बाल मानसिक स्वास्थ्य संकट, कोविड के कारण हुआ कई गुना गम्भीर
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को एक विचार गोष्ठि में चेतावनी वाले शब्दों में कहा है कि दुनिया भर के लगभग आधे बच्चों को हर साल, ऑनलाइन और ऑफ़लाइन हिंसा का अनुभव करना पड़ता है, जिसके उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिये, विनाशकारी और जीवन पर्यन्त परिणाम होते हैं.
यूएन प्रमुख ने उच्च स्तरीय राजनैतिक फ़ोरम (HLPF) द्वारा मानसिक स्वास्थ्य और जीवन बेहतरी विषय पर आयोजित एक विचार गोष्ठि को वीडियो सम्बोधन में कहा कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ, लम्बे समय से अनदेखी और कम संसाधन निवेश जैसी मुश्किलों का शिकार रही हैं, और ज़रूरतमन्द बच्चों में से बहुत कम को ही ये सेवाएँ उपलब्ध हो पा रही हैं.
All over the 🌍 children are taking action around mental health with remarkable creativity, solidarity and resilience to support one another, their families and community, before and during the Covid19 crisis.Full 🎥 👉 https://t.co/H0uVKzjfXv#MentalHealthMatters @BelgiumUN pic.twitter.com/YwaS2YxZjQ
UN_EndViolence
सेवाओं में कटौती
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “कोविड-19 महामारी ने समस्या को कई गुना बढ़ा दिया है. करोड़ों बच्चे स्कूलों से बाहर हैं जिसके कारण वो हिंसा और मानसिक दबाव के लिये कमज़ोर हो गए हैं, जबकि उनके लिये ज़रूरी सेवाओं में या तो कटौती हुई है या वो ऑनलाइन काम करने लगी हैं.”
“अब जबकि हम सभी, एक मज़बूत आर्थिक पुनर्बहाली में संसाधन निवेश करने पर विचार कर रहे हैं तो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी को सहायता देना एक प्राथमिकता होनी चाहिये.”
उन्होंने कहा, “मैं देशों की सरकारों से भी ये आग्रह करता हूँ कि वो बच्चों और परिवारों की सामाजिक संरक्षा के पुख़्ता इन्तज़ाम करके, उनके मानसिक स्वास्थ्य के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने वाला निषेधात्मक रुख़ अपनाएँ.”
“समुदाय आधारित देखभाल तरीक़ों के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक सहायता, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) के अभिन्न अंग हैं. इन पहलुओं को भुलाया नहीं जा सकता.”
बच्चे का नज़रिया व योगदान
यूएन प्रमुख ने कहा कि बच्चे, एक दूसरे के मानसिक स्वास्थ्य में मदद करने में अहम भूमिका निभाते हैं. उन्हें समाधान के एक हिस्से के रूप में ही सशक्त बनाया जाना चाहिये.
“आइये, हम सभी मिलकर एक ऐसे टिकाऊ, इनसान केन्द्रित, मज़बूत व लचीले समाजों के निर्माण में काम करें जहाँ बच्चे किसी तरह की हिंसा के बिना और उच्च स्तर के मानसिक स्वास्थ्य के साथ अपना जीवन जी सकें.”
गुरूवार की इस बैठक का आयोजन, संयुक्त राष्ट्र में बेल्जियम के स्थाई मिशन और मानसिक स्वास्थ्य और बेहतरी पर ग्रुप ऑफ़ फ्रेण्ड्स ने मिलकर किया था.
इस बैठक में 19 देशों के बच्चों के योगदान को दिखाने वाली वीडियो भी प्रस्तुत की गई जिन्होंने एक दूसरे की मदद करने के लिये क्या क़दम उठाए.
बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा पर, संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि माआला माजिद ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर, हिंसा के विनाशकारी प्रभाव की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया.
“बचपन में हिंसा से दो-चार होना और अन्य कड़वे अनुभव करने से, मानसिक दबाव के ऐसे सिलसिले शुरू हो जाते हैं जिनसे तात्कालिक और दीर्घकालिक शारीरिक सक्रियता सम्बन्धी और मनोवैज्ञानिक नुक़सान होते हैं.”
उन्होंने कहा, “मानसिक बीमारी की मानवीय क़ीमत के साथ-साथ, आर्थिक क़ीमत भी बहुत भारी होती है.”
बदलाव का मौक़ा
विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि महामारी से उबरने के प्रयासों में देशों के सामने, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में संसाधन निवेश करने का एक अच्छा मौक़ा मौजूद है, “हम अब सामान्य स्थिति की तरफ़ नहीं लौट सकते क्योंकि महामारी का फैलाव शुरू होने से पहले जो सामान्य स्थिति थी, वो कोई ख़ास अच्छी नहीं थी.
उन्होंने कहा कि देश अपने स्वास्थ्य बजटों की केवल 2 प्रतिशत धनराशि ही, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं पर ख़र्च कर रहे थे.”
“हमें मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में और ज़्यादा संसाधन निवेश करने के अतिरिक्त, मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अपने नज़रिये में बदलाव करने की ज़रूरत है."
उन्होंने कहा कि महामारी से सीखे गए सबक़ों को बुनियाद बनाते हुए, मानसिक स्वास्थ्य और बाल संरक्षण सेवाओं को जीवनदाई और अनिवार्य सेवाओं के रूप में मान्यता देनी होगी.