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वैक्सीन समता समय की चुनौती, एकजुटता व साझेदारी की ज़रूरत

कोवैक्स कार्यक्रम के तहत, लगभग साढ़े तीन लाख वैक्सीन ख़ुराकें, निजेर की राजधानी नियामे भी पहुँची हैं.
© UNICEF/Frank Dejongh
कोवैक्स कार्यक्रम के तहत, लगभग साढ़े तीन लाख वैक्सीन ख़ुराकें, निजेर की राजधानी नियामे भी पहुँची हैं.

वैक्सीन समता समय की चुनौती, एकजुटता व साझेदारी की ज़रूरत

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के संक्रमण के मामले, पिछले दो महीनों के दौरान लगभग दो गुना बढ़ गए हैं, और दुनिया भर में महामारी का संक्रमण अभी तक के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है, ऐसे में वैक्सीन का विषम वितरण, ना केवल नैतिक भयावहता है, बल्कि आर्थिक व महामारी विज्ञान के नज़रिये से भी आत्म-पराजयी है.  

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी WHO के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम ने ये बात शुक्रवार को, संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) द्वारा आयोजित एक मंत्रिस्तरीय बैठक में कही.

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ये बैठक वर्चुअल मंचों के ज़रिये – “सर्वजन के लिये एक वैक्सीन” विषय पर हुई जिसमें संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों, कारोबारियों, वैज्ञानिक समुदाय और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों ने शिरकत की.

बैठक में, सर्वजन को वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के काम को एक वैश्विक भलाई बनाने और देशों को वैक्सीन वितरण के लिये मुस्तैद बनाने के रास्तों और उपायों के बारे में भी ग़ौर किया गया.

यूए स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने इस बैठक को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा, “वैक्सीन उपलब्धता में समानता, हमारे समय की एक चुनौती है, और हम नाकाम साबित हो रहे हैं.”

स्पष्ट विषमताएँ

उन्होंने कहा कि अभी तक अनेक देशों में, कोविड-19 वैक्सीन की लगभग 83 करोड़ 20 लाख ख़ुराकों के टीके लगाए गए हैं, उनमें से क़रीब 82 प्रतिशत ख़ुराकें, उच्च और ऊपरी-मध्य आय वाले देशों में दी गई हैं, और केवल 0.2 प्रतिशत ख़ुराकें ही, निम्न आय वाले देशों में दी गई हैं.

केवल उच्च आमदनी वाले देशों में, हर चार में से एक व्यक्ति को वैक्सीन का टीका लग चुका है, जबकि निर्धनतर देशों में, टीका लगने का ये अनुपात, हर 500 लोगों में से एक व्यक्ति का है.

उन्होंने कहा कि अनेक देशों में, कोरानावायरस के विभिन्न प्रकार या रूप फैल रहे हैं, सार्वजनिक स्वास्थ्य के उपायों में ढील देने या उनमें कोताही बरते जाने, सामाजिक पाबन्दियों के कारण उत्पन्न होने वाली थकान और वैक्सीन की उपलब्धता में नाटकीय विषमता जैसी परिस्थितियाँ, संक्रमण के मामलों और मौतों में तेज़ी से वृद्धि होने का कारण बनी हैं. 

साझेदारी की ज़रूरत

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ये समय साझेदारियाँ क़ायम करने का है, हमारे पास, महामारी का ख़ात्मा करने के उपकरण व संसाधन उपलब्ध हैं.

संगठन और उसके साझीदारों द्वारा स्थापित एसीटी ऐक्सैलेरेटर के साथ-साथ कोवैक्स सुविधा, अतीत की ग़लतियाँ दोहराने से रोक सकते हैं, जब विश्व 40 वर्ष पहले, एचआईवी और एड्स संकट के समय, निर्धन देशों में जीवनरक्षक दवाएँ पहुँचाने में बहुत धीमा रहा था.

डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि आज, कोवैक्स कार्यक्रम के तहत, 100 देशों को, 4 करोड़ वैक्सीन ख़ुराकें पहुँचाई जा चुकी हैं, मगर ये बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है. 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अभी तक, 10 करोड़ वैक्सीन ख़ुराकें उपलब्ध कराने क अपेक्षा की थी. कुछ देशों को अभी बिल्कुल भी वेक्सीन ख़ुराकें नहीं मिली हैं, और कोई भी देश ऐसा नहीं है जिसे समिचित मात्रा में ख़ुराकें मिल गई हों. 

उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन वैक्सीन अलायन्स – गैवी के साथ मिलकर, वैक्सीन का उत्पादन और आपूर्ति बढ़ाने के लिये अथक काम कर रहा है. एक कोवैक्स उत्पादन कार्यबल गठित किया गया है,

साथ ही, अफ्रीकी संघ द्वारा क्षेत्र के उत्पादकों के साथ एक नई साझेदारी स्थापित की जाएगी.

इसका उद्देश्य पूरे क्षेत्र में पाँच वैक्सीन उत्पादन केन्द्र स्थापित करना है जिसके तहत, शुरू में, रवाण्डा, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका में बनाए जाएंगे. विश्व स्वास्थ्य संगठन अफ्रीकी औषधि एजेंसी के साथ मिलकर, क्षेत्रीय नियामक क्षमता भी विकसित कर रहा है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने, अपनी जनसंख्या के अनुपात में वैक्सीन की अत्यधिक ख़ुराकों की उपलब्धता वाले तमाम देशों का आहवान किया कि वो ज़रूरत से ज़्यादा वैक्सीन ख़ुराकें कोवैक्स को तत्काल दान कर दें. 

कोवैक्स कार्यक्रम के तहत मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में वैक्सीन की खेप हासिल करने वाला पहला देश सूडान है.
UNICEF
कोवैक्स कार्यक्रम के तहत मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में वैक्सीन की खेप हासिल करने वाला पहला देश सूडान है.

इसके अतिरिक्त, ये बहुत ज़रूरी है कि वैक्सीन उत्पादन को बढ़ाने के हर विकल्प को बढ़ावा दिया जाए जिनमें स्वैच्छिक लाइसेंस, टैक्नॉलॉजी साझा सुविधा और कुछ निश्चित बौद्धिक सम्पदा अधिकारों में ढिलाई बरते जाने के साथ-साथ, स्थानीय वैक्सीन उत्पादन क्षमताओं में संसाधन निवेश किया जाना शामिल हैं. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन पूरे अफ्रीका, एशिया और लातीन अमेरिका में, उत्पादन ठिकानों को तकनीकी सहायता मुहैया कराता रहेगा.

उन्होंने कहा कि 75 वर्ष के इतिहास में, संयुक्त राष्ट्र की भूमिका, इससे पहले इतनी ज़्यादा महत्वपूर्ण नहीं रही. “हम इस वायरस को, एक समय में केवल एक देश पर ध्यान देकर नहीं हरा सकते. हम ऐसा, केवल समन्वित वैश्विक प्रयासों के ज़रिये ही कर सकते हैं, और ये प्रयास एकजुटता, समानता और साझेदारी के सिद्धान्तों पर आधारित हों.”

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज – एक मात्र रास्ता

सयुक्त राष्ट्र की आर्थिक व सामाजिक परिषद (ECOSOC) के अध्यक्ष मुनीर अकरम ने कहा कि सार्वभौमिक वैक्सीन कवरेज, एक नैतिक ज़रूरत होने के साथ-साथ, महामारी से बाहर आने का केवल एकमात्र वास्तविक रास्ता है. 

उन्होंने वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने, बौद्धिक सम्पदा के मुद्दों को सुलझाने, विकासशील देशों में कमज़ोर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को समर्थन देने, निर्यात पाबन्दियाँ हटाने – विश्व स्वास्थ्य संगठन के एसीटी ऐक्सेलेरेटर के लिये धन मुहैया कराने के प्रयास बढ़ाने का भी आहवान किया.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सार्वभौमिक उपलब्धता की तरफ़ निर्णायक क़दम उठाया जाना ही, प्राथमिक आर्थिक पुनर्बहाली के लिये प्राथमिक शर्त है.

बहुपक्षवाद का सर्वश्रेष्ठ रूप

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष वोल्कान बोज़किर ने कहा कि दुनिया में आज वैक्सीन के अलावा, कोई अन्य विषय इतना प्रासंगिक नहीं है. हमारे प्रयास सम्पूर्ण नहीं रहे हैं, हमने जो शुरू किया है, उसे पूर्ण करना होगा.

उन्होंने सरकारों से ज़ोर देकर कहा कि वो मानवीय एकजुटता और सहयोग के लिये फिर से संकल्पबद्ध हों, आज तक जो प्रगति हुई है वो देशों का, सैकड़ों कम्पनियों और हज़ारों वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने का परिणाम है – “बहुपक्षवाद का सर्वश्रेष्ठ रूप”.

यूएन महासभा अध्यक्ष ने सर्वजन को वैक्सीन उपलब्ध कराने के लक्ष्य की तरफ़ बढ़ने के लिये, देशों से कोवैक्स के लिये संसाधन जुटाने; वैक्सीन शोध, उत्पादन और वितरण में संसाधन निवेश करने; ज़रूरतमन्द देशों को वैक्सीन दान करने और झूठी जानकारी फैलाव का मुक़ाबला करने का आग्रह किया ताकि टीकाकरण के फ़ायदों के बारे में, सभी जन, शिक्षित और जानकार हो सकें.

उन्होंने कहा, “ये संयुक्त राष्ट्र का काम है और सदस्य देशों को इन माँगों की पूर्ति के लिये कार्रवाई करनी होगी.”