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‘विज्ञान के बेहतर इस्तेमाल के लिए, 'टूल बॉक्स' तैयार करें - उपमहासचिव

यूएन उपमहासचिव, आमिना जे मोहम्मद ने भारत के बेंगलुरू में, इन्फ़ोसिस दफ़्तर का दौरा किया, जहाँ उन्होंने इन्फ़ोसिस के सह-अध्यक्ष व सह-संस्थापक, नन्दन नीलेकणि व सह-अध्यक्ष एवं शिक्षाविद्, सुधा मूर्ति से भेंट की.
UN India/Vivek Muthuramalingam
यूएन उपमहासचिव, आमिना जे मोहम्मद ने भारत के बेंगलुरू में, इन्फ़ोसिस दफ़्तर का दौरा किया, जहाँ उन्होंने इन्फ़ोसिस के सह-अध्यक्ष व सह-संस्थापक, नन्दन नीलेकणि व सह-अध्यक्ष एवं शिक्षाविद्, सुधा मूर्ति से भेंट की.

‘विज्ञान के बेहतर इस्तेमाल के लिए, 'टूल बॉक्स' तैयार करें - उपमहासचिव

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र उप महासचिव आमीना जे मोहम्मद अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान, बुधवार को देश के इलैक्ट्रॉनिक शहर, बैंगलूरू पहुँचीं, जहाँ उन्होंने आईटी कम्पनी इन्फ़ोसिस का दौरा किया और भारत के डिजिटल पहचान प्रयासों के बारे में जानकारी ली. उपमहासचिव, इसके बाद भारतीय विज्ञान संस्थान गईंजहाँ उन्होंने एसडीजी में तेज़ी लाने के लिए तकनीकी नवाचारों पर चर्चा की.

यूएन उपमहासचिव ने भारत यात्रा के अन्तिम दिन बुधवार को, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में, संस्थान के विशेषज्ञों के साथ टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने की दिशा में तेज़ी लाने के लिए तकनीकी नवाचारों पर चर्चा की. 

इस अवसर पर, संस्थान (IISc) के शिक्षाविदों/शोधकर्ताओं ने, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि आदि क्षेत्रों में अपने नवाचार अनुसन्धानों के बारे में जानकारी दी, जिनमें से अनेक के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किया जा रहा है.

उपमहासचिव ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों को तेज़ी से हासिल करने के लिए, शायद अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) विशेषज्ञों को चुनौती जारी की जानी चाहिए.

उन्होंने शोधकर्ताओं से कहा, “मैंने यहाँ भोजन व्यवस्था के बारे में सुना, आवासीय समाधानों के बारे में जाना, शिक्षा के बारे में जानकारी ली. तो महत्वपूर्ण यह है कि उपलब्ध समाधानों को एक साथ लाकर किस तरह एक ‘टूल-बॉक्स’ तैयार किया जाए, जिससे विज्ञान का बेहतर इस्तेमाल किया जा सके.” 

उपमहासचिव आमिना जे मोहम्मद ने नैतिक एवं समावेशी कृत्रिम बुद्धिमत्ता व डेटा क्षमता निर्माण की महत्ता पर ज़ोर दिया. “विज्ञान और एसडीजी की क्षमता को किसी ढाँचे में व्यवस्थित करने के तरीक़े ढूँढने आवश्यक हैं, जिससे उनका उपयोग, नीति निर्माण के लिए किया जा सके.” 

यूएन उपमहासचिव ने बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के विशेषज्ञों के साथ एसडीजी हासिल करने के लिए तकनीकी नवाचारों पर बातचीत की.
UN India/Vivek Muthuramalingam

‘डिजिटल स्टैक’ का जायज़ा

उपमहासचिव आमिना जे मोहम्मद ने, इससे पहले बैंगलूरू में, भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कम्पनी इन्फोसिस का दौरा किया, जहाँ उन्होंने इन्फ़ोसिस के सह-अध्यक्ष व सह-संस्थापक, नन्दन नीलेकणि व सह-अध्यक्ष एवं शिक्षाविद्, सुधा मूर्ति से भेंट करके, डिजिटल इंडिया की कहानी जानी. 

आधार कार्ड, यूपीआई, फ़ास्ट टेग, जीएसटी जैसी टैक्नोलॉजी देकर, भारत में डिजिटल क्रान्ति लाने वाले, नन्दन नीलेकणि ने सार्वजनिक डिजिटल ढाँचे के महत्व व लोगों का जीवन बदलने में उसकी भूमिका पर प्रकाश डाला. 

वहीं शिक्षाविद् सुधा मूर्ति ने कहा कि शिक्षा का अर्थ, परस्पर प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि लोगों का विकास करना व उन्हें अवसर देना है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा काम्बोज ने इस अवसर पर कहा कि यह ज़रूरी है कि अकादमिक उत्कृष्टता पर अत्यधिक ज़ोर देने के बजाय, शिक्षा के ज़रिए सहनक्षमता सिखाई जाए, ताकि लोग जीवन के उतार-चढ़ाव का मुक़ाबला कर सकें.

वहीं, उप महासचिव ने परिवर्तनकारी कार्रवाइयों के महत्व पर बल देते हुए कहा कि अगर हमें टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने हैं, तो ज़रूरी होगा कि कोई भी पीछे न छूट जाए. उन्होंने साल 2022 में, शिक्षा में परिवर्तनकारी बदलावों पर हुए संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन को याद करते हुए, लोगों को समान अवसर मुहैया कराने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.

ख़ास बात यह है कि इन्फ़ोसिस को, संयुक्त राष्ट्र के 'क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ' श्रेणी में संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है. जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने प्रयासों के लिए मान्यता प्राप्त करने वाली यह भारत की एकमात्र कम्पनी है. 

इन प्रयासों के तहत: उत्सर्जन कम करने के लिए ऊर्जा दक्षता; उत्सर्जन से बचने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा; और उत्सर्जन की भरपाई के लिए कार्बन ऑफ़सेट परियोजनाएँ शामिल हैं.

इसके बाद एक लंच बैठक में उपमहासचिव ने, भारत के ‘डिजिटल स्टैक’ का लाभ उठाने वाले उद्यमियों से मुलाक़ात की और उनसे इन डिजिटल तरीक़ों के बारे में विस्तार से बात की. 

यूएन उप प्रमुख ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी शोध संस्थाओं व औद्योगिक जगत के प्रतिनिधियों से मिलकर, उन नवाचारी पहलों पर जानकारी हासिल की, जिन्हें विकासात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित देशों (वैश्विक दक्षिण) में अपनाया जा सकता है.  

संयुक्त राष्ट्र उपमहासचिव आमिना जे मोहम्मद ने, इससे पहले, मंगलवार को अपनी यात्रा के दूसरे दिन, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाक़ात की और जी20 से जुड़े मुद्दों, टिकाऊ विकास लक्ष्य की स्थिति और जलवायु चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया.

भारत का डिजिटल स्टैक - कुछ तथ्य

  • पहचान की अवधारणा को टिकाऊ विकास लक्ष्य (एसडीजी)16 में मान्यता दी गई है, जिसमें 16.9 लक्ष्य में "2030 तक, सर्वजन के लिए, जन्म पंजीकरण समेत समस्त क़ानूनी पहचान प्रदान करना" शामिल है.
  • भारत में ‘आधार बायोमेट्रिक पहचान’ के ज़रिए, डिजिटल सार्वजनिक सेवा उपलब्धता का विस्तार किया गया है, जो देश में वित्तीय समावेशन का आधार बना, और 2014 से इससे बैंकिंग सुविधा विहीन भारतीय नागरिकों के लिए, 49 करोड़ 20 लाख से अधिक बैंक खाते खोलने में सफलता मिली.
  • एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI) भी ‘भारतीय स्टैक’ का एक अभिन्न अंग है, जिससे डिजिटल वॉलेट और बैंक खातों के बीच, धनराशि का त्वरित हस्तान्तरण सम्भव हुआ है. भारत में अधिकांश छोटे खुदरा भुगतान अब UPI के माध्यम से होते हैं.
  • आधार पहचान पत्रों के ज़रिए, सामाजिक सेवाओं, वित्तीय समावेशन, कनेक्टिविटी व डिजिटल अर्थव्यवस्था को जोड़कर, केन्द्र और राज्य सरकारों के अनेक कार्यक्रमों/योजनाओं के कार्यान्वयन में लाभ उठाया गया है.
भारतीय विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों के साथ, यूएन उपमहासचिव, आमीना जे मोहम्मद.
UN India/Vivek Muthuramalingam