अहिंसा दिवस पर महात्मा गाँधी के शांति संदेश की गूंज
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को 'अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के अवसर पर अपने संदेश में कहा है कि महात्मा गांधी का जीवन दर्शन आज भी विश्व में प्रासंगिक बना हुआ है और यह संयुक्त राष्ट्र के कामकाज में भी परिलक्षित होता है – आपसी समझ, टिकाऊ विकास, युवाओं के सशक्तिकरण और विवादों के शांतिपूर्ण ढंग से निपटारे के लिए किए जाने वाले प्रयासों में.
विश्व में शांति के प्रतीक के रूप में देखे जाने वाले और भारत की स्वाधीनता में अहम भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी की इस वर्ष 150वीं जयंती मनाई जा रही है.
“मौजूदा अशांत दौर में हिंसा कई स्वरूपों में सामने आती है: जलवायु एमरजेंसी के विनाशकारी प्रभावों से लेकर हिंसक संघर्ष से होने वाली तबाही तक; ग़रीबों के लिए तिरस्कार से लेकर मानवाधिकार उल्लंघन के अन्याय और नफ़रत भरी बोली और भाषणों के नृशंस प्रभावों तक.”
यूएन प्रमुख ने स्पष्ट किया कि ऑनलाइन और ऑफ़लाइन माध्यमों पर अल्पसंख्यकों और ‘दूसरों’ के लिए घृणित बातें कही जा रही हैं.
इस चुनौती का सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने दो अहम पहल की हैं.
प्रथम पहल के तहत नफ़रत भरे भाषणों के विरुद्ध एक वैश्विक कार्ययोजना शुरू की गई है जबकि दूसरी पहल सदस्य देशों को धार्मिक स्थलों के संरक्षण में मदद करेगी.
महासचिव ने कहा, “पिछले सप्ताह मैंने वैश्विक स्तर पर टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक दशक लंबी कार्रवाई के लिए अपील जारी की है – हिंसा से दूर और शांति, समृद्धि और स्वस्थ पृथ्वी पर गरिमामय जीवन की दिशा में यह हमारा रोडमैप है.”
महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि जनवरी 1948 में महात्मा गांधी की हत्या से पहले गांधी लगातार रेखांकित करते रहे कि “हम जो करते हैं और जो करने की क्षमता रखते हैं उसमें फ़ासला है.”
“इस अंतरराष्ट्रीय दिवस पर, मैं सभी से आग्रह करता हूं कि सभी के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण करते समय हमें इस दूरी को पाटने के लिए अपनी सामर्थ्यानुसार प्रयास करने चाहिए.”
यूएन महासभा ने वर्ष 2007 में 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी जिसके ज़रिए अहिंसा के संदेश का प्रसार किया जाता है और शांति, सहिष्णुता, समझ व अहिंसा की संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास होता है.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अहिंसात्मक कार्रवाई को तीन मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है: विरोध प्रदर्शन और समझाना बुझाना; असहयोग; और अहिंसक हस्तक्षेप, जैसे अवरोध खड़े करना शामिल है.
"जो कोई भी हिंसा को ना बोले, उससे बढ़कर और कोई भी बेहतर हीरो नहीं है", संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद - बांदे ने बुधवार को मुख्यालय में महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में ये बात कही.
उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी का संदेश सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय दिवस पर ही नहीं गूंजता, बल्कि ये सदैव प्रासंगिक है. यही बात पिछले सप्ताह गाँधी के सम्मान में डाक टिकट जारी करने के अवसर पर कही गई थी.