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हर ज़रूरतमन्द बच्चे के लिये, नियमित व स्वस्थ स्कूली आहार योजना को समर्थन

कम्बोडिया एक स्कूल में एक बच्ची, कक्षा शुरू होने से पहले भोजन कर रही है.
© UNICEF/Bona Khoy
कम्बोडिया एक स्कूल में एक बच्ची, कक्षा शुरू होने से पहले भोजन कर रही है.

हर ज़रूरतमन्द बच्चे के लिये, नियमित व स्वस्थ स्कूली आहार योजना को समर्थन

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने स्कूली बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य व उनकी शिक्षा में बेहतरी लाने पर केन्द्रित एक अन्तरराष्ट्रीय गठबन्धन को समर्थन देने की प्रतिबद्धता जताई है. वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण, विश्व भर में शिक्षण कार्य में उत्पन्न हुए भीषण व्यवधान और व्यापक पैमाने पर स्कूलों में तालाबन्दी लागू होने से, स्कूलों में मिलने वाले आहार सहित अन्य कार्यक्रम प्रभावित हुए थे.

कोरोनावायरस संकट के दौरान, बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों के लिये, स्कूलों में सेहतमन्द आहार या स्कूल-आधारित स्वास्थ्य व पोषण सेवाओं पाने में रुकावटें खड़ी हो गईं. 

एक अनुमान के अनुसार, विश्व में 15 करोड़ बच्चे अब भी स्कूलों में मिलने वाले आहार और बुनियादी स्वास्थ्य व पोषण सेवाओं से वंचित हैं. 

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खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस सम्बन्ध में मंगलवार को एक साझा वक्तव्य जारी किया है. 

60 से ज़्यादा देशों ने स्कूलों में हर बच्चे के लिये, वर्ष 2030 तक पोषक आहार सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, स्कूली आहार गठबन्धन की स्थापना की है. 

यूएन एजेंसियों ने इस गठबन्धन को सहायता प्रदान करने का संकल्प ज़ाहिर किया है. फ़्रांस और फ़िनलैण्ड की अगुवाई में, इस गठबन्धन ने ‘स्मार्ट’ स्कूली आहार कार्यक्रमों के लिये भी संकल्प जताया है. 

इसके अन्तर्गत, स्कूलों में नियमित रूप से मिलने वाले भोजन के साथ-साथ, बच्चों के विकास व सीखने की प्रक्रिया को मज़बूती प्रदान करने के उद्देश्य से, पूरक (complementary) स्वास्थ व पोषण उपाय किये जाएंगे.

यूएन के शीर्ष अधिकारियों ने अपने साझा वक्तव्य में कहा, “स्कूलों के लिये स्वास्थ्य व पोषण कार्यक्रम, स्कूली बच्चों व किशोरों की वृद्धि व उनके विकास को समर्थन देने के लिये कारगर मदद हैं.”

“इनसे बाल निर्धनता, भुखमरी और कुपोषण के सभी रूपों से निपटने में मदद मिल सकती है. ये बच्चों को स्कूलों की ओर आकर्षित करते हैं, और बच्चों के सीखने व दीर्घकालीन स्वास्थ्य, कल्याण को समर्थन देते हैं.”

अनेक लाभ

बताया गया है कि इन उपायों का लाभ, केवल बच्चों तक सीमित नहीं है. इन आहारों से खाद्य प्रणाली में रूपान्तरकारी बदलावों के लिये भी स्फूर्ति प्रदान की जा सकती है.  

जहाँ सम्भव हो सके, वहाँ स्थानीय रूप से उगाए गए भोजन के ज़रिये, राष्ट्रीय व स्थानीय बाज़ारों और खाद्य प्रणालियों को समर्थन दिया जा सकता है.

इससे, लघु किसानों और स्थानीय स्तर पर खान-पान व्यवसायों के लिये, अवसर बेहतर बनाए जा सकते हैं, जिनका लाभ महिला उद्यमियों तक पहुँचेगा.

साथ ही, इन कार्यक्रमों से टिकाऊ विकास के 2030 के कम से कम सात लक्ष्यों (SDG) की प्राप्ति में योगदान दिया जा सकता है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली ने कहा, “स्कूली आहार गठबन्धन में, देशों को कोविड-19 संकट से पुनर्बहाली में मदद करने की सम्भावना है.”

“स्कूली भोजन कार्यक्रम, बच्चों को स्कूल में वापिस ला सकते हैं, उनकी शिक्षा को हुई क्षति को ठीक व स्थानीय स्तर पर रोज़गार सृजित कर सकते हैं, और लघु किसानों को अपने परिवारों के लिये एक टिकाऊ आजीविका का प्रबन्ध करने में समर्थ बना सकते हैं.”

पोषण की पुनर्बहाली

बताया गया है कि इस पहल में शामिल हर यूएन एजेंसी, इस गठबन्धन के लिये आवश्यक विशेषज्ञताएँ मुहैया कराएगी. इसमें ग़ैर-सरकारी, नागरिक समाज संगठनों और संस्थानों से 50 से ज़्यादा साझीदार शामिल हैं.

यह गठबन्धन, स्कूली आहार और उन स्वास्थ्य व पोषण कार्यक्रमों को पुनर्बहाल करने की दिशा में प्रयास करेगा, जोकि कोविड-19 संकट से पहले चलाए जा रहे थे.  

ऐसे कार्यक्रमों का दायरा बढ़ाकर, अतिरिक्त सात करोड़ 30 लाख बच्चों को लाभ पहुँचाया जाएगा, जोकि महामारी से पहले इन कार्यक्रमों के दायरे से बाहर थे. 

इसके अलावा, भोजन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये मानक स्थापित किये जाएंगे, और उन्होंने स्थानीय खाद्य उत्पादन प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा.

यूएन एजेंसियों ने गठबन्धन के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये, देशों की सरकारों के साथ मिलकर कार्य करने और आवश्यक तकनीकी व संचालन सम्बन्धी समर्थन प्रदान करने का संकल्प जताया है.