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पाकिस्तान से लौटने वाले हताश अफ़ग़ान नागरिकों के समक्ष, अनिश्चित भविष्य

बड़ी संख्या में अफ़ग़ान नागरिकों की वतन वापसी और देश में कमज़ोर स्वास्थ्य प्रणाली होने के कारण चिंता व्याप्त है.
UNOCHA/Shahrokh Pazhman
बड़ी संख्या में अफ़ग़ान नागरिकों की वतन वापसी और देश में कमज़ोर स्वास्थ्य प्रणाली होने के कारण चिंता व्याप्त है.

पाकिस्तान से लौटने वाले हताश अफ़ग़ान नागरिकों के समक्ष, अनिश्चित भविष्य

प्रवासी और शरणार्थी

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) और अन्य साझीदार संगठन, पाकिस्तान से वापिस अफ़ग़ानिस्तान लौटने वाले लोगों को सीमा चौकियों पर महत्वपूर्ण सहायता मुहैया कराने में जुटे हैं. एक अनुमान के अनुसार, अब तक पाकिस्तान से तीन लाख 74 हज़ार से अधिक लोग, भय और जल्दबाज़ी में अफ़ग़ानिस्तान लौटने के लिए मजबूर हुए हैं.

अफ़ग़ान नागरिकों ने मुख्यत: तोरख़म और स्पिन बोल्दाक सीमा चौकियों के ज़रिए अफ़ग़ानिस्तान में प्रवेश किया है, जोकि क्रमश: काबुल और कन्दाहार के नज़दीक हैं. एक दिन में सीमा पार करने वाले लोगों की संख्या 200 से बढ़कर 17 हज़ार तक पहुँच गई है, जिससे संसाधनों और बुनियादी ढाँचे पर अभूतपूर्व असर पड़ा है.

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने, पाकिस्तान में बिना दस्तावेज़ों के रह रहे विदेशी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश दिए जाने से उपजी स्थिति पर चिन्ता व्यक्त की है, जिससे सबसे अधिक अफ़ग़ान नागरिक प्रभावित हए हैं. इनमें पंजीकृत शरणार्थी और जायज़ दस्तावेज़ों के साथ शरण लेने वाले लोग भी हैं.

अफ़ग़ानिस्तान के भीतर सीमा बिन्दुओं पर पहुँचने वाले लोग बुरी तरह थके हुए हैं और उन्हें तत्काल आपात सहायता की आवश्यकता है.

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अनेक लोगों ने उत्पीड़न, उगाही और बुरे बर्ताव की शिकायत की है. ऐसी महिलाओं व बच्चों की भी बड़ी संख्या है, जिन्हें अपना सामान बांधने और अपने स्थान छोड़ने के लिए तैयारी करने का समय नहीं दिया गया. 

पाकिस्तान में यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रतिनिधि फ़िलिप्पा कैंडलर ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि अफ़ग़ान नागरिकों को गिरफ़्तार किए जाने, उन्हें हिरासत में लिए जाने और देश निकाला दिए जाने के मामलों में उछाल दर्ज किया गया है.

पाकिस्तान से अफ़ग़ानिस्तान वापिस पहुँचने वाले लोगों की वजह से देश में पहले से ही जारी मानवीय संकट का बोझ और अधिक बढ़ने की आशंका है.

सर्दी का मौसम एक बड़ी चुनौती है, और कुछ स्थानों पर पारा -4°C तक लुढ़क गया है.

कठोर हालात

अफ़ग़ानिस्तान वापिस लौट रहे नागरिक, संवेदनशील परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी हैं. कठोर सर्दी के मौसम में आश्रय की पर्याप्त व्यवस्था ना होने से उनके जीवन पर जोखिम है.

यूएन शरणार्थी एजेंसी ने पिछले दो सप्ताह में पाकिस्तान में विभिन्न इलाक़ों में हाला का जायज़ा लिया है और वापिस लौट रहे अफ़ग़ान नागरिकों और स्थानीय प्रशासन से मुलाक़ात की है.

ख़ैबर पख़्तूनख़्वा और बलूचिस्तान प्रान्त में अफ़ग़ान लोगों ने बताया कि वे जल्दबाज़ी में देश छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं, चूँकि उन्हें गिरफ़्तारी होने या हिरासत में लिए जाने की आशंका है.  

इनमें कई पंजीकृत शरणार्थी भी हैं, जिन्हें सरकारी आदेश से छूट है.

मगर, पाकिस्तान सरकार की घोषणा और उसके बाद से हुई कार्रवाई से, अफ़ग़ान नागरिकों में भय व्याप्त है. उन्हें डराए धमकाए जाने और मकान मालिकों द्वारा बेदख़ल किए जाने की जानकारी मिली है.

पाकिस्तान सरकार से आश्वासन मिलने के बावजूद, वापिस लौटने का दबाव होने से अफ़ग़ान समुदाय भीषण तनाव में है.

स्वैच्छिक वापसी पर बल

यूएन एजेंसी की प्रतिनिधि फ़िलिप्पा कैंडलर ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में लोगों की वापसी स्वैच्छिक, सुरक्षित और गरिमामय ढंग से की जानी होगी, भले ही उनका पाकिस्तान में क़ानूनी दर्जा कुछ भी हो.

“हमने पाकिस्तान सरकार से एक जाँच व्यवस्था स्थापित करने का आग्रह किया है ताकि अन्तरराष्ट्रीय संरक्षण की ज़रूरत वाले लोगों की पहचान की जा सके.”

इस क्रम में, यूएन एजेंसी ने पाकिस्तान को समर्थन देने की पेशकश की है, ताकि पाकिस्तान सरकार की जायज़ चिन्ताओं और देश में अफ़ग़ान नागरिकों की सुरक्षा का ध्यान रखा जा सके.

यूएन एजेंसी ने पाकिस्तान प्रशासन द्वारा जारी उन वक्तव्यों का स्वागत किया है, जिनमें अफ़ग़ान लोगों के साथ बुरा बर्ताव और उगाही करने वाले लोगों के विरुद्ध क़ानूनी कार्रवाई किए जाने की बात कही गई है.  

यूएन शरणार्थी एजेंसी - UNHCR, पाकिस्तान से वापिस लौटने वाले अफ़ग़ान शरणार्थियों की मदद के लिए, अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है.
© UNHCR/Caroline Gluck