यूक्रेन: बूचा जाँच के लिये यूएन प्रमुख की पुकार भी शामिल

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने यूक्रेन के बूचा क़स्बे में आम लोगों की मौतों के मामले में युद्धापराधों की जाँच कराने की बढ़ती अन्तरराष्ट्रीय पुकारों में मंगलवार को अपनी भी आवाज़ शामिल की है.
यूएन महासचिव की ये पुकार, यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ के एक बाहरी क़स्बे बूचा में सैकड़ों मृत लोगों की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आने के बाद आई है.
More than 7.1 Million people have been internally displaced by the ongoing war in #Ukraine, over half of them are women.The main needs include cash, medicines & health services. We continue to deliver humanitarian aid to the people in #Ukraine, whenever and wherever possible. pic.twitter.com/7gslladHso
UNmigration
इन तस्वीरों से मालूम होता है कि कुछ लोगों को गोलिया लगीं, कुछ के हाथ उनकी पीठों पर बंधे हैं और कुछ को जलाया गया या सामूहिक क़ब्रों में फेंक दिया गया है. ये वो इलाक़े हैं जो कुछ समय पहले रूसी सेनाओं के नियंत्रण में थे.
एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि एक प्रभावशाली जवाबदेही की गारण्टी के लिये, स्वतंत्र जाँच आवश्यक है.
यूएन प्रमुख ने यूक्रेन संकट को “अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था और वैश्विक शान्ति ढाँचे के लिये महानतम चुनौतियों में से एक क़रार दिया, जो यूएन चार्टर की बुनियाद पर आधारित है”.
ध्यान रहे कि मौजूदा यूक्रेन संकट, रूस द्वारा हमले के कारण उत्पन्न हुआ है.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि रूसी आक्रमण के कारण, केवल एक महीने की अवधि में एक करोड़ से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं, जोकि दूसरे विश्व युद्ध के बाद किसी आबादी का सबसे त्वरित जबरन विस्थापन है.
यूएन शरणार्थी एजेंसी - UNHCR के अनुसार इनमें से लगभग 42 लाख लोगों को, गोलाबारी और अनेक तरह के हथियारों के लगातार प्रयोग के कारण, यूक्रेन की सीमाओं से बाहर निकलकर, पड़ोसी देशों में पनाह लेनी पड़ी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO के अनुसार 24 फ़रवरी से लेकर 2 अप्रैल के बीच की अवधि में, 86 स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं पर भी हमले हुए हैं.
यूएन प्रमुख ने बताया कि उन्होंने स्थिति की तात्कालिकता को देखते हुए आपदा राहत मामलों के संयोजक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स को एक तत्काल मानवीय युद्ध विराम पर ज़ोर देने के लिये, रूस व यूक्रेन की यात्रा करने की ज़िम्मेदारी सौंपी है.
इस बीच जिनीवा में यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने बूचा में मृत्यु घटनाक्रम की निन्दा की है और सम्भावित युद्धापराधों की भी बात कही है.
उनके कार्यालय ने बताया है कि यह घटनाक्रम, युद्ध में एक नया निम्न स्तर दिखाता है जिसमें पीड़ितों के शवों का असम्मान किया गया है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की प्रवक्ता लिज़ थ्रॉसेल ने कहा है, “बूचा और अन्य क्षेत्रों से निकलती ख़बरों व तस्वीरों में हमने जो कुछ देखा है, वो बहुत ही व्यथित करने वाला घटनाक्रम है...सभी संकेत ये दर्शाते हैं कि पीड़ितों को प्रत्यक्ष निशाना बनाया गया और उनकी प्रत्यक्ष हत्याएँ की गईं.”
यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने, बूचा घटनाक्रम के सामने आने के पहले ही, अन्धाधुन्ध गोलाबारी और बमबारी को सम्भावित युद्धापराध बताया था.
प्रवक्ता लिज़ थ्रॉसेल ने पत्रकारों से कहा कि आप ये दलील दे सकते हैं कि किसी इमारत पर हमला होने का एक सैन्य सन्दर्भ था (मगर) ये देखना बहुत कठिन है कि किसी व्यक्ति का, सिर में गोली लगा शव सड़क पर पड़ा है या किन्हीं लोगों के शवों को जला दिया गया हो, भला उनका क्या सैन्य सन्दर्भ हो सकता है.
प्रवक्ता लिज़ थ्रॉसेल ने बूचा से निकली तस्वीरों को झूठी बताने वाले रूसी दावों का सन्दर्भ लेते हुए बताया कि मानवाधिकार जाँच कर्ताओं ने किसी भी वीडियो या तस्वीरों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिये, सघन फ़ोरेंसिक प्रक्रियाओं का पालन किया है.
प्रवक्ता ने कहा कि मारे गए लोगों के नाम, उनकी मौत की तारीख़ और वो किस तरह मारे गए, इस बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की जा रही है, जिससे यह मालूम करने में मदद मिल सकेगी कि उन लोगों को किसने मारा.
उन्होंने ये भी कहा कि इस बारे में अभी कोई निर्णय लिया गया है कि कोई युद्धापराध हुआ है या नहीं.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरश ने सुरक्षा परिषद में ये भी बताया कि इस युद्ध के कारण, यूक्रेन की सीमाओं के बाहर और ख़ासतौर से विकासशील देशों में आपूर्ति श्रृंखला में उत्पन्न हुई बाधा ने, खाद्य पदार्थों, ऊर्जा और उर्वरकों के दामों में भारी उछाल उत्पन्न कर दिया है क्योंकि रूस और यूक्रेन मुख्य वैश्विक उत्पादक हैं.
यूएन महासचिव ने बताया, “केवल पिछले महीने के दौरान ही गेहूँ के मूल्यों में 22 प्रतिशत, मक्का के मूल्यों में 21 प्रतिशत और जौ के मूल्यों में 31 प्रतिशत उछाल आया है.”
उन्होंने ये भी ध्यान दिलाया कि 74 देशों में बसने वाली लगभग सवा अरब आबादी, खाद्य पदार्थों, ऊर्जा और उर्वरकों के दामों में बढ़ोत्तरी के जोखिमों के दायरे में है.