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सर्वाइकल कैंसर: जीवनरक्षक एचपीवी वैक्सीन के लिये अनुशंसाओं में बदलाव

पेरु में एक नर्स एक 12 वर्षीय लड़की को एचपीवी वैक्सीन की ख़ुराक दे रही है.
© UNICEF/Florence Goupil
पेरु में एक नर्स एक 12 वर्षीय लड़की को एचपीवी वैक्सीन की ख़ुराक दे रही है.

सर्वाइकल कैंसर: जीवनरक्षक एचपीवी वैक्सीन के लिये अनुशंसाओं में बदलाव

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी – WHO ने सर्वाइकल कैंसर से रक्षा के लिये वैक्सीन ख़ुराकों की नई सिफ़ारिश जारी की है, जिससे पहले से कहीं अधिक संख्या में लड़कियों को यह रक्षा कवच मिलने की आशा है. सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और इलाज सम्भव है, मगर फिर भी ये ऐसी बीमारी है जो, दुनिया भर में, प्रजनन आयु में कैंसर के कारण महिलाओं की मौत का एक बड़ा कारण है.

स्वास्थ्य संगठन ने 9 से 20 वर्ष आयु वर्ग में लड़कियों व महिलाओं के लिये वैक्सीन की एक या दो ख़ुराक दिये जाने की अनुशंसा की है. 21 व उससे बड़ी उम्र की महिलाओं के लिये छह महीने के अन्तराल में दो ख़ुराकें दी जाने की सिफ़ारिश की गई है.

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यूएन एजेंसी के अनुसार, इस वैक्सीन की एक ख़ुराक, दो ख़ुराक वाली वैक्सीन व्यवस्था जितनी ही कारगर है और अपेक्षाकृत उतना ही रक्षा कवच प्रदान करती है.

वैक्सीन की एक ख़ुराक के इस्तेमाल की अनुशंसा से दुनिया भर में इस जीवनरक्षक स्वास्थ्य उपाय की वैश्विक सुलभता बढ़ाए जाने में मदद मिलेगी.

महिलाओं में कैंसर बीमारी के मामलों में सर्वाइकल कैंसर का स्थान चौथा है. वर्ष 2020 में सर्वाइकल कैंसर के छह लाख से अधिक नए मामले दर्ज किये गए, और तीन लाख 42 हज़ार की मौत हुई.

बताया गया है कि सर्वाइकल कैंसर के 95 प्रतिशत मामलों की वजह, यौन संचारित एचपीवी वायरस (Human Papillomavirus)से संक्रमित होना है.

सर्वाइकल कैंसर को वैक्सीन के टीकाकरण व अग्रिम अवस्था में जाँच-पड़ताल करके काफ़ी हद तक रोका जा सकता है, और इसकी उपयुक्त निगरानी के साथ-साथ इसका सफल इलाज भी किया जा सकता है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने एक वक्तव्य में कहा, “कारगर वैक्सीन की सुलभता को बढ़ाकर, इस रोग को विकसित होने से रोकना, अनावश्यक बीमारी व मौतों के दंश पर मरहम लगाने की दिशा में एक बहुत अहम क़दम है.”

इन संशोधित अनुशंसाओं को पिछले सप्ताह प्रकाशित किया गया, जिन्हें इससे पहले अप्रैल महीने में स्वास्थ्य संगठन के एक स्वतंत्र परामर्शदाता समूह ने तैयार किया था.

टीकाकरण कवरेज में गिरावट

यूएन एजेंसी ने नवीनतम अध्ययन को सामयिक बताया है, चूंकि विश्व भर में हाल के समय में एचपीवी वैक्सीन कवरेज में चिन्ताजनक गिरावट दर्ज की गई है.

वर्ष 2019 और 2021 के दौरान, टीकाकरण के लिये पहली ख़ुराक की कवरेज 15 प्रतिशत तक पहुँच गई, जोकि 25 फ़ीसदी की कमी को दर्शाता है.

इसके परिणामस्वरूप, 2019 की तुलना में 35 लाख अतिरिक्त लड़कियों को, 2021 में एचपीवी टीके नहीं मिल पाए.

संगठन ने अब 9 से 20 वर्ष आयु वर्ग में लड़कियों व महिलाओं के लिये वैक्सीन की एक या दो ख़ुराक दिये जाने की अनुशंसा की है.

21 व उससे बड़ी उम्र की महिलाओं के लिये छह महीने के अन्तराल में दो ख़ुराकें दी जाने की सिफ़ारिश की गई है.

कारगर प्रतिरक्षण पर बल

टीकाकरण का प्राथमिक लक्ष्य, 9 से 14 वर्ष की आयु की लड़कियों का टीकाकरण करना है, जोकि उनकी यौन सक्रिय होने से पहले का समय है.

लड़कों व बुज़ुर्ग महिलाओं का टीकाकरण, प्राथमिकता के मामले में दूसरे स्थान पर है और जहाँ सम्भव हो सके व पहुँच के भीतर हो, ऐसा किया जाना होगा.

अध्ययन में कमज़ोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले लोगों को टीकाकरण में प्राथमिकता देने पर बल दिया गया है, विशेष रूप से एचआईवी संक्रमण की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे लोगों को.

जिन लोगों का प्रतिरक्षा तंत्र बेहद कमज़ोर है, उन्हें एचपीवी वैक्सीन की कम से कम दो ख़ुराक दिये जाने पर बल दिया गया है, और सम्भव हो तो तीन ख़ुराक.

यूएन एजेंसी ने भरोसा जताया है कि एचीपीवी वैक्सीन के लिये इस नई अनुशंसा से, वैक्सीन की सुलभता में बेहतरी लाना सम्भव होगा, और लड़कियों में टीकाकरण की कवरेज को बढ़ाया जा सकेगा.

इसके अलावा, देशों से एचपीवी टीकाकरण कार्यक्रमों को मज़बूती प्रदान करने, योजनाओं को लागू करने की प्रक्रिया में तेज़ी लाने, और कवरेज में आई गिरावट की दिशा पलटने का आग्रह किया गया है.