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लंबी दूरियां तय करते शरणार्थियों के समर्थन में नई मुहिम

बांग्लादेश से लगी सीमा पार करते रोहिंज्या शरणार्थी.
UNHCR/Roger Arnold
बांग्लादेश से लगी सीमा पार करते रोहिंज्या शरणार्थी.

लंबी दूरियां तय करते शरणार्थियों के समर्थन में नई मुहिम

प्रवासी और शरणार्थी

नए साल के पहले कुछ हफ़्ते आम तौर पर लोगों के लिए अपनी सेहत सुधारने का संकल्प लेने का अवसर होता है. ऐसे समय में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने  एक नई मुहिम शुरू की है जिसका उद्देश्य ये बताना है कि बेहतर जीवन की तलाश और अत्याचार से बचने के लिए शरणार्थी कितने लंबे रास्तों पर चलने को मजबूर हैं.

सलामती की ओर दो अरब किलोमीटर (2 Billion Kilometres to Safety) नाम से चलाई जा रही इस मुहिम के ज़रिए दुनिया भर में लोगों से अपील की जा रही है कि वे उतने ही कदम चलें या दूरी तय करें जितनी शरणार्थी हर साल करते हैं. शरणार्थियों के सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति जागरूकता फैलाने और उनके लिए समर्थन जुटाने के लिए ये एक नई पहल है.

यूएन शरणार्थी एजेंसी के एक अनुमान के मुताबिक़ हर साल सुरक्षित स्थान तक पहुंचने की अपनी यात्रा में शरणार्थी सामूहिक रूप से लगभ दो अरब किलोमीटर चलते हैं.  2016 में सीरियाई शरणार्थियों ने तुर्की तक पहुंचने के लिए 240 किलोमीटर का रास्ता तय किया.

दक्षिण सूडान से आने वाले शरणार्थियों ने केन्या तक की अपनी यात्रा में 640 किलोमीटर लंबा सफ़र पूरा किया तो म्यांमार में रोहिंज्या शरणार्थियों को बांग्लादेश तक पहुंचने में 80 किलोमीटर चलना पड़ा. 

इस मुहिम में शामिल होने के लिए इच्छुक लोग भागकर, चलकर या फिर साइकिल चलाकर दो अरब किलोमीटर के लक्ष्य को पूरा करने में योगदान दे सकते हैं.  अपने कदमों को गिनने के लिए मोबाइल एप्स का इस्तेमाल किया जा सकता है और फिर www.stepwithrefugees.org वेबसाइट पर तय की गई दूरी के बारे में जानकारी भेजी जा सकती है.   

यूएन एजेंसी की उप उच्चायुक्त कैली क्लेमेंट्स ने कहा, "हर दिन, हम उन लोगों की दयालुता से प्रेरित होते हैं जो शरणार्थियों का जीवन बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं. इनमें कार्यकर्ता, उनके रहने का इंतज़ाम करने वाले समुदायों, दान देकर मदद करने वाले और कारोबारी शामिल हैं."

क्लेमेंट्स के अनुसार वास्तविक और ख़तरों से भरे सफ़र के बारे में जागरूकता फैलाना बेहद अहम है., विशेष रूप से ऐसे समय में जब शरणार्थियों के बार अनेक ग़लत धारणाओं को बल मिल रहा हो.

मुहिम के लिए तैयार इस वेबसाइट में घर छोड़ कर जाने के लिए मजबूर होने वाले लोगों की कहानियां भी हैं. उदाहरण के तौर पर ओपनी जिन्हेें अपनी नवजात बच्ची के साथ दक्षिण सूडान के एक हिंसा प्रभावित गांव से भागना पड़ा. क़रीब 100 किलोमीटर का रास्ता तय कर यूगांडा में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के पंजीकरण कार्यालय में पहुंचने में उन्हें सात दिन लगे थे.