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कुपोषण के गम्भीर रूप से पीड़ित बचपन, सहायता धनराशि की पुकार

दक्षिण सूडान में कुपोषण के पीड़ित, छह महीने के एक बच्चे को, ट्यूब के ज़रिये दूध पिलाए जाते हुए.
© UNICEF/Bullen Chol
दक्षिण सूडान में कुपोषण के पीड़ित, छह महीने के एक बच्चे को, ट्यूब के ज़रिये दूध पिलाए जाते हुए.

कुपोषण के गम्भीर रूप से पीड़ित बचपन, सहायता धनराशि की पुकार

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने अपने एक नए विश्लेषण में चेतावनी जारी की है कि बच्चों में लम्बाई के अनुपात में बेहद पतलापन – कुपोषण के इस चिन्ताजनक रूप से पीड़ित बच्चों की संख्या पहले से ही बढ़ रही थी, मगर यूक्रेन में युद्ध और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिये गहराता संकट अब हालात को बद से बदतर बना रहा है.

लम्बाई के अनुपात में बेहद पतलापन का शिकार होना (severe wasting), कुपोषण की एक गम्भीर अवस्था है जोकि जीवन के लिये ख़तरा पैदा कर सकती है. इससे बच्चों की प्रतिरोधी क्षमता कमज़ोर हो जाती है.

दुनिया भर में, पाँच वर्ष से कम उम्र के क़रीब एक करोड़ 36 लाख बच्चे इस अवस्था से पीड़ित हैं, जोकि इसी आयु वर्ग में हर पाँच में से एक मौत के लिये ज़िम्मेदार है.

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मंगलवार को प्रकाशित Severe wasting: An overlooked child survival emergency  नामक रिपोर्ट दर्शाती है कि कुपोषण के इस रूप से पीड़ित बच्चों की संख्या में वृद्धि के बावजूद, जीवनरक्षक उपायों व उपचार के लिये वित्त पोषण पर जोखिम मंडरा रहा है.

यूनीसेफ़ ने चेतावनी जारी की है कि, यूक्रेन में संकट की पृष्ठभूमि में दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा आया व्यवधान, वैश्विक महामारी के कारण लड़खड़ाती अर्थव्यवस्थाएँ और जलवायु परिवर्तन के कारण कुछ देशों में गम्भीर सूखा, ये सभी कारण ऐसी परिस्थितियों का निर्माण कर रहे हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर ऐसे मामलों में वृद्धि होने की आशंका है.

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने आगाह किया कि, “यूक्रेन में युद्ध से वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर उपजे दबाव से पहले ही, हिंसक संघर्षों, जलवायु झटकों और कोविड-19 के कारण, अपने बच्चों के भरण-पोषण की परिवारों की क्षमता बर्बाद हो रही थी.”

पोषक आहार

यूएन एजेंसी का कहना है कि लम्बाई के अनुपात में बेहद पतलेपन का शिकार कम से कम एक करोड़ बच्चों, यानि हर तीन में से दो बच्चे, के पास सबसे कारगर उपचार या उपयोग के लिये तैयार विशेष आहार (Ready-to-Use Therapeutic Food/RUTF) तक पहुँच नहीं है.

बेहद कमज़ोर होने के कारण पीड़ित बच्चों के लिये सामान्य आहार का सेवन कर पाना सम्भव नहीं होता है, इसलिये उन्हें RUTF भोजन प्रदान किया जाता है.

यह भोजन ऊर्जा गहन व सूक्ष्म पोषक तत्वों से परिपूर्ण होता है, जिसे मूंगफली, शर्करा, तेल व दूध पाउडर के मिश्रण से तैयार किये जाने के बाद छोटे पैकेट्स में भरा जाता है.

यूनीसेफ़ बड़े पैमाने पर इन पैकेट्स का ख़रीदार है जिन्हें फिर आवश्यकता अनुसार वितरित किया जाता है.

इस बीच, RUTF भोजन की क़ीमतों में भी अगले छह महीनों में तेज़ वृद्धि होने की सम्भावना जताई गई है, जिसकी वजह इसे तैयार करने में प्रयुक्त होने वाली सामग्री के दाम का बढ़ना है.

इस स्थिति में और व्यय के मौजूदा स्तर पर, क़रीब छह लाख अतिरिक्त बच्चों के लिये इस जीवनरक्षक उपचार के दायरे से बाहर रह जाने का संकट है.

सर्वाधिक प्रभावित

दक्षिण एशिया इस स्वास्थ्य चुनौती से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र है, जहाँ हर 22 में से एक बच्चा अपनी लम्बाई के अनुपात में बेहद पतलेपन का शिकार है. सब-सहारा अफ़्रीका की तुलना में यह तीन गुना अधिक है.

शेष दुनिया में भी, अनेक देशों को ऐतिहासिक रूप से कुपोषण के इस रूप की ऊँची दर का सामना करना पड़ रहा है.

यूनीसेफ़, WHO और विश्व बैंक समूह का साझा विश्लेषण.
UNICEF Source:
यूनीसेफ़, WHO और विश्व बैंक समूह का साझा विश्लेषण.

उदाहरणस्वरूप, इस वर्ष अफ़ग़ानिस्तान में 11 लाख बच्चों के कुपोषण के कारण बेहद पतलेपन से पीड़ित होने की आशंका है, जोकि 2018 की तुलना में दोगुनी संख्या है.

हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका क्षेत्र में सूखे की वजह से इससे पीड़ित बच्चों की संख्या 17 लाख से बढ़कर 20 लाख तक पहुँच सकती है.

यूनीसेफ़ के अनुसार अपेक्षाकृत स्थिरतापूर्ण परिस्थितियों वाले देशों, जैसेकि युगाण्डा में भी, वर्ष 2016 के बाद से बच्चों में लम्बाई की तुलना में बेहद पतलेपन के मामलों में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

इसकी वजह, बढ़ती निर्धनता और घर-परिवार में खाद्य असुरक्षा बताई गई है, जिससे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिये गुणवत्तापूर्ण आहार की उपलब्धता पर असर पड़ता है.

इसके अलावा, बार-बार सूखा पड़ने समेत अन्य जलवायु व्यवधान, स्वच्छ जल व साफ़-सफ़ाई की अपर्याप्त सुलभता से ये संख्या बढ़ रही है.

सहायता प्रयास

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कुपोषण के इस गम्भीर रूप से निपटने के लिये सहायता धनराशि बहुत कम है, और आगामी वर्षों में इसमें और भी गिरावट दर्ज किये जाने का जोखिम है.

यूएन एजेंसी के विश्लेषण के अनुसार, स्वास्थ्य सैक्टर के लिये आधिकारिक विकास सहायता (Official Development Assistance) का केवल 2.8 प्रतिशत इस मद में ख़र्च किया जाता है.

यूनीसेफ़ ने हर पीड़ित बच्चे तक जीवनरक्षक उपचार मुहैया कराने के लिये अनेक उपायों की पुकार लगाई है, जिनमें इस मद में सहायता धनराशि को 2019 के स्तर में 59 प्रतिशत की वृद्धि करना, सर्वाधिक पीड़ित 23 देशों में बच्चों तक उपचार पहुँचाना है.

इसके समानान्तर, दीर्घकालीन विकास वित्त पोषण योजनाओं में कुपोषण की इस अवस्था के लिये उपचार व पोषण आहार को शामिल करना, और दानदाताओं व नागरिक समाज संगठनों से इस विषय को प्राथमकिता के तौर पर लिये जाने का आग्रह किया गया है.