यूएन डिजिटल फ़ोरम: 2.7 अरब डिजिटल निर्धन लोगों पर ख़ास ध्यान
दुनिया भर में सर्वजन को मुक्त, मुफ़्त, समावेशी और सुरक्षित डिजिटल भविष्य मुहैया कराने की ख़ातिर, संयुक्त राष्ट्र का वार्षिक इंटरनेट गवर्नेंस फ़ोरम इस सप्ताह, इथियोपिया के अदिस अबाबा में चल रहा है, जिसमें ख़ासतौर से ऐसे दो अरब 70 करोड़ लोगों पर ज़्यादा ध्यान होगा जिनके पास इंटरनैट सुविधा उपलब्ध नहीं है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा है कि सही नीतियाँ लागू करके, डिजिटल टैक्नॉलॉजी से, टिकाऊ विकास को अभूतपूर्व बढ़ावा दिया जा सकता है, विशेष रूप से निर्धनतम देशों में.
#Today The 17th Internet Governance Forum (IGF) under the theme ‘Resilient Internet for a Shared Sustainable and Common Future’ opened in Addis Ababa.
#IGF2022 #SDGs #ResilientInternet https://t.co/lB1g1hDIXV
UNEthiopia
“इसके लिये ज़्यादा कनेक्टिविटी की दरकार है; और कम डिजिटल बिखराव या भेदभाव की. डिजिटल उपलब्धता में मौजूदा खाई को पाटने के लिये और ज़्यादा पुलों की ज़रूरत; और कम बाधाएँ. साधारण लोगों के लिये वृहत्तर स्वायत्तता; कम दुरुपयोग और कम ग़लत जानकारी.”
17वाँ इंटरनैट गवर्नेंस फ़ोरम, सोमवार को शुरू हुआ जो, शुक्रवार तक चलेगा. अफ़्रीका में पिछले 11 वर्षों में ये पहला ऐसा फ़ोरम है. इस फ़ोरम ने बहुत कम कनेक्टिविटी वाले क्षेत्र की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया है, जहाँ 60 प्रतिशत आबादी के पास इंटरनैट उपलब्ध नहीं है.
खाई को पाटना होगा
दुनिया भर में, इंटरनैट का प्रयोग करने वालों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या कम है. इंटरनैट का प्रयोग करने वाले पुरुषों की संख्या 62 प्रतिशत है जबकि महिलाओं की संख्या 57 प्रतिशत है.
और जिन देशों में आँकड़े उपलब्ध हैं, वहाँ इंटरनैट प्रयोग करने वालों में उन लोगों की दर ज़्यादा है जिनका शिक्षा स्तर ऊँचा है. इस डिजिटल खाई या डिजिटल निर्धनता का मुक़ाबला करना ही, इस फ़ोरम के एजेंडा में शीर्ष पर है.
डिजिटल प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से एक तरफ़ तो ज़िन्दगियों और आजीविकाओं को बेहतर बनाने में बड़ी मदद मिलती है मगर इंटरनैट के बढ़ते प्रयोग ने झूठी व ग़लत सूचनाओं और हेट स्पीट के फैलाव को बढ़ावा देने के साथ-साथ, डिजिटल चोरी और साइबर अपराधों को भी बढ़ावा दिया है.
इस फ़ोरम में इस वर्ष की थीम है - “Resilient Internet for a Shared Sustainable and Common Future”. इसमें सभी लोगों को इंटरनैट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने और उनके मानवाधिकारों की सुरक्षा की ख़ातिर, सामूहिक कार्रवाई करने की पुकार लगाई गई है.
एसडीजी की ख़ातिर इंटरनैट को बढ़ावा
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के अवर महासचिव ली जुनहुआ का कहना है, “इंटरनैट एक ऐसा मंच है जो टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में प्रगति में जान फूँकेगा. यहाँ अदिस अबाबा में हमारा सामूहिक कार्य – सभी के एक टिकाऊ और साझा भविष्य की ख़ातिर, एक सहनसक्षम इंटरनैट की शक्ति व सम्भावना को उजागर करना है.”
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने भी मंगलवार को इस फ़ोरम को दिए एक वीडियो सन्देश कहा है, “हम अक्सर सुनते हैं कि भविष्य डिजिटल होगा. मगर डिजिटल प्रौद्योगिकी का भविष्य मानव केन्द्रित होना चाहिए.”
एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया है कि उन्होंने ‘ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट’ का प्रस्ताव रखा है, उसके मूल में मानवाधिकार हैं और उसका मक़सद सार्वभौमिक कनेक्टिविटी की उपलब्धता; एक ऐसा मानव केन्द्रित डिजिटल स्थान है जो स्वतंत्र विचार अभिव्यक्ति और निजता की हिफ़ाज़त करे; डेटा का सुरक्षित और ज़िम्मेदारी भरा प्रयोग सुनिश्चित करे.
उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की है कि ‘ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट’ को, देशों की सरकारें, वर्ष 2024 में भविष्य के सम्मेलन में स्वीकृत कर देंगी जिसमें टैक्नॉलॉजी कम्पनियों, सिविल सोसायटी, शिक्षाविदों और अन्य पक्षों के भी विचार शामिल होंगे.