कोविड-19: यौन व प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों की पुनर्बहाली का आग्रह
स्वास्थ्य के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने बुधवार को यूएन महासभा में सदस्य देशों को ध्यान दिलाते हुए कहा है कि यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार, मानवाधिकार हैं और कोरोनावायरस संकट से उबरते हुए इन अधिकारों की पुनर्बहाली भी की जानी होगी.
संयुक्त राष्ट्र कि स्वतंत्र विशेषज्ञ डॉक्टर त्लालेंग मोफ़ोकेंग ने बताया कि कोरोनावायरस संकट के दौरान यौन व प्रजनन सेवाओं में भीषण व्यवधान हुआ है.
डॉक्टर मोफ़ोकेंग ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया भर में लाखों महिलाओं के पास जच्चा-बच्चा की स्वास्थ्य देखभाल की या तो सीमित सुलभता थी या फिर उन्हें ये सेवाएँ उपलब्ध ही नहीं थीं.
📢 Sexual & reproductive health rights are human rights. UN expert @drtlaleng calls on Governments around the world to restore essential sexual & reproductive health services lost during the #COVID19 pandemic.👉 https://t.co/iNWsw4tTAV#UNGA76 pic.twitter.com/zvYgnJZK6R
UN_SPExperts
“लगभग एक करोड़ 40 लाख महिलाओं की गर्भनिरोधक उपायों तक पहुँच ख़त्म हो गई, और लिंग-आधारित हिंसा के पीड़ितों के लिये विशेषीकृत सेवाओं की सुलभता समाप्त हो गई, जब उनकी सबसे अधिक ज़रूरत थी.”
विशेष रैपोर्टेयर ने बताया कि कोविड-19 के कारण तालाबन्दी, आवाजाही पर पाबन्दियों और धनराशि को अन्य मदों में आबण्टित किये जाने से अति-आवश्यक यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के लिये जोखिम पैदा हो गया है.
यूएन विशेषज्ञ ने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं पर वैश्विक महामारी के असर के मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट महासभा में पेश की है.
उन्होंने सुरक्षित गर्भपात उपायों की सुलभता पर अंकुश लगाने वाले उन क़ानूनों का भी ज़िक्र किया, जोकि अनेक क्षेत्रों में लागू हैं. स्वास्थ्य के अधिकार के तहत, ये उपाय, यौन एवं प्रजनन सेवाओं का ही एक घटक है.
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने सदस्य देशों का आहवान किया है कि कोविड-19 महामारी से परे जाकर, स्वास्थ्य प्रणालियों को बहाल करने के साथ-साथ, उन्हें मज़बूत करना होगा.
सर्वजन के लिये स्वास्थ्य अधिकार
इसके ज़रिये सर्वजन के लिये यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों को बढ़ावा दिया जाना होगा.
“सरकारों को रास्तों की अड़चनें हटानी होंगी और गुणवत्तापरक सेवाओं की पूर्ण सुलभता सुनिश्चित करनी होगी, जिनमें मातृत्व स्वास्थ्य देखभाल, गर्भनिरोधक उपाय व गर्भपात सेवाएँ, प्रजनन कैंसर की जाँच और व्यापक यौन शिक्षा शामिल हैं.
डॉक्टर मोफ़ोकेंग ने सचेत किया कि व्यक्तियों द्वारा अपने स्वास्थ्य के अधिकार का इस्तेमाल कर पाने के रास्ते में अभी अनेक बाधाएँ मौजूद हैं.
उन्होंने कहा कि इन अवरोधों की जड़ें, मुख्यत: पितृसत्ता, औपनिवेशवाद और अन्य ढाँचागत व व्यवस्थागत विषमताओं में मौजूद हैं.
उन्होंने क्षोभ जताते हुए कहा कि पितृसत्तात्मक दमन, सार्वभौमिक है और हर समाज में व्याप्त है. यूएन विशेषज्ञ के मुताबिक़ यह स्वायत्ता के क्षरण और लड़कियों व महिलाओं की देह पर नियंत्रण की कोशिशों के मूल में है.
डॉक्टर मोफ़ोकेंग ने देशों की सरकारों को ध्यान दिलाया कि यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार, क़ानूनी रूप से बाध्यकारी मानवाधिकार सन्धियों, विधिशास्त्र और अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में आम सहमति से तैयार निष्कर्ष दस्तावेज़ों में समाहित हैं.
“मैं सदस्य देशों से स्वायत्ता, दैहिक शुचिता, गरिमा और व्यक्तियों के कल्याण के अहम सिद्दान्तों का सम्मान व उनकी रक्षा करने का आहवान करती हूँ, विशेष रूप से यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों के सम्बन्ध में.”
उन्होंने सदस्य देशों व अन्य सम्बद्ध पक्षों के साथ मिलकर हर किसी के अधिकार सुनिश्चित किये जाने का संकल्प लिया है ताकि शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के उच्चतम मानक प्राप्त किये जा सकें.
स्पेशल रैपोर्टेयर और वर्किंग ग्रुप संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेष प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार व्यवस्था में सबसे बड़ी स्वतन्त्र संस्था है. ये दरअसल परिषद की स्वतंत्र जाँच निगरानी प्रणाली है जो किसी ख़ास देश में किसी विशेष स्थिति या दुनिया भर में कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करती है. स्पेशल रैपोर्टेयर स्वैच्छिक रूप से काम करते हैं; वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिये कोई वेतन नहीं मिलता है. ये रैपोर्टेयर किसी सरकार या संगठन से स्वतंत्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.