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'लौटने के लिए कुछ नहीं बचा': मोज़ाम्बीक़ में तूफ़ान प्रभावितों की दास्तान

चक्रवाती तूफ़ान कैनेथ से लाखों लोग प्रभावित हुए हैं.
OCHA/Saviano Abreu
चक्रवाती तूफ़ान कैनेथ से लाखों लोग प्रभावित हुए हैं.

'लौटने के लिए कुछ नहीं बचा': मोज़ाम्बीक़ में तूफ़ान प्रभावितों की दास्तान

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश गुरुवार को दो दिवसीय दौरे के लिए दक्षिणी अफ्रीकी देश मोज़ाम्बीक़ पहुंचे हैं जहां वह 2019 के शुरू में आए घातक चक्रवाती तूफ़ानों से हुए नुक़सान का जायज़ा लेंगे. यूएन प्रमुख गुरुवार को राष्ट्रपति फ़िलिपे न्यूसी से मिलकर अपने मिशन की शुरूआत करेंगे जिसके बाद वह प्रभावित क्षेत्रों में यूएन एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे राहत अभियानों का भी आकलन करेंगे. 

14 मार्च की रात जब मोज़ाम्बीक़ में 195 किलोमीटर प्रति घंटे रफ्तार की हवाएं चलने लगीं तो सबसे पहले मुतिज़ो परिवार के घर की टीन की छत उड़ गई.

तट के पास स्थित ये छोटा सा घर प्लास्टिक, कार्डबोर्ड और ईंटों से बना है.

इसमें 62 साल की लोरिन्डा अपने दो बालिग़ संतानों - टेरेसा और अरनेस्टो; और टेरेसा के एक साल के बच्चे और दो गोद लिए किशोरों के साथ रहती हैं.

हवाओं की रफ़्तार तेज़ होने पर वे सब एक-दूसरे को पकड़ कर एक साथ बैठ गए.

टेरेसा ने संयुक्त राष्ट्र समाचार को बताया कि एक ही क्षण में पास में स्थित उनका हेयर सैलून हवा में उड़ गया. फिर कुछ मिनट बाद अरनेस्टो की दुकान की कॉपी मशीन और कंप्यूटर चक्रवाती तूफ़ान से नष्ट हो गया जिसे उसने बड़ी मेहनत से ख़रीदा था.

परिवार को उम्मीद थी कि उनकी आजीविका का शेष बचा एकमात्र साधन - दो छोटे मचम्बाज़, जहां लोरिन्डा चावल उगाती थी – बच जाएगा. लेकिन सुबह उन्हें वो भी पूरी तरह बर्बाद मिला.

इलाक़े के ज़्यादातर लोगों की आजीविका के साधन चक्रवाती तूफ़ान में पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं. पीछे बचा है तो सिर्फ़ मलबा.

‘इडाई’ ने इनहाम्बेन, मैनिका, टेटे, जांबिया और सोफाला प्रांतों में 18  लाख से ज़्यादा लोगों को प्रभावित किया. विशेष रूप से बेयरा के तटीय शहर में 90 फ़ीसदी बुनियादी ढांचा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया.

सम्मेलन में हुए वादे पर्याप्त नहीं

लोग अभी इस हादसे से उबरे भी नहीं थे कि इसके ठीक छह हफ्ते बाद दूसरा विनाशकारी तूफान – ‘केनेथ’ का क़हर काबो देश के उत्तरी प्रांतों में पर टूटा जिससे 4 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए.

इन दोनों चक्रवातों के बाद कई हफ़्तों तक मूसलाधार बारिश हुई. संयुक्त राष्ट्र के एक मानवीय कार्यकर्ता ने बाढ़ प्रभावित इलाक़े का वर्णन करते हुए कहा कि लक्ज़मबर्ग जितना बड़ा इलाक़ा पानी में डूब गया और एक समय तो सब कुछ छोटे सागर जैसा लग रहा था.

पिछले महीने ही प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के लिए तीन अरब दो करोड़ डॉलर जुटाने की उम्मीद में मोज़ाम्बीक़ ने एक सम्मेलन की मेज़बानी की थी लेकिन अभी तक अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं से  क़रीब एक अरब 20 करोड़ अमेरीकी डॉलर का ही इंतज़ाम हो पाया है.

सम्मेलन के दौरान महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा था कि, "यही समय है जब हम अफ़्रीकी इतिहास के सबसे विनाशकारी तूफान से प्रभावित देश के साथ एकजुटता दिखाते हए उनकी मदद कर सकते हैं.”

उन्होंने कहा कि ये आपदा एक चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन के ख़तरे से तुरंत निपटने की ज़रूरत है.

इडाई और कैनेथ चक्रवाती तूफ़ानों से स्कूलों और अन्य इमारतों को भारी नुक़सान हुआ है.
UN Photo/Eskinder Debebe
इडाई और कैनेथ चक्रवाती तूफ़ानों से स्कूलों और अन्य इमारतों को भारी नुक़सान हुआ है.

बचाव और पुनर्निर्माण

मोज़ाम्बीक़ के दूसरे सबसे बड़े शहर बेयरा में जिन जगहों का संयुक्त राष्ट्र महासचिव दौरा करेंगे, उनमें एक स्कूल भी शामिल है. यह मुतिज़ो परिवार के पड़ोस में है जिन्हें यहीं भीड़ भरी कक्षाओं में सोना पड़ रहा है. तूफ़ान से उनका घर भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था.

फ़िलहाल मुतिज़ो परिवार संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और सहायक संस्थाओं द्वारा वितरित किए जाने वाले भोजन पर निर्भर है.

फ़्रेडरिको फ़्रांसिस्को इस स्कूल के प्रधानाचार्य हैं. स्कूल में 5 से 14 आयु वर्ग के लगभग 5,000 बच्चों ने आश्रय लिया हुआ है.

सुबह 6 बजे से ही तीन शिफ़्टों में हल्के नीले रंग की वर्दी पहने लड़के और लड़कियां कक्षाओं में जमा होने लगते हैं – हालांकि इन कक्षाओं की क्षमता केवल 90 बच्चों की है.

प्रिंसिपल फ़्रांसिस्को ने बताया कि, "चक्रवात से पहले हमारी प्राथमिकता शौचालय बनाने की थी क्योंकि यहां लड़कों और लड़कियों के लिए केवल एक शौचालय है लेकिन अब हम छतों को लेकर चिंतित हैं."

स्कूल में पांच अलग-अलग पवेलियन हैं. इनमें से एक को पिछले साल ही पूरा किया गया था लेकिन इसकी खिड़कियां टूट गई हैं, टीन की छतें उड़ गई हैं, कुछ टुकड़े है जो फट गए हैं. छतों के ये टुकड़े, कड़ी धूप में विज्ञान और गणित पढ़ते हुए बच्चों के सर पर लटकते हैं.

परिसर के बीच में केवल एक पवेलियन बचा है. इसका निर्माण चक्रवाती तूफ़ान से ठीक एक महीने पहले फ़रवरी में हुआ था और इसे संयुक्त राष्ट्र की शहरी विकास एजेंसी (UN Habitat) ने जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए बनाया था.  

10 साल की इवानिल्डा सैमुएल वहीं बैठकर अपना पसंदीदा पुर्तगाली विषय पढ़ रही है.

वो चाहती है कि उसके स्कूल में एक नई छत हो लेकिन इस बात से खुश हैं कि आपदा के दो हफ़्ते बाद ही उसे स्कूल वापस आने का मौका मिल गया. उसने बताया कि चक्रवात के दौरान वह "बहुत डर" गई थी लेकिन कक्षा में वापस अपने दोस्तों से मिलने से उसे उस भयावह रात को भूलने में मदद मिली.

पुनर्निर्माण कार्यों के लिए मोज़ाम्बीक को 3 अरब डॉलर से ज़्यादा धनराशि की आवश्यकता है.
UN Photo/Eskinder Debebe
पुनर्निर्माण कार्यों के लिए मोज़ाम्बीक को 3 अरब डॉलर से ज़्यादा धनराशि की आवश्यकता है.

सामान्य जीवन में वापसी

इवानिल्डा की ही तरह मोज़ाम्बीक़ के सभी लोग अपनी जीवन को फिर सामान्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

कुछ लोग मक्खन में तलकर बनाई जाने वाली पेस्ट्री ‘बोलिन्हो’ बनाने में लगे हैं जिसे वो सड़कों पर दूसरी कैंडी के साथ बेचते हैं. बेयरा को निजी कंपनियों की मदद से 40 ट्रकों के ज़रिए साफ़ किया गया था.

इडाई से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र में लगभग तीन महीने बाद अब भोजन का वितरण बंद हो रहा है. जुलाई के अंत में केनेथ से प्रभावित जिलों में भी यही होने जा रहा है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) में आपातकालीन समन्वयक पीटर रोड्रिग्स ने बताया कि एजेंसी अब तक 16 लाख लोगों तक भोजन पहुँचा चुकी है.

खाद्य वितरण के दूसरे चरण में एजेंसी लगभग 6 लाख से 7 लाख और लोगों की मदद करेगा जिसकी लागत 1 करोड़ 10 लाख डॉलर आएगी.

फ़िलहाल सभी अस्थाई आवास बंद किए जा रहे हैं. बेयरा में लगभग 46 हज़ार लोग अभी भी 15 स्थाई पुनर्वास शिविरों में रह रहे हैं. दूसरे चक्रवात से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में बने शिविरों में बेघर हुए लगभग 1,300 लोग रह रहे हैं.

वापस लौटने के लिए कुछ नहीं बचा 

26 साल की होर्टेंसिया आर्नेल्डो एब्रियो जूलियो और उनके तीन बच्चे उन परिवारों से है जो घर वापस नहीं जा रहे हैं. वो बेयरा के एक पड़ोस में माताक्वारी में रहती थीं लेकिन उनका घर पूरी तरह से नष्ट हो गया. "मेरे पास वापस जाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है."

जब चक्रवात आया तब वह अपनी मां के घर रहने चली गईं. जब वो घर भी असुरक्षित हो गया तो उन्होंने कुछ दिनों के लिए अपने भाई की कार में शरण ली. उसके बाद एक स्कूल में कुछ समय बिताने के बाद उन्हें फिर एक सामुदायिक केंद्र में ले जाया गया.

वह कहती हैं, "अब बच्चों के लिए भोजन खोजने का कोई तरीक़ा नहीं बचा था. इन केन्द्रों में कम से कम उन्हें खिलाने के लिए थोड़ा चावल, आटा, सेम तो मिल जाता है –  कुछ तो है जिसे हम खा सकते हैं."

इसके बाद 375 परिवारों सहित उन्हें मंदरूजी शिविर में रहने के लिए एक स्थाई जगह दी गई जो बेयरा से क़रीब 40 मिनट दूर है. यहां लोग संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR), अंतरराष्ट्रीय प्रवासन एजेंसी (IOM) और अन्य संगठनों द्वारा दिए गए टेंट में रहते हैं.

होर्टेंसिया के तीनों बच्चों ने संयुक्त राष्ट्र के शिविर में फिर से पढ़ाई शुरू कर दी है लेकिन उन्हें चिंता है कि ये एक स्थाई स्कूल नहीं है जहां उन्हें अपनी पढ़ाई और कक्षाओं में प्रगति के लिए प्रमाण पत्र मिलेगा.

उनका तंबू व्यवस्थित दिखाई देता है - बीच में एक विभाजन है और कपड़े अच्छी तरह तह करके तरतीब से लगे हैं. दरवाज़े के पास चूल्हा है और कुछ बर्तन रखे हैं.

तंबू के आसपास वो सब्ज़ी की एक दर्जन क़िस्मों की खेती भी करने लगी हैं. कुछ ही हफ्तों में वहाँ सेम, मीठे आलू, प्याज़ और हरी सब्ज़ियां उग आईं हैं.

फिर से घर बसाने का सपना

वो कहती हैं, "भूमि का एक टुकड़ा हमेशा से मेरा सपना रहा है." उन्होंने कहा कि समुद्री तूफ़ान के बाद जब उनके बच्चों को भीड़ भरे कमरे में अजनबियों के साथ सोना पड़ा तब वो बहुत रोईं. “मैंने ईश्वर से यही प्रार्थना की कि मुझे एक छोटा सा घर दे दो जिसमें मैं और संतान सुरक्षित रह सकें."

शिविर में रहते हुए उन्होंने एक घर का सपना फिर से देखना शुरू कर दिया. उन्हें उम्मीद है कि घर बनाने का सामान जुटाने में उन्हें मदद मिलेगी तो वो खुद उसे बना लेंगी.

शिविर में रहने के दौरान उन्हें ये भी मालूम हुआ कि दरअसल उनका नाम हाईड्रान्गियस नाम के एक फूल पर है. स्मार्टफ़ोन पर उसकी तस्वीरें देखकर उन्हें अंदाज़ा हुआ कि वो फूल कितना सुंदर है.

"शायद एक दिन मैं ये फूल अपने घर के बाहर लगाऊंगी. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इस सब के बाद भी मैं घर और फूल के सपने देख रही हूँ? सच में लोग शायद ही इस बात पर विश्वास करें.”