दक्षिण सूडान: 'बढ़ती हिंसा' पर विराम लगाने के लिये तत्काल हस्तक्षेप की अपील
दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNMISS) ने अपने अन्तरराष्ट्रीय साझेदार संगठनों के साथ मिलकर ग्रेटर पिबोर क्षेत्र में, जोंगलेई राज्य के हथियारबन्द युवाओं द्वारा बढ़ती हिंसा पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह किया है. समाचारों के अनुसार, रविवार से अब तक कम से कम 57 लोगों की मौत हो चुकी है और अनेक अन्य घायल हुए हैं.
यूएन मिशन, अफ़्रीकी संघ मिशन, क्षेत्रीय ब्लॉक IGAD, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, नॉर्वे, योरोपीय संघ, और दक्षिण सूडान में युद्धरत पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित शान्ति समझौते पर नज़र रखने वाले निकाय (R-JMEC) ने बुधवार को एक बयान जारी किया.
इसमें बढ़ती हिंसा, जीवन हानि और भारी हथियारों के कथित इस्तेमाल की ख़बरों पर चिन्ता जताई गई है.
#UNMISS & international partners express grave concern over escalating violence, loss of life in the Greater Pibor Administrative Area; call on South Sudanese leaders to urgently intervene.
Full Press Release: https://t.co/2xb7I0gSfm
#A4P
@RJMECsouthsudan @EUinSouthSudan
unmissmedia
समाचार माध्यमों में, एक स्थानीय अधिकारी के हवाले से जानकारी दी है कि न्यूर समुदाय के युवकों ने ग्रेटर पिबोर में मुरले जातीय समूह के सदस्यों पर हमला किया था.
ग्रेटर पिबोर के सूचना मंत्री के अनुसार, ये लड़ाई तब शुरू हुई जब कुछ सशस्त्र युवकों ने लानाम गाँव पर हमला किया. उन्होंने समाचार पत्रों को बताया कि इस घटना में दोनों गुटों के सदस्यों की जान गई है, और मुरले समुदाय के 17 सदस्य घायल हुए हैं.
जोंगलेई राज्य के सूचना मंत्री ने लड़ाई की निन्दा करते हुए, राज्य के युवाओं से हिंसा को तुरन्त समाप्त करने और घर लौटने का आहवान किया है.
मीडिया के अनुसार, दोनों वरिष्ठ स्थानीय अधिकारियों ने हिंसा को समाप्त करने के लिये केंद्र सरकार के हस्तक्षेप पर ज़ोर दिया.
विश्व का सबसे युवा देश, वर्ष 2011 में सूडान से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से ही हिंसा का दंश झेल रहा है. यह लड़ाई राष्ट्रपति सल्वा कीर के नेतृत्व वाले सरकारी सुरक्षा बलों और उनके प्रतिद्वंद्वी रीक मचर के प्रति वफ़ादार लड़ाकों के बीच है.
गम्भीर हालात
संयुक्त राष्ट्र और साझेदार संगठनों ने अपने वक्तव्य में हिंसा के लिये ज़िम्मेदार पक्षों और उनके समर्थकों से "शत्रुता तत्काल ख़त्म करने, संयम बरतने और मानवाधिकारों का सम्मान करने" का आग्रह किया है.
उन्होंने दक्षिण सूडान के नेताओं से "लड़ाई को रोकने के लिए तुरन्त हस्तक्षेप करने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ हिंसा प्रभावित लोगों तक बेरोकटोक मानवीय सहायता पहुँच सुनिश्चित करने की माँग की है.”
उन्होंने हिंसा के लिये ज़िम्मेदार सभी तत्वों की जवाबदेही तय किये जाने का भी आग्रह किया है.
सम्वाद का समय
यूएन एजेंसी के वक्तव्य में, राष्ट्रीय व पारम्परिक नेताओं को हिंसा रोकने के प्रयासों की अगुवाई करने और युवा लड़ाकों को समझाने-बुझाने के लिये प्रोत्साहित किया गया है.
इस क्रम में, स्थिरता बहाल करने और टकराव के मूल कारणों का शान्तिपूर्वक हल से निपटारा किये जाने पर बल दिया गया है, जिसके लिये "एक सम्वाद-आधारित दृष्टिकोण” अपनाया जाना होगा.
नागरिकों की सुरक्षा की प्राथमिक ज़िम्मेदारी राष्ट्रीय सरकार की है, मगर, UNMISS और अन्तरराष्ट्रीय साझेदारों ने लड़ाई प्रभावित क्षेत्रों में नागरिकों की सुरक्षा के लिये सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता दोहराई है.
गश्त में तेज़ी
वक्तव्य के अनुसार, "संघर्ष वाले क्षेत्रों में UNMISS अपनी पहरेदारी में तेज़ी लाते हुए स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है.”
“इस बात का ख़ास ध्यान रखा जा रहा है कि ऐसी लड़ाई से पहले भी बड़े पैमाने पर नुक़सान और नागरिक विस्थापन हो चुका है."
दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने अन्तरराष्ट्रीय साझेदार संगठनों के साथ मिलकर जारी इस वक्तव्य में बताया कि "अकारण हिंसा" ने दक्षिण सूडान में शान्ति और स्थिरता के लिये गम्भीर ख़तरा खड़ा कर दिया है.