मानसिक स्वास्थ्य है उपेक्षा का शिकार, एक ‘वैश्विक प्राथमिकता’ बनाने का समय

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार, 10 अक्टूबर, को ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ के अवसर पर जारी अपने सन्देश में सचेत किया है कि दुनिया भर में क़रीब एक अरब लोग मानसिक स्वास्थ्य अवस्थाओं में जीवन गुज़ार रहे हैं, मगर फिर भी यह स्वास्थ्य देखभाल के सबसे उपेक्षित पहलू में से है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति इस उपेक्षा भाव के कारण गहरे सामाजिक व आर्थिक नतीजे सामने आते हैं.
कुछ देशों में प्रति एक लाख व्यक्तियों के लिये केवल दो मानसिक स्वास्थ्यकर्मी ही उपलब्ध हैं.
बेचैनी और मानसिक अवसाद समस्याओं का एक विशाल वित्तीय बोझ भी चुकाना पड़ता है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को, प्रति वर्ष एक हज़ार अरब डॉलर का नुक़सान झेलना पड़ता है.
It's #WorldMentalHealthDay.
Close to 1️⃣ billion people have a #MentalHealth disorder. Despite the magnitude of mental ill health, relatively few people around the 🌍 have access to quality mental health services.
Let's make mental health & well-being for all a global priority! https://t.co/DYuQJdHmT9
WHO
महासचिव गुटेरेश ने कहा, “हमें स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता को मज़बूत करना होगा, ताकि ज़रूरतमन्द लोगों को गुणवत्तापरक देखभाल मुहैया कराई जा सके, विशेष रूप से युवजन के लिये.”
उन्होंने समुदाय-आधारित सेवाओं के लिये भी प्रोत्साहन देने और मानसिक स्वास्थ्य समर्थन को वृहद स्वास्थ्य व सामाजिक देखभाल में एकीकृत किये जाने पर बल दिया.
“मानसिक कल्याण में निवेश का अर्थ है, स्वस्थ व समृद्ध समुदायों में निवेश.”
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि कथित कलंक और भेदभाव के कारण सामाजिक समावेशन में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि देखभाल और समर्थन की तलाश कर रहे लोगों के रास्ते में पेश आने वाले इन अवरोधों को हटाया जाना होगा.
“और, हमें मानसिक स्वास्थ्य अवस्थाओं के बुनियादी कारणों की रोकथाम करनी होगी, जिनमें हिंसा व दुर्व्यवहार भी है.”
यूएन प्रमुख ने भरोसा दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र अपने साझीदार संगठनों के साथ मिलकर मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्ध है.
उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को एक वैश्विक प्राथमिकता बनाए जाने की अहमियत को भी रेखांकित किया और कहा कि सर्वजन के लिये सर्वत्र गुणवत्तापरक मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिये तत्काल कार्रवाई की जानी होगी.
वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर हुआ है, और महामारी अभी ख़त्म नहीं हुई है.
इसके मद्देनज़र, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हर किसी से आपस में जुड़ने और मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिये मज़बूत प्रयासों का आहवान किया है.
वर्ष 2019 में महामारी से पहले भी, दुनिया में हर आठ में से एक व्यक्ति मानसिक विकार की अवस्था में जीवन गुज़ार रहा था.
मगर, कोरोनावायरस संकट के कारण एक वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हुआ है, दीर्घ- व अल्पकालिक तनाव बढ़े हैं, जिससे लाखों लोगों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार वैश्विक महामारी के पहले वर्ष में, बेचैनी और मानसिक अवसाद सम्बन्धी व्याधियों में क़रीब 25 फ़ीसदी का उछाल दर्ज किया गया है.
वहीं, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में गम्भीर व्यवधान उत्पन्न हुआ है, उपचार सेवाओं में कमी आई है, और ज़रूरी कौशल व वित्त पोषण का अभाव है, विशेष रूप से निम्न- व मध्य-आय वाले देशों में.
बढ़ती सामाजिक और आर्थिक विषमताओं, लम्बे समय से जारी हिंसक टकरावों, हिंसा और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात हालात के कारण जनकल्याण पर असर पड़ा है.
वर्ष 2021 के दौरान, आठ करोड़ 40 लाख लोग जबरन विस्थापन का शिकार हुए थे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ध्यान दिलाया है कि मानसिक स्वास्थ्य के मूल्य को समझना होगा, और मौजूदा हालात में बेहतरी के लिये सभी हितधारकों को संकल्प लेना होगा.
यूएन एजेंसी ने इस क्रम में एक समुदाय-आधारित नैटवर्क पर बल दिया है ताकि सुलभ, पहुँच के भीतर और गुणवत्तापरक सेवाओं व समर्थन को सुनिश्चित किया जा सके.
इस बीच, क़तर में अगले महीने से आयोजित होने वाले फ़ुटबॉल विश्व कप से पहले, मानसिक स्वास्थ्य व कल्याण को बढ़ावा देने के इरादे से, यूएन एजेंसी और क़तर सरकार ने एक नई पहल विकसित की है.
इस पहल के तहत दोहा में स्टेडियम समेत प्रमुख स्थलों पर 32 ‘मैत्री बेंच’ (Friendship bench) स्थापित की जाएंगी, जोकि इस विश्व कप में हिस्सा ले रहीं 32 टीमों को दर्शाएंगी.
यह फ़ीफा और यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की #REACHOUT मुहिम , और क़तर स्वास्थ्य मंत्रालय की “क्या आप ठीक हैं?” (Are You OK?) के साझा मूल्यों के अनुरूप है.
इन बेंच के ज़रिये मैच देखने आ रहे दर्शकों, खिलाड़ियों और कर्मचारियों समेत लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को बढ़ावा दिया जाएगा.