कोविड-19: दक्षिण-दक्षिण सहयोग और आपसी एकजुटता पर बल

ऐसे समय जब दुनिया वैश्विक महामारी कोविड-19 से निपटने के प्रयासों में जुटी है, दक्षिण-दक्षिण सहयोग और वैश्विक एकजुटता की भावना जीवित है और फल-फूल रही है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिये संयुक्त राष्ट्र दिवस’ के अवसर पर अपने सन्देश में ग्लोबल साउथ यानि दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित अधिकांश विकासशील देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिये व्यावहारिक प्रयासों की अहमियत को रेखांकित किया है.
यह दिवस आधिकारिक रूप से 12 सितम्बर को मनाया जाता है लेकिन इस वर्ष कार्यक्रम का आयोजन दो दिन पहले गुरुवार को किया गया.
International solidarity & collaboration are key to effectively respond to the global #COVID19 crisis.More on Saturday's #SouthSouthCooperation Day: https://t.co/eURfNXqjLW
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दक्षिण-दक्षिण सहयोग का तात्पर्य दुनिया के विकासशील देशों में तकनीकी सहयोग से है जिसके ज़रिये सदस्य देश, अन्तरराष्ट्रीय संगठन, शिक्षाविद, नागरिक समाज और निजी सैक्टर आपस में मिलकर काम करते हैं और ज्ञान, कौशल व सफल उपक्रमों की जानकारी एक दूसरे को मुहैया कराते हैं.
इस सिलसिले में गुरुवार को “Pathways toward the Sustainable Development Goals through South-South solidarity beyond COVID-19” नामक विषय पर एक उच्चस्तरीय चर्चा का आयोजन किया गया जिसमें टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने में दक्षिण-दक्षिण एकजुटता के रास्तों की तलाश करने पर विचार-विमर्श हुआ.
यूएन प्रमुख ने कहा कि विकासशील देश मेडिकल सामग्री की आपूर्ति करने के साथ-साथ वित्तीय संसाधन भी प्रदान कर रहे हैं और महामारी से लड़ाई में सर्वश्रेष्ठ समाधानों की जानकारी साझा कर रहे हैं.
महासचिव ने कहा कि दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग को बढ़ावा देने में संयुक्त राष्ट्र कोविड-19 महामारी के दौरान भी अपनी भूमिका निभा रहा है. इसके तहत कोविड-19 के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई और पुनर्बहाली के दौरान विकासशील देशों के लिये वित्तीय आबंटन की प्रक्रिया को तेज़ करना है.
त्रिकोणीय सहयोग में तीन पक्षों की भूमिका होती है. दो वैश्विक दक्षिण से और एक वैश्विक उत्तर से, और यह एक अन्तरराष्ट्रीय संगठन भी हो सकता है. इसके तहत उत्तर में स्थित पक्ष, वित्तीय संसाधन प्रदान करता है ताकि दक्षिण के देश किसी ख़ास विषय पर तकनीकी सहयोग का आदान-प्रदान कर सकें.
महासचिव गुटेरेश ने इस सम्बन्ध में दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिये यूएन कोष के ज़रिये हुई प्रगति का उल्लेख किया जिसकी मदद से बरबूडा के एकमात्र अस्पताल की मरम्मत का काम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ है.
वर्ष 2017 में कैरीबियाई द्वीप पर चक्रवाती तूफ़ान इरम के दौरान यह अस्पताल क्षतिग्रस्त हो गया था लेकिन अब यह महामारी के दौरान स्थानीय समुदाय की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये सक्षम है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद-बाँडे ने टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा के अन्तर्गत ‘कार्रवाई के दशक’ के सन्दर्भ में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को महत्वपूर्ण बताया है.
उन्होंने कहा कि इसके ज़रिये ग़रीबी उन्मूलन, भुखमरी का अन्त, जलवायु परिवर्तन और समावेशन जैसे मुद्दों पर लक्ष्य हासिल करने में योगदान दिया जा सकता है.
वायरस ने समाजों और अर्थव्यवस्थाओं में पहले से मौजूद विषमताएँ उजागर कर दी हैं और इस वर्ष के अन्त तक सात करोड़ लोगों के चरम ग़रीबी में धँसने का ख़तरा रहा है, जबकि 12 करोड़ लोग अल्पपोषण का शिकार हो सकते हैं.
महासभा अध्यक्ष ने ज़ोर देकर कहा कि ऐसे विशिष्ट क़दमों पर ध्यान देने की ज़्यादा ज़रूरत है जिनसे विकासशील देशों में लोगों की आजीविका और स्वास्थ्य कल्याण को सुनिश्चित करने में मदद मिले.
ग़ौरतलब है कि मौजूदा आर्थिक चुनौतियों में विकासशील देशों के पास राहत पैकेजों के लिये संसाधन नहीं है और उन पर क़र्ज़ का बोझ भी बढ़ रहा है जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक संरक्षा योजनाएँ सुनिश्चित करने की क्षमताएँ प्रभावित हो रही हैं.
उन्होंने स्पष्ट किया कि क़र्ज़ अदायगी के सम्बन्ध में राहत के प्रयास तेज़ किये जाने होंगे और वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने में रियायतें देनी होंगी ताकि कमज़ोर वर्गों को सहारा दिया जा सके.
यूएन महासभा प्रमुख ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाते समय बेहतर पुनर्बहाली के लिये ग्लोबल साउथ को एक महत्वाकाँक्षी मार्ग तैयार करना होगा.
इस अवसर पर यूएन विकास कार्यक्रम के प्रमुख एखिम श्टाइनर ने कहा कि उनकी एजेंसी के कामकाज का एक अहम हिस्सा दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग पर केन्द्रित है.
दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के निदेशक योर्गे चेडियेक ने भी वर्चुअल बैठक को सम्बोधित करते हुए दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिये वैश्विक संकल्प को जारी रखने और उसे प्रोत्साहन देने का आहवान किया है.