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सीरिया में स्थिति विकट, दो दिन में 11 शिशुओं की मौत

भारी हिंसा ने हज़ारों लोगों को अपने घर छोड़ कर बाहर जाने पर मजबूर कर दिया है.
UNICEF/ Syria 2019/ Delil Souleiman
भारी हिंसा ने हज़ारों लोगों को अपने घर छोड़ कर बाहर जाने पर मजबूर कर दिया है.

सीरिया में स्थिति विकट, दो दिन में 11 शिशुओं की मौत

मानवीय सहायता

हिंसा, विस्थापन और बेहद कठिन परिस्थितियों के चलते उत्तरी और पूर्वी सीरिया में दिसंबर से अब तक 32 बच्चों की जान जा चुकी है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष  (UNICEF) के अनुसार विस्थापित परिवारों को मुश्किल हालात से जूझना पड़ रहा है और 11 नवजात शिशुओं की मौत पिछले दो दिनों में ही हुई है.

पूर्वी सीरिया में हाजिन के आस-पास लगातार जारी हिंसा की वजह से हज़ारों लोग लंबी दूरी तय कर सुरक्षित स्थान की तलाश में निकलने को मजबूर है. अधिकांश 300 किलोमीटर दूर अल होल शिविर का रुख़ करते हैं जिसे घरेलू विस्थापितों के लिए बनाया गया है. 

यूनिसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरिएटा फ़ोरे ने बताया,  “मुश्किल सफ़र, ठंडा मौसम और शिविरों में रहने की अनुमति से पहले लोगों को कईं बार लंबा इंतज़ार करना पड़ता है. ऐसे हालात की वजह से कम से कम 29 बच्चों की मौत हुई है जिनमें 11 शिशुओं की मौत तो पिछले दो दिनों में ही हुई है.”

जान बचाकर भाग रही महिलाओं और बच्चों के लिए यूनिसेफ़ की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं और उन्हें राहत शिविरों में कंबल, गर्म कपड़े, खाना, पौष्टिक भोजन, स्वास्थ्य सेवा और अन्य सेवाएं दी जा रही हैं. जिन परिवार के सदस्य बिछड़ गए हैं उन्हें भी परिजनों को ढूंढने में सहायता दी जा रही है. 

पिछले साल दिसंबर से अब तक 23 हज़ार महिलाएं और बच्चे शिविर में पहुंचे हैं. तीन दिन की लंबी यात्रा मुश्किल हालात और कंपकपाती सर्दी और बिना पर्याप्त भोजन पानी के करने के बाद वे शिविर पहुंचते हैं. पिछले तीन दिनों में ही पांच हज़ार से अधिक लोग आए हैं. 

“इदलिब के माअरात-अल-नुमान में गोलाबारी में तीन बच्चों की मौत हो गई और कईं अन्य घायल हुए,” फ़ोरे ने बताया. यूनिसेफ़ के साथ काम कर रहे संगठन की एक कर्मचारी और उनका बेटा भी हिंसा में मारा गया. हिंसा से कईं स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों को भी नुक़सान पहुंचा है. 

“हिंसा में शामिल पक्ष युद्ध के क़ानूनों की ज़रा भी परवाह नहीं करते. जिन इलाक़ों में घमासान लड़ाई चल रही है वहां भी बच्चों पर इसकी आंच नहीं आनी चाहिए. कोई बहाना नहीं होना चाहिए. बच्चों को हिंसा का निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए.”

ऐसे हालात में बच्चों और उनके परिवारों तक जीवनरक्षक दवाईयों और सेवाओं को पहुंचा पाना कठिन हो रहा है. इसलिए फ़ोरे ने सभी पक्षों से अपील की है कि ज़रूरतमंद बच्चों तक मानवीय राहत पहुंचाने के लिए सुरक्षित रास्ता सुनिश्चित किया जाना चाहिए.