मोज़ाम्बीक़ में तूफ़ान प्रभावितों के दृढ़ संकल्प की प्रशंसा

बिना छतों वाली कक्षाओं में मज़बूत संकल्प के साथ पढ़ते बच्चे, बिना औज़ार और कृषि योग्य भूमि के अभाव के बावजूद खेतों में दृढ़ता से डटी महिलाएं और आजीविका गंवाने लेकिन ज़िंदगी बच जाने पर कृतज्ञ लोग. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपनी मोज़ाम्बीक़ यात्रा के दूसरे दिन शुक्रवार को ऐसे लोगों से मिलकर उनके साहस का प्रत्यक्ष अनुभव किया और खुले दिल से उनके पक्के इरादों की सराहना की.
2019 के मार्च और फिर अप्रैल महीनों के दौरान ‘इडाई’ और ’कैनेथ’ नामक दो चक्रवाती तूफ़ानों से मोज़ाम्बीक़ में 20 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए थे.
यूएन प्रमुख ने चक्रवाती तूफ़ान ‘इडाई’ से सबसे ज़्यादा प्रभावित बेयरा शहर में एक स्कूल का शुक्रवार को दौरा किया जहां तूफ़ान के दौरान 195 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं चली थीं जिससे स्कूल की छत उड़ गई.
बेयरा शहर में भी तूफ़ान का क़हर टूटा और उसके थमने तक शहर का 90 फ़ीसदी बुनियादी ढांचा बर्बाद हो चुका था.
इस स्कूल में अब पांच हज़ार बच्चे पढ़ते हैं और तीन शिफ़्ट में पढ़ाई कराई जाती है. यूएन प्रमुख ने बच्चों से मिलने के बाद उन्हें भरोसा दिलाया कि “उन्हें एक सुंदर स्कूल मिलेगा.” एक अन्य कक्षा में उन्होंने बच्चों को प्रोत्साहन देते हुए कहा कि, “पढ़ते रहिए, अपने विषयों को अच्छी तरह से याद करिए ताकि आप डॉक्टर और इंजीनियर बन सकें.”
It breaks my heart to see children get an education in a classroom with no roof. Months after Cyclones Idai and Kenneth, the situation in Mozambique is still extremely difficult. The international community must continue to provide tangible support & show strong solidarity. pic.twitter.com/GVEsHdLcXb
antonioguterres
संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी जानकारी साझा करते हुए उन्होंने बताया कि यूएन एक ऐसा स्थान है जहां सभी देश मिलकर दुनिया की चुनौतियों से निपटने का प्रयास करते हैं. “उन्हें ऐसा करने में कभी सफलता मिलती है, कभी ऐसा नहीं हो पाता.”
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने विकलांग व्यक्तियों के एक समूह, रंगहीनता (एल्बीनिज़म) की अवस्था में जी रहे एक व्यक्ति और तूफ़ान से प्रभावित लोगों से मुलाक़ात की.
44 वर्षीय ओरलान्डो माचमबिस्सा ने बताया कि आम जनसंख्या की तुलना में विकलांगों को दोगुनी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि तूफ़ान की उस रात को याद करना असंभव है.
“कुछ लोगों ने साहस किया और अपने साथ उन चीज़ों को ले लिया जो हवा में उड़ रही थीं लेकिन दृष्टिहीनों को पता ही नहीं चल पा रहा था कि हो क्या रहा है.”
यूएन प्रमुख ने भरोसा दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र का कर्तव्य सभी की सहायता करना है, विशेषकर उन लोगों की - जो नाज़ुक हालात में रहते हैं और इस त्रासदी से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं.
उन्होंने बेयरा से आधे घंटे दूर स्थित मन्द्रूज़ी कैंप का दौरा किया जहां 480 परिवारों को अस्थाई तौर पर बसाया गया है. इन परिवारों को सरकार से प्लॉट मिले हैं लेकिन फ़िलहाल वो यूएन एजेंसियों के शिविरों में रह रहे हैं.
अनेक परिवारों ने यूएन प्रमुख को बताया कि इन अस्थाई घरों को वह पसंद कर रहे हैं क्योंकि वहां सुरक्षा का एहसास होता है.
इसके बाद एक मीडिया कार्यक्रम में महासचिव गुटेरेश ने मोज़ाम्बीक़ में लोगों को फिर से बसाए जाने की प्रक्रिया में पेश आने वाली चुनौतियों का ज़िक्र किया.
कैंपों में फ़िलहाल 46 हज़ार लोग रह रहे हैं और वे अभी पुराने घरों और गांवों में वापस जाने के लिए तैयार नहीं हैं.
उन्होंने भरोसा जताया कि चरणबद्ध तरीक़े से निवेश किया जाएगा और यूएन शिक्षा, स्वास्थ और लोगों के कल्याण के लिए ज़रूरी अन्य सेवाओं में निवेश का समर्थन करेगा.
लोगों की सहनशीलता, संकल्प और जज़्बे की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि, “मैंने जो देखा था उससे मैं पहले से ही प्रभावित था. मैंने लोगों के शानदार साहस और संकल्प को देखा. मैंने लोगों को फ़सल बोते हुए देखा. उनके पास अभी घर नहीं है लेकिन वे अभी पौधे लगा रहे हैं. वो अपना भविष्य संवारना चाहते हैं.”
राहत शिविरों का दौरा करने के बाद उन्होंने मोज़ाम्बीक़ में मानवीय सहायता पहुंचाने के काम में जुटी टीम से भी मुलाक़ात की.
राहतकर्मियों के तौर पर काम करने वाले मोज़ाम्बीक़ के नागरिकों का विशेष तौर पर उल्लेख करते हुए उन्होंने ध्यान दिलाया कि वे पीड़ित भी थे लेकिन फिर भी उन्होंने दूसरों की मदद का काम जारी रखा.
यूएन महासचिव इसी सकंल्प, दृढ़ता और सहनशीलता के संदेश की अपने मन पर गहरी छाप लिए को मोज़ाम्बीक़ से लौट रहे हैं.