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मानवता के विरूद्ध अपराध के आरोपों से आइवरी कोस्ट के पूर्व राष्ट्रपति बरी

लॉरेंट बाग्बो और चार्ल्स ब्ले गाउडे अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में सुनवाई के दौरान.
ICC-CPI
लॉरेंट बाग्बो और चार्ल्स ब्ले गाउडे अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में सुनवाई के दौरान.

मानवता के विरूद्ध अपराध के आरोपों से आइवरी कोस्ट के पूर्व राष्ट्रपति बरी

क़ानून और अपराध रोकथाम

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने आइवरी कोस्ट के पूर्व राष्ट्रपति लॉरेंट बाग्बो को मानवता के ख़िलाफ अपराध के आरोपों से बरी कर दिया है. पश्चिम अफ़्रीकी देश में 2010 में राष्ट्रपति चुनाव के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी जिसमें तीन हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए थे. 

उस चुनाव में वर्तमान राष्ट्रपति अलासाने उआत्रा ने लॉरेंट बाग्बो को हरा दिया था.  एक बयान जारी कर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) ने कहा है कि लॉरेंट बाग्बो के अलावा एक अन्य आरोपी चार्ल्स ब्ले गाउडे को भी  2010-2011 में मानवता के विरूद्ध अपराध करने आरोप से मुक्ति मिल गई है. दोनों पर आरोप लगे थे कि बाग्बो को सत्ता में बनाए रखने के लिए एक योजना बनाई गई थी जिसके तहत ही अपराध किए गए. 

दोनों पर हत्या, बलात्कार और अत्याचार के मामले में मुक़दमे चल रहे थे. हेग स्थित न्यायालय ने कहा कि दोनों को रिहा किए जाने के अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ अभियोजन पक्ष गुरुवार को नई सुनवाई के दौरान अपील कर सकता है. 

मुक़दमे की कार्रवाई पर विस्तृत बयान जारी करने से पहले कोर्ट ने कहा है कि अभियोजन पक्ष ये साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत प्रस्तुत नहीं कर पाया कि राज्यसत्ता की नीतियों के तहत दोनों आरोपितों ने किस तरह से आम लोगों के ख़िलाफ़ अपराध किए. न ही आम लोगों को जानबूझकर निशाना बनाए जाने की नीति के बारे में ठोस सबूत मिले हैं. 

आईसीसी की ओर मिली जानकारी के मुताबिक़अभियोजन पक्ष यह प्रदर्शित करने में विफल रहा कि दोनों नेताओं ने भाषणों के ज़रिए लोगों को अपराध करने का आदेश दिया या फिर उन्हें हिंसा के लिए उकसाया.  इसलिए बचाव पक्ष को और सबूत देने की ज़रूरत नहीं है. 

मामले की सुनवाई जनवरी 2016 को शुरू हुई थी. कुल मिलाकर 231 दिन तक अदालती कार्रवाई हुई जिमें अभियोजन पक्ष की ओर से दिए गए सबूतों, 82 चश्मदीदों की गवाही और हज़ारों दस्तावेज़ों को पेश किया गया. 

आईसीसी का गठन 1998 में रोम संविधि के अन्तर्गत मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों, जातीय नरसंहारों और युद्धापराधों के मामले की जांच के लिए किया गया था.