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सर्वाधिक निर्बल देशों की मदद के लिये 'कार्रवाई का समय': यूएन महासचिव

बांग्लादेश के ढाका शहर की सुजात नगर बस्ती में रहने वाले निवासियों का दैनिक जीवन. 1990-94 और 2010-14 के बीच, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में असमानता में औसतन लगभग 5 प्रतिशत अंकों की बढ़ोत्तरी देखी गई.
Dominic Chavez/World Bank
बांग्लादेश के ढाका शहर की सुजात नगर बस्ती में रहने वाले निवासियों का दैनिक जीवन. 1990-94 और 2010-14 के बीच, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में असमानता में औसतन लगभग 5 प्रतिशत अंकों की बढ़ोत्तरी देखी गई.

सर्वाधिक निर्बल देशों की मदद के लिये 'कार्रवाई का समय': यूएन महासचिव

आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कोविड-19, जलवायु संकट और बढ़ती असमानता के मद्देनज़र, "अधिक शान्तिपूर्ण व समृद्ध भविष्य" के लिये प्रतिबद्धता एवं सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया है.

यूएन प्रमुख ने गुरुवार को, अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) और विश्व बैंक के वार्षिक कार्यक्रम के दौरान कहा कि महामारी ने 10 करोड़ से अधिक लोगों को ग़रीबी में धकेल दिया है और चार अरब से अधिक को कम से कम या बिल्कुल भी सामाजिक लाभ, स्वास्थ्य देखभाल या आय सुरक्षा मुहैया नहीं हैं, ख़ासतौर पर तब "जब उन्हें इसकी तुरन्त आवश्यकता होती है." 

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संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने अपने मुख्य भाषण में कहा, “टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) पर विफलता का वास्तविक जोखिम मण्डरा रहा है. एकजुट कार्रवाई कहीं नज़र नहीं आ रही है और अन्याय की भावना फैल रही है – जिससे हिंसा और संघर्ष पनपने के हालात पैदा हो रहे हैं." 

उन्होंने कहा, “सम्वेदनशील व संघर्ष प्रभावित देशों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा कष्ट में हैं. हमने अपना रास्ता बदलने के लिये जो वादे किए थे, उन्हें पूरा करना होगा."

'संकट रोकथाम की दृष्टि' अपनाने की ज़रूरत

महासचिव ने कमज़ोर और संघर्ष प्रभावित देशों के लिये आईएमएफ़ की रणनीति का स्वागत किया, और उसे महामारी से उत्पन्न होने वाले जटिल और बहुआयामी जोखिमों के लिये "संकट निवारण दृष्टि अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम" माना.

उन्होंने कहा कि ये विशेषकर संघर्ष व संकट से उबरते देशों के लिये बहुत अहम होगी.

उन्होंने कहा, "सम्वेदनशीलता और संघर्ष को केवल व्यापक आर्थिक नीतियों द्वारा हल किया जा सकता है, जो समावेशी विकास व लचीलेपन को बढ़ावा दें, और स्थिरता के लिये बदलाव एवं टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा पर केन्द्रित हो."

'नैतिकता का उल्लंघन'

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने वैक्सीन विषमता की ओर रुख़ करते हुए, इसे "नैतिकता का उल्लंघन क़रार दिया, जो दुनिया को लाखों अतिरिक्त मौतों की तरफ़ धकेल रहा है, व आर्थिक मन्दी को लम्बा खींच रहा है, जिसकी क़ीमत ख़रबों डॉलर में चुकानी पड़ सकती है और जिसकी सर्वाधिक मार, सबसे ग़रीब देशों को झेलनी पड़ेगी."

उन्होंने महामारी समाप्त करने के लिये एक "साहसिक सामूहिक प्रयास" की आवश्यकता और एक वैश्विक टीकाकरण योजना के साथ एक स्थाई, समावेशी वैश्विक सुधार पर दोबारा बल दिया, जो हर जगह, हर किसी तक पहुँच सके.

उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक कोविड-19 टीकाकरण रणनीति के हिस्से के रूप में - वर्ष के अन्त तक दुनिया के 40 प्रतिशत और 2022 के मध्य तक 70 प्रतिशत लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य है.

प्रभावित देशों को, संकट की स्थिति में स्थानीय वैक्सीन तंत्रों और त्वरित व निष्पक्ष वितरण क्षमताओं के साथ-साथ, स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करने व भविष्य की महामारियों को रोकने में मदद करने हेतु "लक्षित" निवेश की आवश्यकता होगी.

सभी के कल्याण के लिये पुनर्बहाली 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने पुनर्बहाली के लिये तीन क्षेत्रों को रेखांकित किया, जो सबसे सम्वेदनशील देशों समेत सभी को लाभान्वित करता हो. इसकी शुरुआत अल्पकालिक संकट राहत और दीर्घकालिक पुनर्बहाली में निवेश बढ़ाने से करनी होगी.

उन्होंने कहा, "G20 की ऋण सेवा निलम्बन पहल को अगले वर्ष तक बढ़ाया जाना चाहिये व अन्तरराष्ट्रीय ऋण की संरचना में सुधार पर एक व्यापक रणनीति के साथ, मध्यम आय वाले देशों को भी इसमें शामिल करना चाहिये." 

दक्षिण सूडान में वर्षों से विकास की कमी, भ्रष्टाचार और संघर्ष के कारण, कई लोग ग़रीबी में जी रहे हैं.
UNMISS\Nektarios Markogiannis
दक्षिण सूडान में वर्षों से विकास की कमी, भ्रष्टाचार और संघर्ष के कारण, कई लोग ग़रीबी में जी रहे हैं.

उन्होंने कहा, "कोई भी देश, क़र्ज़ चुकाने और अपने लोगों के कल्याण के लिये काम करने के बीच में से किसी एक को चुनने के लिये मज़बूर नहीं होना चाहिये."

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने, 2030 तक सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा और पुन: कौशल व कौशल विकास कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण संसाधन निवेश करके, संकट प्रभावित सरकारों की मदद करने की वकालत भी की है.

रोज़गार वाले कामकाज और सामाजिक सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल एक्सेलेरेटर (UN Global Accelerator on Jobs and Social Protection ) का लक्ष्य, 2030 तक हरित व देखभाल वाली अर्थव्यवस्था में 40 करोड़ नए रोज़गार अवसर पैदा करना, और फिलहाल असुरक्षित छोड़े गए चार अरब लोगों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराना है.

और अन्त में, तत्काल सफलता प्राप्त करने हेतु, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को समान लक्ष्यों के लिये, मानवीय-विकास-शान्ति गठजोड़ के साथ घनिष्ठ एकजुटता में काम करना व "आगे बढ़कर नेतृत्व" करना चाहिये.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने विस्तार से बताया, "रोकथाम और शान्ति निर्माण में हमारे संयुक्त कार्य को मज़बूत करने के तरीक़े बहुत है. उदाहरण के लिये, सुविधाजनक आदान-प्रदान सुनिश्चित करना, विश्लेषण साझा करना और समावेशी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का समर्थन करने के लिये प्रवेश बिन्दु ढूंढना." 

कार्रवाई का समय

आख़िर में, उन्होंने कहा: "अब कार्रवाई का समय है."

"अधिक सहयोग के ज़रिये, हम संघर्ष व संकट से प्रभावित सबसे कमज़ोर देशों को एक बेहतर, अधिक शान्तिपूर्ण और समृद्ध भविष्य देने में मदद कर सकते हैं."