हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका में गम्भीर भूख संकट, ‘मौत को ताक रहे हैं सवा लाख लोग’

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुक्रवार को आगाह किया है कि हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका क्षेत्र में जलवायु झटकों, हिंसक असुरक्षा और बीमारियों के कारण, एक लाख 30 हज़ार से अधिक लोगों पर मौत मंडरा रही है, जबकि पाँच करोड़ लोगों को संकट स्तर पर खाद्य असुरक्षा से जूझना पड़ रहा है.
हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका क्षेत्र में स्थित देशो में जिबूती, सोमालिया, सूडान, दक्षिण सूडान, इथियोपिया, युगांडा और केनया हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की अनुभवी कर्मचारी लिऐसबेथ ऐलब्रेश्ट ने जिनीवा में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान, गहरी चिन्ता साझा करते हुए कहा है कि पिछले दो दशकों से अधिक समय में पहली बार हालात इतने ख़राब हैं.
इस पृष्ठभूमि में, ग्रेटर हॉर्न क्षेत्र में सात प्रभावित देशों में मानवीय राहत अभियान के लिए, 17 करोड़ 80 लाख डॉलर की सहायता धनराशि की अपील की गई है.
यूएन एजेंसी की कर्मचारी ऐलब्रेश्ट के अनुसार, खाद्य असुरक्षा का शिकार लगभग चार करोड़ 80 लाख लोगों में क़रीब सवा लाख, विनाशकारी परिस्थितियों से जूझ रहे हैं, यानि उनके सामने भुखमरी है और वे वस्तुत: अपनी आँखों के सामने मौत देख रहे हैं.
उन्होंने कहा कि दक्षिण सूडान और सोमालिया में लोगों को सर्वाधिक जोखिम का सामना करना पड़ रहा है.
इन देशों में गम्भीर भूख संकट के अलावा, बड़ी संख्या में बीमारियों के मामले भी सामने आए हैं, जोकि इस सदी में पहले कभी नहीं देखा गया.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, सभी सात देशों को ख़सरे का मुक़ाबला करना पड़ रहा है, और पर्याप्त भोजन करने वालों की तुलना में, कुपोषण के शिकार लोगों के बीमार होने की सम्भावना अधिक होती है.
“चार देशों को हैज़ा से लड़ना पड़ रहा है, जिनमें से एक दक्षिण सूडान है, जिन्होंने हाल ही में प्रकोप की घोषणा की है,” जबकि मलेरिया के मामलों में भी उछाल दर्ज किया गया है.
स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि ग्रेटर हॉर्न क्षेत्र में हेपेटाइटिस, मेनिनजाइटिस और डेंगू बुखार के मामले भी एक साथ उभर रहे हैं. सूडान की राजधानी खारतूम में डेंगू के पहले मामले की पुष्टि इस वर्ष फ़रवरी में हुई थी.
“इन बीमारियों के फैलाव की आवृत्ति, सीधे तौर पर चरम मौसम घटनाओं और जलवायु परिवर्तन से सम्बन्धित है.”
यूएन कर्मचारी ने बताया कि वह इस क्षेत्र में पिछले 25 वर्षों से काम कर रही हैं, और तुलनात्मक दृष्टि से पहले कभी इतने ख़राब आपात हालात नहीं देखे गए हैं.
मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनज़र, यूएन एजेंसी ने गम्भीर कुपोषण से सम्बन्धित चिकित्सा जटिलताओं से पीड़ित लोगों के उपचार का दायरा व स्तर बढ़ाने के लिए, 17 करोड़ 80 लाख डॉलर की अपील की है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की अपील की मदद से सचल स्वास्थ्य केन्द्र प्रदान किए जा सकेंगे, जिससे स्थानीय स्वास्थ्य प्रणाली को ध्वस्त होने से बचाया जा सकेगा.
बताया गया है कि बड़ी संख्या में हताश व निराश चरवाहा समुदाय के सदस्य अपने घर छोड़कर नगरों का रुख़ कर रहे हैं.
यूएन एजेंसी ने कहा कि इन बीमारियों के प्रकोप पर नियंत्रण पाने के लिए हरसम्भव प्रयास किए जाने होंगे.
यूएन कर्मचारी के अनुसार हैज़ा पर क़ाबू पाने के उपाय पता है, अब उनका दायरा व स्तर बढ़ाने के लिए असल में संसाधनों की ज़रूरत है.