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‘मानवता को, यूएन से अब कोई उम्मीद नहीं’ ज़ेलेंस्की

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए (20 सितम्बर 2023).
UN Photo/Manuel Elias
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए (20 सितम्बर 2023).

‘मानवता को, यूएन से अब कोई उम्मीद नहीं’ ज़ेलेंस्की

शान्ति और सुरक्षा

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने यूएन सुरक्षा परिषद का विस्तार किए जाने और इसके स्थाई सदस्यों को हासिल वीटो के अधिकार में सुधार किए जाने की पुकार लगाई है. उन्होंने सुरक्षा परिषद को, यूएन मुख्यालय में पहली बार बुधवार को व्यक्तिगत मौजूदगी के साथ सम्बोधित किया है.

वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने अनुवादक के माध्यम से अपनी बात रखते हुए कहा, “आप चाहे कोई भी हों, मौजूदा यूएन व्यवस्था, आपको, केवल कुछ ही देशों को हासिल वीटो शक्ति वाले सदस्यों की तुलना में कम प्रभावशाली बनाती है, और इस शक्ति का एक देश – रूस ने दुरुपयोग किया है. ये स्थिति, अन्य यूएन सदस्यों के लिए न्यायपूर्ण नहीं है.”

टिकाऊ सुधार प्रक्रिया

यूएन महासभा के 78वें सत्र की उच्च स्तरीय जनरल डिबेट में शिरकत करने के लिए यूएन मुख्यालय में मौजूद विश्व नेता और विदेश मंत्री, वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की बात सुनने के लिए, सुरक्षा परिषद के चैम्बर में उमड़ पड़े. 

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इस बैठक का विषय था – यूक्रेन युद्ध के सन्दर्भ में प्रभावशाली बहुपक्षवाद के ज़रिए यूएन चार्टर को लागू रखना.

ग़ौरतलब है कि यूएन चार्टर संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक दस्तावेज़ है, और इसमें अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों के प्रमुख सिद्धान्त वर्णित हैं, जिनमें देशों की समान सम्प्रभुता और अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों में, बल प्रयोग की निषिद्धता भी शामिल हैं.

वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने सुरक्षा परिषद में कहा, “हमें ये मानना होगा कि संयुक्त राष्ट्र, आक्रमण के मामलों में, ख़ुद को गतिरोध में खड़ा पाता है. जब देशों की सम्प्रभु सीमाओं की हिफ़ाज़त करने की बात आती है तो मानवता अब संयुक्त राष्ट्र पर अपनी उम्मीदें नहीं टिकाती है.”

सुधार और प्रतिनिधित्व

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा कि वो विश्वस्त हैं कि यूएन चार्टर, दुनिया भर में शान्ति व सुरक्षा की ख़ातिर, प्रभावशाली रूप में काम करेगा.

उन्होंने कहा, “अलबत्ता, ऐसा होने के लिए, यूएन सुधारों के लिए वर्षों से चल रही चर्चा और परियोजनाओं को, इस विश्व संगठन में टिकाऊ सुधार के लिए, वास्तविकता में तब्दील करना होगा.”

“और ये सुधार सुरक्षा परिषद में केवल प्रतिनिधित्व के बारे में ही नहीं नहीं होना चाहिए. बल्कि वीटो शक्ति के प्रयोग के बारे में भी सुधार की आवश्यकता है.”

यूक्रेन के लिए यूएन प्रतिबद्धता

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद की इस बैठक को अपने सम्बोधन में, यूक्रेन की सम्प्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता को रेखांकित किया.

उन्होंने कहा, “यूक्रेन पर रूस का आक्रमण, यूएन चार्टर और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का स्पष्ट उल्लंघन है, जो भूराजनैतिक तनावों और विभाजनों को बढ़ा रहा है, क्षेत्रीय अस्थिरता को ख़तरे में डाल रहा है, परमाणु जोखिम बढ़ा रहा है, और लगातार बहुध्रुवीय रूप लेती हमारी दुनिया में गहरी दरारें उत्पन्न कर रहा है.”

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “और ये सब कुछ ऐसे समय में हो रहा है जब बहुपक्षीय समाधानों के लिए सहयोग और समायोजन की आवश्यकता, पहले से कहीं अधिक है. इनमें जलवायु संकटों से लेकर असमानता के अभूतपूर्व स्तरों और गतिरोधक प्रौद्योगिकियों तक की चुनौतियों का सामना करना शामिल है.”

संवाद, राजनय और शान्ति

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र यूक्रेन युद्ध की निन्दा करने में स्पष्ट रहा है. उन्होंने याद करते हुए बताया कि यूएन महासभा ने एक ऐसा प्रस्ताव ज़ोरदार सम्मति से पारित किया था जिसमें रूस को यूक्रेन से बाहर निकलने का मांग की गई थी.

यूएन प्रमुख ने इस युद्ध की रक्तरंजित क़ीमत का भी ख़ाका पेश किया, जिसमें आम लोगों व सिविल बुनियादी ढाँचे पर बेतहाशा तरीक़े से हमले होना शामिल है. इनमें लाखों लोग हताहत हुए हैं, मानवाधिकारों का घोर हनन हुआ है, और लाखों अन्य लोगों को सहायता व संरक्षा की सख़्त ज़रूरत है.

उन्होंने कहा, “ये युद्ध पहले ही असीम कष्ट दे रहा है. इस युद्ध के जारी रहने से, और भी कष्ट व तकलीफ़ें बढ़ेंगे. संवाद, राजनय, और न्यायसंगत शान्ति का कोई विकल्प नहीं है.”

इस चर्चा के अन्त में, संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वैसिली नेबेन्ज़या ने ये सवाल उठाया कि राष्ट्रपति ज़िलेंस्की को सुरक्षा परिषद में, उन देशों से पहले बोलने की अनुमति किस आधार पर दी गई, जो सुरक्षा परिषद में हैं.

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लैवरॉव, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए (फ़ाइल फ़ोटो).
UN Photo/Evan Schneider

यूएन चार्टर का पूर्ण सम्मान हो

इस चर्चा के अन्त में, संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वैसिली नेबेन्ज़या ने ये सवाल उठाया कि राष्ट्रपति ज़िलेंस्की को सुरक्षा परिषद में, उन देशों से पहले बोलने की अनुमति किस आधार पर दी गई, जो सुरक्षा परिषद में हैं.

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लैवरॉव ने, अपने देश की तरफ़ से, सुरक्षा परिषद के चैम्बर में अपनी बात रखते हुए कहा कि उनका देश लगातार ये ज़ोर देता रहा है कि यूएन चार्टर के तमाम प्रावधानों का सम्मान हो और उन्हें अपनी सुविधानुसार नहीं, बल्कि सम्पूर्णता में लागू किया जाए.

उन्होंने अनुवादक के माध्यम से कहा, “इसमें तमाम देशों का सम्प्रभु समानता, उनके अन्दरूनी मामलों में अ-हस्तक्षेप, उनकी क्षेत्रीय सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का सिद्धान्त, और लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का सम्मान करना शामिल है.”