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शरणार्थियों की ताक़त व साहस का सम्मान करें: यूएन प्रमुख का आग्रह

पूर्वी चाड में यूनीसेफ़ समर्थित स्तनपान एवं पोषण जागरूकता केन्द्र में अपने तीन महीने के जुड़वाँ बच्चों के साथ बैठीं एक सूडानी शरणार्थी.
© UNICEF/Donaig Le Du
पूर्वी चाड में यूनीसेफ़ समर्थित स्तनपान एवं पोषण जागरूकता केन्द्र में अपने तीन महीने के जुड़वाँ बच्चों के साथ बैठीं एक सूडानी शरणार्थी.

शरणार्थियों की ताक़त व साहस का सम्मान करें: यूएन प्रमुख का आग्रह

प्रवासी और शरणार्थी

दुनिया भर के अनेक हिस्सों में, “टकरावों, जलवायु अराजकता व उथल-पुथल” के कारण, 12 करोड़ से भी अधिक लोग अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर हुए हैं.नमें वो 4.35 करोड़ शरणार्थी भी शामिल हैं, जिन्हें अपने मूल स्थानों से भागकर, अपने देशों की सीमाओं के बाहर शरण लेनी पड़ी है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने, गुरूवार को विश्व शरणार्थी दिवस के अवसर पर अपने सन्देश में शरणार्थियों की ताक़त व साहस का सम्मान करते हुए कहा है कि रिकॉर्ड संख्या में लोग विस्थापित हो रहे हैं, जिससे “अगाध मानवीय पीड़ा” देखने को मिल रही है.

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20 जून को मनाए जाने वाले इस दिवस का मक़सद, हर क़दम पर उन लोगों को समर्थन देना व उनकी रक्षा के प्रयास बढ़ाना है, जिन्हें अपने घर जबरन छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है.  

समान अवसर

उन्होंने कहा, “शरणार्थियों को वैश्विक एकजुटता और गरिमामय जीवन का पुनर्निर्माण करने में सक्षम होने की आवश्यकता है.”

“शरणार्थी जन, मौक़ा मिलने पर अपने मेज़बान समुदायों में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. लेकिन उन्हें समान अवसरों, समान रोज़गार, आवास व स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता है.”

उथल-पुथल के बीच, युवा शरणार्थियों को अपने सपने साकार करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता है.और ख़ासतौर पर निम्न व मध्यम आयवर्ग के उदार मेज़बान देशों को, शरणार्थियों को अपने अपने समाज व अर्थव्यवस्था में पूरी तरह शामिल करने के लिए समर्थन व संसाधनों की ज़रूरत है.

महासचिव ने अनुरोध किया, “आइए, दुनिया की सामूहिक ज़िम्मेदारी को सुदृढ़ करने व शरणार्थियों का स्वागत करने का संकल्प लें, उनके शरण लेने के अधिकार व अन्य मानवाधिकारों को क़ायम रखने, और अन्ततः टकरावों का हल निकालने की कोशिश करें, ताकि अपने समुदाय से दूर जाने को मजबूर हुए लोग घर वापस लौट सकें. 

सूडान की स्थिति: UNHCR प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने इस दिवस के अवसर पर, सूडान व दक्षिणी सूडान के बीच सीमावर्ती इलाक़े से एक वक्तव्य जारी किया.

यूएन शरणार्थी मामलों के उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैंडी ने कहा है, “दक्षिणी सूडान के जामजंग में जहाँ आज मैं हूँ, हालात शायद इतने हताशा भरे कभी नहीं रहे. हाल ही के महीनों में, पड़ोसी देश सूडान के लगभग 7 लाख लोगों ने, उस विनाशकारी युद्ध से भागकर यहाँ शरण ली है, जिसने उनके घर, उनके प्रियजन, उनका सब कुछ छीन लिया है.”

अप्रैल 2023 में, प्रतिद्वंद्वी सैन्य गुटों ने राजधानी ख़ारतूम व उसके आसपास लड़ाई शुरू कर दी थी, जिससे युद्ध भड़क गया. इसमें 15 हज़ार से अधिक लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, और लगभग 95 लाख लोग जबरन विस्थापित हुए हैं, जिनमें सूडान की सीमाओं के पार शरण लेने वाले लगभग 20 लाख लोग शामिल हैं.

क्रूर हिंसा से बचकर भागे

दारफ़ूर में सरकारी हाथों में बचा आख़िरी शहर, क्रूर घेराबंदी का सामना कर रहा है और क्षेत्र के अन्तिम चालू अस्पताल, अल फ़शर को जारी संघर्ष के कारण बन्द करना पड़ा है.

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फ़िलिपो ग्रैंडी ने बताया कि दक्षिण सूडान के कुछ लोग, गृहयुद्ध के कारण अपनी मातृभूमि से भाग गए थे और अब उन्हें गाँवों में वापस जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. वहीं कुछ अन्य सूडानी शिक्षक, डॉक्टर, दुकानदार और किसान आदि लोग, अब एक शरणार्थी के रूप में जीवन बिताने के लिए मजबूर हैं.

उन्होंने कहा, “सीमाओं पर पहुँचने वाले शरणार्थी केवल अमीर देशों का मुददा नहीं है. एक तिहाई शरणार्थी, निम्न व मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं. ऐसे में यह कहना बेहद ग़लत व ग़ैर-ज़िम्मेदाराना होगा कि उनमें से ज़्यादातर योरोप या अमेरिका जैसे देशों में घुसने की कोशिश करते हैं.” 

उन्होंने कहा कि सूडानी शरणार्थियों की मेज़बानी कर रहे देशों को “सबसे कठिन परिस्थितियों” में भी एकजुटता दिखानी होगी. इसके लिए मैं उनकी सराहना करता हूँ. लेकिन वो यह सब अकेले नहीं कर सकते हैं. विभाजन व संघर्ष के इस दौर में, शरणार्थियों व उनके मेज़बानों को एकजुट होना होगा.” 

उम्मीदें बरक़रार 

यूएनएचसीआर प्रमुख ने कहा कि उम्मीद क़ायम है और यह अन्तरराष्ट्रीय दिवस, प्रगति का जश्न मनाने का एक उत्तम अवसर प्रदान करता है.  

उन्होंने कहा कि केन्या में एक साहसिक नई विकास परियोजना के तहत, पुराने शरणार्थी शिविरों को बस्तियों में बदला जा रहा है, जहाँ शरणार्थियों को आगे बढ़ने के अधिक अवसर प्राप्त होंगे.

वहीं, कोलम्बिया में यूएनएचसीआर, वेनेज़ुएला में उत्पीड़न से भागकर आए लगभग 23 लाख शरणार्थियों को सरकारी श्रम बाज़ार प्रणाली में शामिल करने में मदद कर रहा है.

“यूक्रेन में हमने उन लोगों के लिए एक मंच स्थापित किया है, जो अपने घरों की मरम्मत या पुनर्निर्माण करने के लिए सावधानीपूर्वक घर लौट रहे हैं.”  

उन्होंने कहा कि इसके लिए दीर्घकालिक सोच, स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना और सरकारों, विकास भागीदारों व अन्य लोगों के साथ काम करना महत्वपूर्ण होगा.

फ़िलिपो ग्रैंडी ने ज़ोर देते हुए कहा, “हम शरणार्थियों को अधर में लटके नहीं छोड़ सकते; इसके बजाय, आइए उन्हें अपने कौशल व प्रतिभा का उपयोग करने और उन समुदायों में योगदान देने का मौक़ा दें, जिन्होंने उनका खुले दिल से स्वागत किया है.”

विश्व शरणार्थी दिवस के अवसर पर, दक्षिण सूडान से यूएनएचसीआर की सदभावना दूत, मैरी मेकर के साथ एक साक्षात्कार, जिसमें उन्होंने युवा शरणार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण सन्देश दिया है.

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