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पपुआ न्यू गिनी को, भूस्खलन के बाद यूएन की सहायता

पपुआ न्यू गिनी के उत्तरी इलाक़े में 25 मई को हुए भीषण भूस्खलन के बाद राहत और बचाव कार्यों में यूएन एजेंसियाँ भी मदद कर रही हैं.
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पपुआ न्यू गिनी के उत्तरी इलाक़े में 25 मई को हुए भीषण भूस्खलन के बाद राहत और बचाव कार्यों में यूएन एजेंसियाँ भी मदद कर रही हैं.

पपुआ न्यू गिनी को, भूस्खलन के बाद यूएन की सहायता

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियाँ, पपुआ न्यू गिनी (PNG) में चार दिन पहले हुए विनाशकारी भूस्खलन के बाद, राहत और बचाव कार्यों में सक्रिय मदद कर रही हैं. ऐनगा प्रान्त में हुए उस भूस्खलन में लगभग दो हज़ार लोगों के मारे जाने की ख़बरें हैं और मलबे में जीवित लोगों तक पहुँच पाना बहुत कठिन हो रहा है.

पपुआ न्यू गिनी में संयुक्त राष्ट्र की देशीय टीम ने मंगलवार को बताया है कि अभी तक छह शव बरामद किए गए हैं और हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है.

इस भूस्खलन से कुल प्रभावित आबादी की संख्या लगभग 7 हज़ार 849 बताई गई है, जिनमें 1,427 परिवार शामिल हैं. इसमें भी अधिकतर संख्या 16 वर्ष से कम उम्र के किशोरों की है. अनुमानों के अनुसार, इस भूस्खलन में लगभग 150 ढाँचे दफ़न हो गए हैं.

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पुल ध्वस्त

वैसे तो देश के इस उत्तरी प्रान्त में क़बायली लड़ाई के कारण सुरक्षा स्थिति कमज़ोर है, मगर मौजूदा मानवीय सहायता आपूर्ति को सीधे तौर पर कोई ख़तरा नहीं है.

देश में यूएन टीम ने बताया है कि पहाड़ी इलाक़े में मंगलवार सुबह मुख्य पुल ध्वस्त हो गया, जिससे ऐनगा प्रान्त और क्षेत्र के अन्य इलाक़ों के बीच सम्पर्क और पहुँच बाधित हुए हैं.

ऐनगा पहुँचने के लिए वैकल्पिक मार्ग एक अन्य सड़क है जिसके ज़रिए तीन घंटे अतिरिक्त समय लगता है, इसलुए स्थानीय अधिकारी या रक्षा बल, इस पुल को जल्द से जल्द सही करने के लिए काम कर रहे हैं.

पीने के पानी की क़िल्लत

अन्तरारष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) का कहना है कि राहत और बचाव कार्य इस डर से भी जटिल हो रहे हैं कि ज़मीन में जमा हुआ पानी, फिर से अपनी जगह बदल सकता है, और भारी बारिश जारी रहने से भी ख़तरा बढ़ा हुआ है.

संगठन ने आगाह किया है कि मलबे में से अभी बहुत सारे शव दबे हुए हैं, जिनके कारण ये चिन्ताएँ भी बढ़ रही हैं कि पर्वत  नीचे बहने वाला पानी कहीं, पीने के पानी के स्थानीय स्रोतों को कहीं दूषित तो नहीं कर देगा.

आईओएम का कहना है कि इस समय पीने के स्वच्छ पानी की सख़्त ज़रूरत है. समुदाय को आमतौर पर हासिल पानी की अधिकतर मात्रा, इस समय मलबे के नीचे है.

“इसलिए इस समय पानी, भोजन, कपड़े, आश्रय की चीज़ें, किचन के बर्तन और लोगों की मुश्किलों को आसान बनाने वाली अन्य चीज़ों की सख़्त ज़रूरत है.”

सहायता का अनुरोध

देश के राष्ट्रीय आपदा केन्द्र ने यूएन रैज़िडैंट कोऑर्डिनेटर को, अन्तरराष्ट्रीय सहायता के लिए अनुरोध मुहैया कराया है.

सभी साझीदार एजेंसियों से इसी केन्द्र के ज़रिए, प्रान्तीय आपदा प्रबन्धन संस्थाओं के साथ सहयोग व समन्वय करने का आग्रह किया गया है.

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ, यह आपदा होने के समय से ही स्थानीय अधिकारियों की मदद कर रही हैं, जिनमें तलाश और बचाव अभियान, आपदा केन्द्रों की स्थापना और आरम्भिक ज़रूरतों का आकलने करने जैसी सेवाएँ शामिल हैं.

धरातल पर यूएन की मौजूदगी

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन और यूएन विकास कार्यक्रम (UNDP), के कर्मचारी और यूएन मानवीय सहायता समन्वय सलाहकार के साथ-साथ अनेक यूएन एजेंसियों के लोग, धरातल पर मौजूद हैं.

आईओएम, UNDP, यूनीसेफ़, यूएन जनसंख्या कोष, और यूएन वीमैन, राहत सामग्री के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक समर्थन मुहैया कराने के लिए मुस्तैद हैं और वो इसमें स्थानीय आपदा प्रतिक्रिया टीम के साथ समन्वय करेंगी.