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कोविड-19: महिलाओं को बनाना होगा 'पुनर्बहाली के प्रयासों की धुरी'

अफ़ग़ानिस्तान की संसद में महिला सांसद, निर्णय निर्धारक भूमिकाओं में महिलाओं के विषय पर एक बैठक में हिस्सा ले रही हैं.
UN Women/ Nangyalai Tanai
अफ़ग़ानिस्तान की संसद में महिला सांसद, निर्णय निर्धारक भूमिकाओं में महिलाओं के विषय पर एक बैठक में हिस्सा ले रही हैं.

कोविड-19: महिलाओं को बनाना होगा 'पुनर्बहाली के प्रयासों की धुरी'

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को ‘महिलाओं की स्थिति पर आयोग’ (Commission on the Status of Women) को सम्बोधित करते हुए कहा है कि कोविड-19 के प्रभावों से पुनर्बहाली प्रयासों के केन्द्र में, आगे-पीछे, हर तरफ़ महिलाओं को रखना होगा, यानि अर्थशास्त्र, दक्षता, कारगरता और सामाजिक सुदृढ़ता का एकग विषय बनाना होगा. 

यूएन प्रमुख ने स्पष्टता से कहा कि पुरुषों द्वारा बनाई गई उन नीतियों की ओर नहीं लौटा जा सकता है, जिनके परिणामस्वरूप हम अपने चारों ओर भंगुरता देखते हैं. 

स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में, सामाजिक संरक्षा में, न्याय तक पहुँच होने में, और हमारे ग्रह के कल्याण में. 

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महासचिव गुटेरेश ने आयोग के 65वें सत्र के दौरान एक वर्चुअल टाउन हॉल बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा, “पुरुषों के दबदबे वाली टीमें, पुरुषों के दबदबवे वाले समाधान साथ लाएँगी.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि कोविड-19 महामारी के कारण महिला अधिकारों पर सामाजिक व आर्थिक रूप से, विशेष रूप से सबसे निर्बल, वंचित और निर्धनतम महिलाओं पर विनाशकारी असर हुआ है. 

उन्होंने घरों में और ऑनलाइन माध्यमों पर, लैंगिक हिंसा का उल्लेख करते हुए कहा कि कोरोनावायरस संकट के दौरान विषमताएँ बढ़ी हैं, और एक करोड़ 20 लाख महिलाओं के लिये, यौन व प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएँ सुलभ नहीं हैं.  

“यूनीसेफ़ ने पिछले सप्ताह बताया कि महामारी के फलस्वरूप, एक करोड़ से ज़्यादा लड़कियों के बाल वधू बनने का जोखिम है.”

उन्होंने कहा कि पुनर्बहाली के लिये जो दल और आयोग गठित किये गए, उनमें व्यापक लैंगिक खाई है.

अवसरों का उपयोग

महासचिव ने आगाह किया कि मौजूदा नीतियों में टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा के अनुरूप बदलाव लाने की आवश्यकता है ताकि हर कोई, एक स्वस्थ ग्रह पर जीवन, गरिमा और सुरक्षा का अनुभव कर सके.  

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि लैंगिक समानता, ताक़त से जुड़ा प्रश्न है, और आगे बढ़ने के लिये महिलाओं का पूर्ण प्रतिनिधित्व व नेतृत्व पहली शर्त है. 

उन्होंने टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने के लिये ‘कार्रवाई के दशक’ में स्फूर्ति भरने, और ज़्यादा समान, न्यायोचित, समावेशी व टिकाऊ समाजों व अर्थव्यवस्थाओं की दिशा में आगे बढ़ने के लिये, पाँच रूपान्तरकारी कार्रवाई क्षेत्रों की पैरवी की है. 

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि भेदभावपूर्ण क़ानूनों को निरस्त करना होगा, महिलाओं का समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किये जाने के लिये प्रयास करने होंगे, समान वेतन के साथ आर्थिक समावेशन को बढ़ावा देना होगा.

साथ ही महिलाओं के विरुद्ध हिंसा से निपटने के प्रयासों में संसाधन निवेश, नीतियों व राजनैतिक इच्छाशक्ति को सुनिश्चित करना होगा, और युवा महिला नेताओं के लिये समर्थन जुटाना होगा. 

आशा के संकेत

यूएन प्रमुख ने कहा कि कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये वैक्सीनें रिकॉर्ड समय में विकसित की गई हैं, जिससे उम्मीदें बंधी हैं. 

लेकिन उन्होंने सचेत किया कि अक्सर भेदभावपूर्ण और विषमता वाले पुराने ढर्रे पर लौटने के बजाय, एक ऐसी दुनिया की ओर जाना होगा जो, पहले से ज़्यादा सुरक्षित, निष्पक्ष, ज़्यादा समावेशी व समान हो. 

मंगलवार को इस कार्यक्रम का आयोजन महिला सशक्तिकरण के लिये प्रयासरत संस्था, यूएन वीमैन ने किया. 

संगठन की कार्यकारी निदेशक फ़ूमज़िले म्लाम्बो-न्गुका ने महासचिव गुटेरेश की अपील को दोहराते हुए कहा कि कोविड-19 को केवल पुरुषों द्वारा नहीं हल किया जा सकता – इसके लिये महिलाओं की अन्तर्दृष्टि की आवश्यकता है.

मॉरीशस की एक सामाजिक कार्यकर्ता, नन्दिनी तान्या लालमॉन ने महिला अधिकारों व LGBTI समूह की ओर से कहा कि स्थानीय निकायों, राजनैतिक दलों, श्रम संगठनों में महिलाओं, लड़कियों LGBTI समुदाय की अनुपस्थिति से, उनके अधिकारों के मार्ग में अवरोध पैदा हो रहे हैं. 

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में पूर्ण व समावेशी भागीदारी, हर समूह के हितों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की एक अनिवार्य शर्त है.