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ईरान: मृत्युदंडों की ‘भयावह लहर’ पर तुरन्त रोक लगाने का आग्रह

ईरान की राजधानी तेहरान का एक दृश्य.
© Unsplash/Hosein Charbaghi
ईरान की राजधानी तेहरान का एक दृश्य.

ईरान: मृत्युदंडों की ‘भयावह लहर’ पर तुरन्त रोक लगाने का आग्रह

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ईरान में 23 वर्षीय युवक मोहम्मद घोबअदलू को मृत्युदंड दिए जाने की कठोर शब्दों में निन्दा की है. उन्होंने ईरान से अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत तयशुदा दायित्वों का निर्वहन करने का आग्रह किया है.

यूएन के विशेष रैपोर्टेयर ने मंगलवार को जारी अपने एक वक्तव्य में क्षोभ प्रकट किया कि मनोसामाजिक विकलागंता के शिकार, मोहम्मद घोबअदलू के मामले में निष्पक्ष ढंग से अदालती कार्रवाई नहीं की गई.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ईरान में मृत्युदंड दिए जाने के मामलों मे आए अभूतपूर्व उछाल पर हैरत जताई है. वर्ष 2023 के दौरान कम से कम 823 लोगों को मौत की सज़ा दी गई, जिनमें से आठ मामले राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों से जुड़े हुए थे.

विशेषज्ञों ने ईरान सरकार से मृत्युदंडों की इस भयावह लहर को रोकने का आग्रह किया है.

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मोहम्मद घोबअदलू को 22 सितम्बर 2022 को कथित तौर पर ईरान में कई महीनों तक चले राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिरासत में लिया गया था.

उन पर तेहरान प्रान्त के रोबात करीम में एक ईरानी अधिकारी को जान से मारने का आरोप लगाया गया, भ्रष्टाचार के मामले में अदालती कार्रवाई हुई और फिर मौत की सज़ा सुनाई गई.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि वे स्तब्ध हैं कि मृत्युदंड के क़ानूनी आधार के लिए घोबअदलू और उनके वकील के पास कोई जानकारी ना होने के बावजूद इस सज़ा पर अमल किया गया.

विशेष रैपोर्टेयर ने ध्यान दिलाया कि ईरान, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत दायित्वों से बंधा है, मगर अदालत में समुचित प्रक्रिया के साथ सुनवाई नहीं हुई.

साथ ही, उन विश्वसनीय रिपोर्टों पर भी गम्भीर चिन्ता व्यक्त की गई है, जिनके अनुसार हिरासत में रखे जाने और मुक़दमे की कार्रवाई के दौरान, मृत्युदंड पाने वाले लोगों को वकील से मिलने की अनुमति नहीं दी गई.

मृत्युदंड के मामलों में उछाल

ईरान में फ़िलहाल कम से कम चार व्यक्तियों को जल्द ही मृत्युदंड दिए जाने की आशंका है, जिनमें मोजाहेद (अब्बास) कूरकूरी, और रेज़ा (घोलाम्रेज़ा) रसाएइ को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों से जुड़े मामलों में सज़ा सुनाई गई थी. 

कम से कम 15 अन्य व्यक्तियों के समक्ष मौत की सज़ा सुनाए जाने का जोखिम है.

इसके मद्देनज़र, स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मृत्युदंड पाने वाले सभी व्यक्तियों को मौत की सज़ा दिए जाने पर तुरन्त रोक लगाने की अपील दोहराई है.

उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए क़दम उठाए जाने होंगे, और अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत समुचित प्रक्रिया व निष्पक्ष अदालती कार्रवाई के मानकों का सख़्ती से अनुपालन किया जाना होगा.

विशेष रैपोर्टेयर ने ज़ोर देकर कहा कि मृत्युदंड दिए जाने और उस पर अमल किए जाने की समीक्षा की जानी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि केवल उन्हीं मामलों में सर्वोच्च दंड दिया जाए, जिन्हें अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्तर्गत सबसे गम्भीर अपराध के रूप में निर्धारित किया गया है. 

मानवाधिकार विशेषज्ञ

विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं. 

उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है. 

ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.

इस वक्तव्य पर दस्तख़त करने वाले मानवाधिकार विशेषज्ञों के नाम यहाँ देखे जा सकते हैं