लिए ट्रांसमिटर के ज़रिए होने वाला रेडियो प्रसारण एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा का काम करता है. स्थानीय श्रोताओं के समुदाय का हिस्सा बनना सार्वजनिक विमर्श के लिए भी मंच उपलब्ध कराता है.

साथ ही, आपात हालात में सूचना पहुंचाने और राहत कार्य में भी यह अहम भूमिका निभाता है. "इस विश्व रेडियो दिवस पर, आइए हम संवाद, सहिष्णुता और शांति का प्रसार करने में रेडियो की शक्ति को पहचानें."

संयुक्त राष्ट्र रेडियो.
UN Photo/Yutaka Nagata
संयुक्त राष्ट्र रेडियो.

संवाद के पुल बनाता रेडियो

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने रेडियो की अद्वितीय, दूर तक पहुंचने वाली ताक़त के रूप में पहचान को बल दिया है जिससे क्षितिज को विस्तृत करने और समाज में समरसता कायम करने में मदद मिलती है. 

यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ोले ने अपने संदेश में कहा, "प्रमुख अंतरराष्ट्रीय नेटवर्कों के रेडियो स्टेशनों  से लेकर सामुदायिक रेडियो के प्रसारकों तक, सब आज याद करते हैं कि सार्वजनिक बहस, नागरिकों की भागीदारी, और आपस में समझ बढ़ाने में रेडियो कितनी अहम भूमिका निभाता है."

100 साल से भी पहले ताररहित संचार के माध्यम के रूप में खोज होने के बाद से रेडियो ने "नए वार्तालाप शुरू किए और लोगों के घरों, गांवों, विश्वविद्यालयों, अस्पतालों और कार्यस्थलों तक तक नए विचार पहुंचाए. ऑनलाइन पर बढ़ती नकारात्मकता का सामना रेडियो तरंगों पर संवाद के ज़रिए किया जा सकता है. इसी उद्देश्य से यूनेस्को दुनिया भर में रेडियो स्टेशनों की बहुलता और विविधता बढ़ाने के लिए काम कर रहा है."

यूनेस्को प्रमुख ने बताया कि 21वीं शताब्दी के ज़रूरतों के अनुरूप रेडियो में भी बदलाव आए हैं और ज़रूरी विषयों पर बातचीत के लिए नए रास्तों को तलाशा गया है. इस तरह से रेडियो ने समाज में वंचित लोगों के लिए अपनी भूमिका को कायम रखा है. 

उदाहरण के तौर पर, ग्रामीण महिलाओं का मीडिया में प्रतिनिधित्व बेहद कम है और पुरुषों के मुक़ाबले उनमें साक्षरता की दर भी कम है. ऐसे में ख़ुद को अभिव्यक्त करने में और उनके लिए सूचना तक पहुंच सुनिश्चित करने में रेडियो बेहद अहम ज़रिया हो सकता है. 

भाषाई विविधता और प्रसारण के दौरान अपनी भाषा में अभिव्यक्ति का अधिकार भी महत्वपूर्ण है.  इसे सुनिश्चित करना इसीलिए भी ज़रूरी हो जाता है क्योंकि 2019 को संयुक्त राष्ट्र ने मूल भाषाओं का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है.

"दुनिया भर में विविधता का समावेश, समाजों को और लचीला, खुला और शांतिपूर्ण बनाता है. हमारे सामने जो चुनौतियां हैं - चाहे वो जलवायु परिवर्तन हो, संघर्ष हों या बांटने वाले विचार हों - उनसे निपटा जाना हमारी एक दूसरे से बात करने और मिलकर साझा समाधान ढूंढने की योग्यता पर ही निर्भर करता है. "