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यूएन इतिहास के झरोखे से: संयुक्त राष्ट्र में क्यूबा का सबसे लम्बा 'संक्षिप्त' भाषण

क्यूबा के तत्कालीन प्रधानमंंत्री फ़िदेल कास्त्रो, 26 सितम्बर 1960 को, यूएन महासभा के 15वें संत्र को सम्बोधित करते हुए. इस चित्र में फ़िदेल कास्त्रो अपने नोट्स को फाड़कर फेंकते हुए.
UN Photo/Yutaka Nagata
क्यूबा के तत्कालीन प्रधानमंंत्री फ़िदेल कास्त्रो, 26 सितम्बर 1960 को, यूएन महासभा के 15वें संत्र को सम्बोधित करते हुए. इस चित्र में फ़िदेल कास्त्रो अपने नोट्स को फाड़कर फेंकते हुए.

यूएन इतिहास के झरोखे से: संयुक्त राष्ट्र में क्यूबा का सबसे लम्बा 'संक्षिप्त' भाषण

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए अभी तक के सबसे लम्बे भाषण की अवधि कितनी थी.

जवाब है: 269 मिनट यानि 4 घंटा 48 मिनट.

फ़िदेल कास्त्रो ने अपना यह भाषण शुरू करते हुए कहा था, "वैसे तो हमें अपनी बात लम्बाई के साथ कहने की प्रसिद्धि दी गई है, मगर महासभा को चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं हैं."

"हम अपनी बात संक्षिप्त रखने का भरसक प्रयास करेंगे."

वैसे तो यूएन महासभा का सामान्य अनुरोध होता है कि देशों के प्रतिनिधि, अपना सम्बोधन 15 मिनट में समाप्त कर दें, मगर 26 सितम्बर 1960 को, क्यूबा के प्रधानमंत्री फ़िदेल कास्त्रो, सम्बोधन स्थल पर चार घंटे से भी अधिक समय तक रहे. 

यह भाषण, क्यूबा में क्रान्ति होने के एक वर्ष बाद दिया गया था. उस क्रान्ति में संयुक्त राष्ट्र समर्थित तानाशाह एफ़ बतिस्ता को सत्ता से हटाया गया था. फ़िदेल कास्त्रो ने यूएन महासभागार को सम्बोधन का समय, संयुक्त राज्य अमेरिका के उपनिवेशवाद और लातीनी अमेरिका मामलों में उसके हस्तक्षेप की आलोचना करने के लिए किया था.

यूएन वीडियो की, यूएन इतिहास के झरोखे से श्रंखला की इस कड़ी में, फ़िदेल कास्त्रो का भाषण यहाँ सुना/देखा जा सकता है.

1960 में यूएन महासभागार में, क्यूबा के प्रधानमंत्री फ़िदेल कास्त्रो, अपने सहयोगियों और शुभचिन्तकों से घिरे हुए (फ़ाइल चित्र).
UN Photo/Yutaka Nagata