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यूक्रेन: सुरक्षा परिषद के मतदान से निकला, यूएन महासभा के विशेष आपात सत्र का रास्ता

यूक्रेन स्थिति पर, यूएन सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक, 27 फ़रवरी 2022
UN Photo/Loey Felipe
यूक्रेन स्थिति पर, यूएन सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक, 27 फ़रवरी 2022

यूक्रेन: सुरक्षा परिषद के मतदान से निकला, यूएन महासभा के विशेष आपात सत्र का रास्ता

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने, यूक्रेन पर रूस के सैन्य अभियान मुद्दे पर, 193 सदस्यों वाली यूएन महासभा का विशेष आपात सत्र बुलाने के लिये, रविवार को एक मतदान के ज़रिये रास्ता साफ़ किया है. यूएन महासभा का इस तरह का सत्र बहुत असाधारण होता है जोकि सोमवार को होगा. 1950 से अभी तक, यूएन महासभा के ऐसे केवल 10 सत्र हुए हैं.

यूएन महासभा का ये विशेष आपात सत्र बुलाने की प्रक्रिया के समर्थन में 11 मत पड़े, रूस ने इसके ख़िलाफ़ मतदान किया, और चीन, भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.

ध्यान रहे कि शुक्रवार को भी सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक हुई थी जिसमें अमेरिका ने, यूक्रेन पर रूस के हमले की कड़ी निन्दा करने वाला एक प्रस्ताव पेश किया था. 

रूस द्वारा वीटो किये जाने के कारण, वो प्रस्ताव पारित नहीं हुआ था. चीन, भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने, मतदान में हिस्सा नहीं लिया था.

शनिवार को, सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक में पेश किया गया आलेख, प्रक्रियात्मक था, जिस पर पाँचों स्थाई सदस्य देशों - चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका में से कोई भी सदस्य देश वीटो का प्रयोग नहीं कर सका. 

इस प्रक्रिया को पारित होने के लिये, केवल नौ मतों की ज़रूरत थी.

शान्ति की ख़ातिर एकता - Uniting for Peace 

1950 में एक प्रस्ताव संख्या 377A(V) पारित हुआ था जिसका नाम था - 'Uniting for Peace.' उसके बाद से, यूएन महासभा के ऐसे केवल 10 विशेष आपात सत्र आयोजित हुए हैं.

उस आलेख में यूएन महासभा को ऐसी स्थिति में, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के मामले, उठाने का अधिकार दिया गया है जब सुरक्षा परिषद, पाँच स्थाई सदस्य देशों के बीच, किसी सहमति के अभाव में, कोई कार्रवाई करने में असमर्थ होती है.

ध्यान रहे कि पाँचों स्थाई सदस्यों के पास वीटो के अधिकार हैं और किसी भी एक देश द्वारा अपने वीटो का अधिकार प्रयोग करने से, सुरक्षा परिषद में कोई भी कार्रवाई सर्वसहमति से पारित नहीं हो सकती.

अगला क़दम

27 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूसी सैन्य हमले जारी रहने के दौरान, हिंसा से बचने के लिये भागते लोग.
© UNICEF/Viktor Moskaliuk
27 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूसी सैन्य हमले जारी रहने के दौरान, हिंसा से बचने के लिये भागते लोग.

यूएन महासभा के सोमवार को आयोजित होने वाले इस विशेष आपात सत्र में, सदस्यों के बयानों के बाद, उसी तरह के प्रस्ताव पर मतदान होने की अपेक्षा है जैसाकि शुक्रवार को, सुरक्षा परिषद में पेश किया गया था.

यूएन महासभा के प्रस्ताव वैसे तो बाध्यकारी नहीं होते हैं, मगर उनका राजनैतिक वज़न होता है क्योंकि उनमें संयुक्त राष्ट्र के ज़्यादा सदस्यों की राय झलकती है.

सुरक्षा परिषद के ये ताज़ा क़दम, यूक्रेन संकट को हल करने के लिये, संयुक्त राष्ट्र के सप्ताह भर के कूटनैतिक प्रयासों का हिस्सा हैं, जिनमें महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की लगभग दैनिक प्रैस वार्ताएँ, सुरक्षा परिषद की चार आपात बैठकें, और यूएन महासभा की एक बैठक भी शामिल हैं. इन सभी मंचों पर, वक्ताओं ने, तनाव कम करने की अपीलें कीं.

यूक्रेन पर रूस के सैन्य अभियानों के कारण, शनिवार को लोगों के हताहत होने और बहुत से लोगों के रक्षा की तलाश में अपने घर छोड़कर जाने की ख़बरों के बीच, यूएन प्रमुख ने घोषणा की कि, संयुक्त राष्ट्र जल्द ही, यूक्रेन में मानवीय सहायता अभियानों के लिये सहायता राशि जुटाने की एक अपील जारी करेगा.

‘युद्ध का विकल्प चुनने’ के लिये जवाबदेही

सुरक्षा परिषद में रविवार को हुए मतदान के बाद, अमेरिकी राजदूत लिण्डा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने कहा कि सुरक्षा परिषद ने, यूक्रेन पर हमले के लिये रूस को जवाबदेह ठहराने की दिशा में, आज एक अहम क़दम उठाया है. 

उन्होंने कहा, “यूएन महासभा का आपात विशेष सत्र आयोजित करने का आहवान करके... (हमने) ये तो माना है कि यह कोई साधारण लम्हा नहीं है और हमारी अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिये इस जोखिम का सामना करने के लिये, हमें असाधारण क़दम उठाने की ज़रूरत है.”

उन्होंने साथ ही ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की इस तरह की एक बैठक, रूस द्वारा युद्ध का रास्ता चुनने के मुद्दे पर, उनकी आवाज़ें सुनने के लिये महत्वपूर्ण है.

रविवार की बैठक बुलाने वाले देशों में अल्बानिया भी था. अल्बानिया के राजदूत फ़ेरिट हॉक्सहा ने कहा कि वैसे तो ये मतदान केवल प्रक्रियात्मक था, मगर आलेख “ऐतिहासिक सन्दर्भों में से एक था. एक ऐसा मौक़ा जो महासभा के विशाल दरवाज़े खोलेगा, जोकि एक ऐसा स्थान है जहाँ पूरी दुनिया एकत्र होती है“, और एक अकारण युद्ध के विरुद्ध व यूएन चार्टर के समर्थन में अपनी आवाज़ बुलन्द कर सकती है, “इनमें वो रूसी नागरिक भी शामिल हैं जिन्हें दुनिया की आवाज़ सुननी है और सुनना है कि दुनिया क्या कह रही है.”

“हम जैसे छोटे सदस्यों सहित तमाम सदस्य देशों को याद रखना होगा कि यूएन चार्टर ही, हमारा सबसे अच्छा दोस्त है, हमारी सर्वश्रेष्ठ सेना और सर्वश्रेष्ठ रक्षापंक्ति. रूस किसी भी लम्हा समझदारी का परिचय दे सकता है और युद्ध रोक सकता है, और अपनी सेनाओं को वापिस बुला सकता है, बातचीत के रास्ते पर वापिस लौट सकता है – शान्ति के लिये असल बातचीत... मगर इसके लिये, तार्किकता, साहस और बुद्धिमानी की ज़रूरत है, ना कि विनाश के लिये धमकियाँ देने की.”

27 फ़रवरी 2022 को, यूक्रेन पर रूसी सैन्य कार्रवाई जारी रहने के दौरान, कँपकपाती सर्दी में लोग, सुरक्षा की तलाश में भागते हुए.
© UNICEF/Viktor Moskaliuk
27 फ़रवरी 2022 को, यूक्रेन पर रूसी सैन्य कार्रवाई जारी रहने के दौरान, कँपकपाती सर्दी में लोग, सुरक्षा की तलाश में भागते हुए.

फ्रेंच राजदूत निकोला डी रिवियेरे ने कहा कि रूस, शुक्रवार को प्रस्ताव पर वीटो करने पर अलग-थलग पड़ गया, जिसमें यूक्रेन पर रूस के हमले की निन्दा करने की बात कही गई थी.

उन्होंने कहा, “महासभा के ये विशेष सत्र, यूएन चार्टर और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून की रक्षा करने और यूक्रेन के ख़िलाफ़ हमले को रोकने के इरादे से, एक महत्वपूर्ण क़दम है.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि राष्ट्रपति मैक्राँ ने सोमवार को सुरक्षा परिषद के एक और आपात बैठक बुलाई है, जिसमें फ्रांस और मैक्सिको, युद्ध रोकने, आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, प्रभावित आबादी की मानवीय सहायता की सुरक्षित व निर्बाध आपूर्ति व उपलब्धता का रास्ता साफ़ करने की मांग की जाएगी.

एकजुटता व अन्तरराष्ट्रीय क़ानून की प्रमुखता बनाए रखने के लिये उठ खड़े होना, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का एक कर्तव्य है.

‘परिषद सच का सामना करने में नाकाम’

रूसी महासंघ के राजदूत वैसिली नेबेन्ज़या ने कहा कि उन्होंने प्रस्ताव के मसौदे के विरोध में इसलिये मतदान किया क्योंकि उसके प्रस्तावकों को ध्यान होगा कि सुरक्षा परिषद, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा बरक़रार रखने का अपना प्रमुख कर्तव्य निभाने में नाकाम रही है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “मगर साथ ही, हमने परिषद में एक रचनात्कम समाधान तलाश करने के लिये, किसी ऐसे प्रयास का अंश मात्र भी नहीं देखा. अन्ततः दो दिन पहले, हमने एक प्रस्ताव को इसी कारण से वीटो किया कि ये इकतरफ़ा और असन्तुलित था. हमने कोई नई पहलें नहीं देखी हैं.”

‘हवाई हमले, आक्रमण और बेतुके दावे’

यूक्रेन के राजदूत सर्गिय किसलित्सया ने, यूएन महासभा का आपात विशेष सत्र बुलाने के समर्थन में मतदान करने वाले देशों का धन्यवाद किया.

यूक्रेन के राजदूत ने, इस सत्र के समर्थन में मतदान नहीं करने वाले देशों, जिनमें रूस भी शामिल है, से कहा कि वो यूक्रेन में आज सुनाई देने वाली सबसे ज़्यादा ध्वनियो को सुनें – “ध्यान दें, हवाई हमले, सुरक्षित स्थानों के लिये दौड़ें.’

उन्होंने ये भी बताया कि यूक्रेन ने, रूसी आक्रमण रोकने के लिये क़दम उठाने के अनुरोध के साथ, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का रुख़ किया है और आपात सुनवाई की अपील की है.

न्यायालय के पास इस तरह के मामलों की सुनवाई करने का अधिकार है और उसे ये अन्तरराष्ट्रीय ज़िम्मेदारी जनसंहार की रोकथाम पर कन्वेन्शन के अन्तर्गत दी गई है.