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आईसीसी पदाधिकारियों के ख़िलाफ़ पाबन्दियाँ हटाने की अमेरिकी घोषणा का स्वागत

अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) की अभियोजक फ़तोऊ बेनसूडा, 8 मई, 2019 को लीबिया मुद्दे पर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Loey Felipe
अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) की अभियोजक फ़तोऊ बेनसूडा, 8 मई, 2019 को लीबिया मुद्दे पर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.

आईसीसी पदाधिकारियों के ख़िलाफ़ पाबन्दियाँ हटाने की अमेरिकी घोषणा का स्वागत

क़ानून और अपराध रोकथाम

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अमेरिका सरकार के उस निर्णय का स्वागत किया है जिसमें अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के पदाधिकारियों के ख़िलाफ़ लगाए गए प्रतिबन्धों और वीज़ा पाबन्दियों को हटाने की घोषणा की गई है.

अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ़ बाइडेन ने शुक्रवार को, ट्रम्प काल के एक कार्यकारी आदेश को पलटते हुए, इस आशय का नया आदेश जारी किया. 

आईसीसी ने कुछ समय पहले ये घोषणा की थी कि वो अफ़ग़ानिस्तान संघर्ष में सभी पक्षों द्वारा किये गए युद्धापराधों की जाँच कर रहा है, जिनमें अमेरिका भी शामिल है.

उसके बाद, पूर्ववर्ती राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने आईसीसी के पदाधिकारियों पर प्रतिबन्ध व वीज़ा पाबन्दियाँ घोषित करने वाला आदेश जारी किया था.

11 जून 2020 को जारी किये गए कार्यकारी आदेश 13928 में, आईसीसी की अभियोजक फ़तोऊ बेनसूडा और एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी फ़ाकीसो मॉचोचोको के ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबन्ध लगा दिये थे.

उससे पहले, आईसीसी के कुछ कर्मचारियों के ख़िलाफ़ 2019 में वीज़ा प्रतिबन्ध लगाने वाली एक पृथक नीति को भी, नई सरकार के आदेश के ज़रिये, निष्प्रभावी कर दिया गया है.

अमेरिका के विदेश मन्त्री एंथनी जे ब्लिन्केन ने एक वक्तव्य जारी करके कहा, “इन निर्णयों में हमारा ये आकलन झलकता है कि पहले की सरकार ने जो क़दम उठाए थे, वो अनुचित व निष्प्रभावी थे.”

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शनिवार को, अपने प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक द्वारा जारी एक वक्तव्य में, अमेरिकी घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि आईसीसी, अन्तरराष्ट्रीय अपराधों के लिये जवाबदेही सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाता है.

सम्पर्क बहाली के लिये तैयार

अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) नैदरलैंड के द हेग में स्थित है और ये न्यायालय अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से सम्बन्धित बेहद गम्भीर अपराधों के मुक़दमे चलाता है. इनमें नरसंहार, युद्धापराध और मानवता के विरुद्ध अपराध शामिल हैं.

आईसीसी की स्थापना 1998 में रोम संविदा के अन्तर्गत की गई थी, जिस पर 120 से ज़्यादा देश हस्ताक्षर कर चुके हैं. अमेरिका इस सन्धि का हस्ताक्षरकर्ता पक्ष नहीं है.

आईसीसी ने भी शनिवार को एक वक्तव्य जारी करके, अमेरिकी घोषणा का स्वागत किया.

वक्तव्य में कहा गया, “यह बात न्यायालय के ध्यान में है कि अमेरिका अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की ख़ातिर, परम्परागत रूप से, महत्वपूर्ण योगदान करता रहा है.”

“ये न्यायालय, आपसी सम्मान और रचनात्मक सम्बन्धों के आधार पर, उसी परम्परा को निभाने के लिये, अमेरिका के साथ सम्बन्ध बहाल करने के लिये तैयार है.”