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बांग्लादेश: नवनिर्वाचित सरकार से लोकतंत्र व मानवाधिकारों को मज़बूत करने का आग्रह

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सुदूरघाट पोर्ट टर्मिनल.
© World Bank/KM Asad
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सुदूरघाट पोर्ट टर्मिनल.

बांग्लादेश: नवनिर्वाचित सरकार से लोकतंत्र व मानवाधिकारों को मज़बूत करने का आग्रह

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) वोल्कर टर्क ने बांग्लादेश में रविवार को हुए आम चुनावों के दौरान, विपक्षी उम्मीदवारों के दमन और हिंसा का माहौल व्याप्त होने पर क्षोभ प्रकट किया है. उन्होंने देश की नवनिर्वाचित सरकार से, समावेशी लोकतंत्र और मानवाधिकारों को मज़बूत करने के लिए नए सिरे से क़दम उठाने का आग्रह किया है.

समाचार माध्यमों के अनुसार, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की पार्टी आवामी लीग और सहयोगी दलों ने संसदीय चुनावों में लगातार चौथी बार जीत हासिल की है.

देश के मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने इन चुनावों का बहिष्कार किया था, और उसके नेताओं व समर्थकों को बड़े पैमाने पर गिरफ़्तार किए जाने की ख़बरें थी.

मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने सोमवार को जारी अपने एक वक्तव्य में कहा कि मतदान से पहले, विपक्षी दलों के हज़ारों समर्थको को मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया गया या फिर उन्हें डराया, धमकाया गया. 

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बताया गया है कि मतदान से पहले बांग्लादेश की क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों ने सामूहिक गिरफ़्तारियाँ कीं, लोगों को धमकियाँ दीं, उन्हें जबरन ग़ायब कर दिया गया, उनकी निगरानी की गई और उन्हें ब्लैकमेल भी किया गया.  

मानवाधिकार कार्यालय के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि ऐसे तौर-तरीक़े, एक वास्तविक व प्रामाणिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के अनुरूप नहीं हैं. 

“मैं सरकार से अनुरोध करता हूँ कि सभी बांग्लादेशियों के मानवाधिकारो को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक क़दम उठाए जाएँ, और देश में वास्तव में एक समावेशी लोकतंत्र की नींव को मज़बूत किया जाए.”

चुनावी प्रक्रिया के दौरान राजनैतिक हिंसा के भी मामले सामने आए हैं, जिनमें विपक्षी गुटों द्वारा कथित रूप से आगज़नी किए जाने की रिपोर्टें भी हैं. 

यूएन उच्चायुक्त के अनुसार, 28 अक्टूबर के बाद से अब तक विपक्षी दलों के 25 हज़ार से अधिक समर्थकों को गिरफ़्तार किया गया है, जिनमें प्रमुख नेता भी हैं.

कम से कम 10 विपक्षी समर्थकों की हिरासत में रखे जाने के दौरान मौत हो गई. ऐसे मामलों में लोगों को यातना दिए जाने या उन्हें बेहद कठोर परिस्थितियों में रखे जाने के आरोप हैं.

जवाबदेही तय किए जाने की मांग

अनेक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को मजबूरन छिपना पड़ा, जबकि अन्य देश छोड़कर चले गए. इसके अलावा, नवम्बर महीने में जबरन लापता होने के अनेक मामले सामने आए हैं.

वोल्कर टर्क ने ऐसे सभी मामलों की स्वतंत्र जाँच कराए जाने और दोषियों की निष्पक्ष व पारदर्शी प्रक्रिया के ज़रिए जवाबदेही तय किए जाने की मांग की है.

उनके अनुसार, बांग्लादेश के सभी नागरिकों का भविष्य दाँव पर लगा हुआ है.

“प्रचार के दौरान और चुनाव के दिन उल्लंघन और अनियमितताओं के मामलों की भी विस्तृत और कारगर ढंग से जाँच कराई जानी होगी.”

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि बांग्लादेश में लोकतंत्र को कड़े प्रयासों के बाद हासिल किया गया, और इसके केवल ऊपरी आवरण बनने देने से बचना होगा. 

उन्होंने ध्यान दिलाया कि बांग्लादेश ने, विकास के लिए एक अनुकरणीय मार्ग दर्शाया है, और यही बात, राजनैतिक व संस्थागत क्षेत्र में भी नज़र आनी चाहिए.