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2023, बड़े अन्तर के साथ, रिकॉर्ड पर अब तक का सर्वाधिक गर्म साल

2023 के दौरान कई महीनों ने तापमान के रिकॉर्ड ध्वस्त किए हैं.
© ADB/Rakesh Sahai
2023 के दौरान कई महीनों ने तापमान के रिकॉर्ड ध्वस्त किए हैं.

2023, बड़े अन्तर के साथ, रिकॉर्ड पर अब तक का सर्वाधिक गर्म साल

जलवायु और पर्यावरण

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने वर्ष 2023 के अब तक का सबसे गर्म साल साबित होने की पुष्टि करते हुए आगाह किया है कि वार्षिक औसत वैश्विक तापमान, औद्योगिक काल से पहले के स्तर की तुलना में 1.5°C की बढ़ोत्तरी के नज़दीक पहुँच रहा है.

यूएन एजेंसी ने वैश्विक तापमान की निगरानी करने वाले छह अग्रणी अन्तरराष्ट्रीय डेटासेट के अध्ययन के आधार पर शुक्रवार को यह जानकारी दी है.

2015 पेरिस जलवायु समझौते में औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य ​रखा गया है. 

यह किसी एक साल के बजाय कई दशकों की अवधि के दौरान तापमान में होने वाली औसत बढ़ोत्तरी को दर्शाता है, और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचने के लिए आवश्यक है. 

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WMO के विश्लेषण के अनुसार, वार्षिक औसत वैश्विक तापमान, पूर्व-औद्योगिक काल (1850-1900) के स्तर की तुलना में, 2023 में लगभग 1.45°C अधिक मापा गया.

जून और दिसम्बर 2023 की अवधि में हर महीने, वैश्विक तापमान ने नए मासिक रिकॉर्ड स्थापित किए और जुलाई व अगस्त ने, अब तक के सर्वाधिक गर्म महीने होने का रिकॉर्ड बनाया.

यूएन एजेंसी की महासचिव प्रोफ़ेसर सेलेस्टे साउलो ने रिपोर्ट के निष्कर्षों को साझा करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन, मानवता के समक्ष सबसे विशाल चुनौती है.

“यह हम सभी को प्रभावित करता है, विशेष रूप से सबसे सम्वेदनशील हालात में रहने वाले लोगों को.”

“हम और अधिक प्रतीक्षा करने का जोखिम मोल नहीं ले सकते हैं. हम पहले से ही क़दम उठा रहे हैं, लेकिन और अधिक कार्रवाई करनी होगी, और हमें यह जल्द करना होगा.”

उन्होंने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में जल्द से जल्द कटौती करने और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ने पर बल दिया है.

‘ऐल नीन्यो’ प्रभाव का असर

यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार ‘ऐल नीन्यो’ और ‘ला नीन्या’, पृथ्वी पर जलवायु प्रणाली के मुख्य वाहक हैं.

‘ला नीन्या’ अपने साथ शीतलन प्रभाव (cooling) को लाता है मगर, पिछले साल उसकी जगह अपने साथ गर्मी लाने वाले ‘ऐल नीन्यो’ प्रभाव ने ले ली.

इस रुझान का वैश्विक तापमान पर सबसे अधिक असर उसके चरम पर पहुँचने के बाद होता है, यानि 2024 और भी गर्म साल साबित हो सकता है.

2024 के शुरू होने के साथ ही, विश्व मौसम विज्ञान संगठन की बागडोर संभालने वाली प्रोफ़ेसर सेलेस्टे साउलो ने कहा कि ऐल नीन्यो स्वाभाविक रूप से घटित होने वाली प्रक्रिया है.

मगर, दीर्घकालिक जलवायु परिवर्तन में तेज़ी आ रही है और यह स्पष्ट है कि इसके लिए मानव गतिविधियाँ ज़िम्मेदार हैं.

गर्माती दुनिया

वर्ष 1980 के दशक से अब तक, हर एक दशक पिछले की तुलना में गर्म साबित हुआ है और पिछले नौ वर्ष रिकॉर्ड पर अब तक के सर्वाधिक गर्म साल हैं.

छह डेटासेट से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले 10 वर्ष (2014-2023) में औसत तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.20°C आंका गया है.

वैश्विक तापमान की दीर्घकालीन निगरानी, जलवायु परिवर्तन में बदलाव का केवल एक संकेतक है.

अन्य संकेतकों में वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की सघनता, महासागर ताप व अम्लीकरण, समुद्री जलस्तर, जमे हुए समुद्री जल की मात्रा, हिमनद द्रव्यमान समेत अन्य शामिल हैं.

यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी की 2023 की रिपोर्ट पिछले वर्ष 30 नवम्बर को प्रकाशित हुई, जिसके अनुसार हर पैमाने पर रिकॉर्ड टूट रहे हैं.