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विश्व के विशाल हिस्सों में सामान्य की अपेक्षा अधिक शुष्क परिस्थितियाँ, WMO रिपोर्ट

लेक चाड में एक लड़की पौधे को पानी डालते हुए.
UNDP/Jean Damascene Hakuzimana
लेक चाड में एक लड़की पौधे को पानी डालते हुए.

विश्व के विशाल हिस्सों में सामान्य की अपेक्षा अधिक शुष्क परिस्थितियाँ, WMO रिपोर्ट

जलवायु और पर्यावरण

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने वैश्विक जल संसाधन की स्थिति पर अपनी पहली रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसके अनुसार वर्ष 2021 के दौरान, दुनिया के अधिकांश हिस्से, सामान्य की अपेक्षा ज़्यादा शुष्क रहे. यूएन एजेंसी ने चेतावनी जारी की है कि इन परिस्थितियों का अर्थव्यवस्थाओं, पारिस्थितिकी तंत्रों और हमारे दैनिक जीवन पर सिलसिलेवार ढंग से असर पड़ा है.

State of Global Water Resources’ नामक रिपोर्ट के अनुसार जिन इलाक़ों में असाधारण शुष्क परिस्थितियाँ देखी गईं, उनमें दक्षिणी अमेरिका का रियो डे ला प्लाटा क्षेत्र भी है, जहाँ 2019 के बाद से अब तक सूखे ने निरन्तर प्रभावित किया है.

अफ़्रीका में निजेर, वोल्टा, नील और काँगो समेत अन्य मुख्य नदियों में वर्ष 2021 में जल प्रवाह औसत से कम आँका गया.

रूस, पश्चिम साइबेरिया और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में स्थित नदियों में भी यही रुझान देखा गया.

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वहीं, उत्तरी अमेरिका के बेसिन, उत्तर ऐमेज़ोन और दक्षिण अफ़्रीका क्षेत्र में नदियों का प्रवाह औसत से ऊपर रहा, और यही हालात चीन के अमूर नदी बेसिन और उत्तरी भारत में नज़र आए हैं.

यूएन एजेंसी ने बताया कि विश्व भर में तीन अरब, 60 करोड़ लोगों के पास, साल के कम से कम एक महीने के दौरान जल की अपर्याप्त सुलभता होती है.

वर्ष 2050 तक यह आँकड़ा बढ़कर पाँच अरब तक हो जाने की आशंका है.

जलवायु संकट

यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के महासचिव पेटेरी टालस ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को अक्सर जल के ज़रिये महसूस किया जाता है.

उदाहरणस्वरूप, गहनता व आवृत्ति में बढ़ रही सूखे व बाढ़ की घटनाएँ, वर्षा ऋतु में अनियत ढंग से होने वाली बारिश, और हिमनदों के पिघलने की गति में तेज़ी.

यूएन एजेंसी प्रमुख के अनुसार इन घटनाओं के अर्थव्यवस्थाओं, पारिस्थितिकी तंत्रों और मानव जीवन के सभी पहलुओं पर सिलसिलेवार असर हुए हैं.

इसके बावजूद, ताज़े जल के संसाधनों के वितरण, मात्रा और गुणवत्ता में आ रहे बदलावों के प्रति पर्याप्त समझ नहीं है.

उन्होंने कहा कि संगठन की यह नई रिपोर्ट, मौजूदा समझ में कमियों को दूर करने और विश्व के विभिन्न हिस्सों में जल उपलब्धता का संक्षिप्त ब्यौरा देने में सहायक होगी.

पेटेरी टालस के अनुसार इससे जलवायु अनुकूलन और कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिये निवेश हेतु निर्णय लिये जा सकेंगे.

साथ ही, अगले पाँच वर्षों के भीतर चरम मौसम घटनाओं के लिये समय पूर्व चेतावनी प्रणाली सुनिश्चित करने के प्रयासों में भी मदद मिलेगी.

जल की अहमियत

जल मामलों के लिये यूएन एजेंसी (UN Water) ने बताया कि वर्ष 2001 और 2018 के दौरान, 74 प्रतिशत प्राकृतिक आपदाएँ, जल से सम्बन्धित थीं.  

मिस्र के शर्म अल-शेख़ में कॉप27 जलवायु सम्मेलन के दौरान, देशों से आग्रह किया गया कि जलवायु अनुकूलन प्रयासों में जल को और अधिक एकीकृत किया जाना होगा.

यह पहली बार जब कॉप सम्मेलन के निष्कर्ष दस्तावेज़ में जल की अहमियत को ध्यान में रखते हुए उसका उल्लेख किया गया है.

इस रिपोर्ट के पहले संस्करण में नदी की धारा से किसी एक समय में प्रवाहित होने वाली मात्रा को आँका गया है, और साथ ही स्थलीय जल भंडारण की भी समीक्षा की गई है.

रिपोर्ट में एक बुनियादी समस्या को उजागर करते हुए कहा गया है कि जल-विज्ञान सम्बन्धी ऐसे आँकड़ों की कमी है, जो सुलभ हों, या जिनकी आसानी से पुष्टि की जा सकती हो.

यूएन मौसम विज्ञान संगठन की डेटा नीति में जल-विज्ञान सम्बन्धी जानकारी की उपलब्धता व उसे साझा किए जाने के प्रयासों में तेज़ी लाए जाने पर बल दिया गया है.

केवल एक तिहाई लघु द्वीपीय विकासशील देशों में ही समय पूर्व चेतावनी प्रणाली की व्यवस्था है. सबसे कम विकसित देशों में यह आँकड़ा 50 फ़ीसदी है.
UNDRR/Chris Huby
केवल एक तिहाई लघु द्वीपीय विकासशील देशों में ही समय पूर्व चेतावनी प्रणाली की व्यवस्था है. सबसे कम विकसित देशों में यह आँकड़ा 50 फ़ीसदी है.

जल उपलब्धता

नदियों के प्रवाह में आने वाले उतार-चढ़ाव से इतर, स्थलीय जल भंडारण को भी औसत से कम आँका गया है.

विशेष रूप से अमेरिका के पश्चिमी तट, मध्य दक्षिण अमेरिका और पैटागोनिया, उत्तर अफ़्रीका व मैडेगास्कर, मध्य एशिया व मध्य पूर्व और पाकिस्तान व भारत के पूर्वी हिस्सों में.

मध्य अफ़्रीका, उत्तरी दक्षिणी अमेरिका में यह सामान्य से अधिक है, विशिष्ट रूप से ऐमेज़ोन बेसिन और उत्तरी चीन में. वहीं क्रायोस्फ़ेयर, यानि हिमनद, हिम आच्छादित क्षेत्र समेत ऐसे अन्य इलाक़े, विश्व में ताज़ा पानी के विशालतम भंडारण केन्द्र हैं.

यूएन एजेंसी ने सचेत किया है कि क्रायोस्फ़ेयर में जल संसाधनों में होने वाले बदलावों से खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी अखंडता पर असर पड़ता है, जिससे आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए गहरे नतीजे हो सकते हैं.  

मंगलवार को जारी रिपोर्ट में पृथ्वी के जल संसाधनों पर जलवायु, पर्यावरणीय व सामाजिक प्रभावों की भी समीक्षा की गई है.

यूएन एजेंसी के अनुसार इस अध्ययन का उद्देश्य ताज़ा जल के वैश्विक संसाधनों की निगरानी व प्रबन्धन व्यवस्था को एक ऐसे समय में समर्थन प्रदान करना है, जब मांग बढ़ रही हो और आपूर्ति सीमित हो.