भ्रष्टाचार और कर चोरी क़ाबू से बाहर, तत्काल सुधारों की दरकार – यूएन आयोग

संयुक्त राष्ट्र के एक उच्चस्तरीय पैनल ने कहा है कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली इस समय मौजूदा कर व्यवस्था के ग़लत इस्तेमाल, अवैध वित्तीय लेनदेन, काला धन सफ़ेद किये जाने और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं की जकड़ में है. उच्चस्तरीय पैनल ने गुरूवार को अपनी अन्तरिम रिपोर्ट पेश करते हुए वर्ष 2030 तक टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने के लिये तात्कालिक सुधारों की आवश्यकता को रेखांकित किया है.
2030 के विकास एजेण्डा को हासिल करने के लिये अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय जवाबदेही, पारदर्शिता व अखण्डता पर उच्चस्तरीय आयोग (FACTI) की सहप्रमुख व लिथुएनिया की पूर्व राष्ट्रपति डालिया ग्रिबाउसकायते ने कहा कि भ्रष्टाचार और कर चोरी के तरीक़े फलफूल रहे हैं.
A pleasure to speak at the launch of @FACTIpanel Interim Report. Creating a global economic system characterized by financial accountability, transparency & integrity will bring enormous benefits to efforts to achieve the #SDGs, all the more pressing under the shadow of #COVID19. pic.twitter.com/QfvBYbKWVq
UN_PGA
“बहुत सारे बैंक भी इसमें शामिल हैं और बहुत सी सरकारें अब भी अतीत में उलझी हुई हैं. हम सभी को लूटा जा रहा है, विशेषत: दुनिया के ग़रीबों को.”
इस पैनल का गठन महासभा के 74वें अध्यक्ष और आर्थिक एवँ सामाजिक परिषद के 75वें अध्यक्ष ने किया था और इसमें पूर्व राष्ट्राध्यक्षों व सरकार प्रमुखों के अलावा केन्द्रीय बैंकों के पूर्व गवर्नर, व्यवसाय और नागरिक समाज के नेता व शिक्षा जगत की प्रतिष्ठित हस्तियाँ शामिल हैं.
ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक जिन संसाधनों का इस्तेमाल निर्धनों की मदद के लिये किया जा सकता है, उनका कहीं और इस्तेमाल हो रहा है.
इनमें अपने मुनाफ़े को कहीं और ले जाने वाले उद्यमों से प्रतिवर्ष 500 अरब डॉलर का नुक़सान और कर अदायगी से बचाने वाले देशों के बैंकों में छिपाई गई सात ट्रिलियन डॉलर की निजी सम्पदा है.
वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग दस फ़ीसदी हिस्सा सम्बन्धित देशों से बाहर है और हर साल क़रीब डेढ़ ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा काले धन को सफ़ेद किया जाता है.
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकारों को वित्तीय अपराध व भ्रष्टाचार रोकने के लिये और ज़्यादा क़दम उठाने होंगे.
रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में डिजिटल और वैश्वीकृत दुनिया के अनुरूप बदलाव नहीं हुए हैं और महामारी के दौरान स्वास्थ्य देखभाल व सामाजिक संरक्षा सेवाओं की गति बढ़ाने के लिये, सरकारों ने सख़्ती कम की है जिसका फ़ायदा अपराधी तत्व उठा रहे हैं.
निजेर के पूर्व प्रधानमन्त्री और आयोग के सहप्रमुख इब्राहिम मायाकी ने क्षोभ जताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार और वित्तीय अपराधों से निपटने में हमारी कमज़ोरी कोविड-19 के दौरान और ज़्यादा उजागर हो गई है.
“वायरस का फैलाव रोकने, लोगों को जीवित रखने और भोजन उपलब्ध कराने के लिये संसाधन भ्रष्टाचार व अनुचित बर्ताव की बलि चढ़ रहे हैं.”
आयोग के सदस्यों ने सामंजस्यपूर्ण और न्यायसंगत ढँग से अन्तरराष्ट्रीय कर सहयोग को बढ़ावा देने की पुकार लगाई है जिसमें डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिये कर निर्धारित करने और विवादों का निपटारा करने के लिये सन्तुलित सहयोग पर बल दिया जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष ने वित्तीय जवाबदेही, पारदर्शिता और अखण्डता को सुनिश्चित करने के लिये सामूहिक प्रयासों को मज़बूती देने की अहमियत भी रेखांकित की.
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि FACTI आयोग के विश्लेषण की मदद से भ्रष्टाचार पर अगले वर्ष एक विशेष सत्र का आयोजन किया जाएगा.
इस बीच आर्थिक एवँ सामाजिक परिषद के अध्यक्ष मुनीर अकरम ने ज़ोर देकर कहा कि टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19, तीनों वैश्विक चुनौतियों का पुख़्ता ढँग से सामना करने के लिये पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की ज़रूरत होगी.