वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां
सतत विकास लक्ष्यों के तहत शिंपिग कंपनियां टिकाऊ समुद्री परिवाहन के उपाय खेज रही हैं.

जहाज़रानी उद्योग से ‘पर्यावरणीय आपदा’ का ख़तरा

© MSC shipping
सतत विकास लक्ष्यों के तहत शिंपिग कंपनियां टिकाऊ समुद्री परिवाहन के उपाय खेज रही हैं.

जहाज़रानी उद्योग से ‘पर्यावरणीय आपदा’ का ख़तरा

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र के व्यापारिक अंग, यूएनसीटीएडी की उप प्रमुख, इसाबेल ड्यूरेंट ने बुधवार को ग्लोबल मैरीटाइम फोरम शिखर सम्मेलन में कहा है कि यदि समुद्री उद्योग से उत्पन्न उत्सर्जन में कटौती नहीं की जाती है, तो हम "एक पर्यावरणीय आपदा" को न्यौता दे देंगे. 

संयुक्त राष्ट्र की शिपिंग एजेंसी, आईएमओ भी उनके विचार से पूर्णत: सहमत थी. उनके प्रवक्ता ली एडमसन ने एक विशेष साक्षात्कार में यूएन न्यूज़ को बताया कि शिपिंग से उत्सर्जन का वर्तमान स्तर "स्वीकार्य नहीं है" और उद्योग को "नई प्रणोदन क्रांति" की आवश्यकता है, जिससे इस सेक्टर से उत्पन्न उत्सर्जन में कटौती की जा सके.

सैकड़ों वर्षों से पोत-परिवहन दुनिया को जोड़ने के सबसे महत्वपूर्ण तरीकों में से एक रहा है. आज भी ये अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और राष्ट्रों और समुदायों को जोड़ने का काम करता है. वैश्विक व्यापार और समुद्री परिवहन में हो रही वृद्धि के साथ भविष्य में इसकी भूमिका और अहम होने की उम्मीद है.

IMO के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जहाज़रानी उद्योग बहुत आवश्यक होगा. दुनिया के 80 प्रतिशत से अधिक व्यापारों के लिए ये एक भरोसेमंद, ऊर्जा-कुशल और कम लागत वाला मार्ग उपलब्ध कराएगा.

बंकर ईंधन के उपयोग से बचें

फिर भी, इस सेक्टर द्वारा उत्पादित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की मात्रा बहुत ज़्यादा है. विश्व बैंक के अनुसार, जलवायु कार्रवाई के मामले में ये सेक्टर अन्य परिवहन सेक्टरों से पीछे रह गया है. विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक एक बड़ा जहाज़, 5 करोड़ कारों के बराबर सल्फर पैदा करता है.

इटली में जियोआ ताउरो बंदरगाह पर सामान उतारता एक कंटेनर जहाज

हर साल लगभग 80 करोड़ टन के हिसाब से, ये उद्योग लगभग 2.2 प्रतिशत वैश्विक उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार है.

बड़े पैमाने पर समुद्री उत्सर्जन को कम करने के महत्व पर एक प्लेनरी पैनल में हिस्सा लेने आईं इसाबेल ड्यूरेंट ने कहा कि समुद्री उद्योग बहुत हद तक तरल ईंधन (तथाकथित "बंकर ईंधन") पर निर्भर करता है, जिसका कार्बन फुटप्रिंट बहुत ज़्यादा है. अगले बीस वर्षों में वैश्विक समुद्री व्यापार दोगुना होने की उम्मीद है, जिसका मतलब ये है कि यह सुनिश्चित करना ज़रूरी हो गया है कि जहाजों को संचालित करने के लिए अधिक टिकाऊ तरीक़े ढूंढे जाऐं.

यही कारण है कि उत्सर्जन में कटौती कर, धीरे-धीरे उनकी पूर्ण समाप्ति के उद्देश्य को लेकर संयुक्त राष्ट्र कई परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहा है.

सिंगापुर में होने वाले ग्लोबल मैरीटाइम फोरम के वार्षिक शिखर सम्मेलन में इसाबेल ड्यूरेंट और उनके सहयोगियों ने UNCTAD की 2019 का समुद्री परिवहन समीक्षापत्र लांच किया. इसमें टिकाऊ पर्यावरण के लिए एक अभियान की आवश्यकता पर जोर दिया गया है और इस बात का संज्ञान लिया गया कि पिछले दशक में शिंपिंग उद्योग का तक़नीकी व्यवधान और जलवायु परिवर्तन पर बड़ा प्रभाव पड़ा है.

कुछ कंपनियां शून्य-उत्सर्जन वाले जहाजों को विकसित करने के लिए वित्तीय सहायता की भी गुहार लगा रही हैं.

ली एडम्सन ने यूएन न्यूज़ को बताया कि किस तरह आईएमओ इसे वास्तविकता में बदलने में मदद कर रहा है. “2018 में, आईएमओ के सदस्य देशों ने शिपिंग से जीएचजी उत्सर्जन में कटौती करने और जल्दी से जल्दी उसे पूरी तरह से समाप्त करने के लिए एक प्रारंभिक रणनीति अपनाई. जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते और इसकी महत्वाकांक्षाओं में पूर्ण समन्वय है – जिसके तहत 2008 की तुलना में 2050 तक इस क्षेत्र के उत्सर्जन में कम से कम 50 प्रतिशत कटौती करने का लक्ष्य है.”

"कार्बन उत्सर्जन कम करने के सहमत लक्ष्य जहाज़रानी उद्योग क्षेत्र में भी ये लक्ष्य हासिल करने की कुछ रफ़्तार तय करते हैं. इसलिए शून्य कार्बन वाले जहाज़ 2050 से पहले तक बनने शुरू हो जाने चाहिए, संभवतः 2030 तक."

ली एडम्सन ने कहा कि व्यापार और परिवहन में अपेक्षित वृद्धि को देखते हुए समुद्री जहाज़ों को फिलहाल कार्बन उत्सर्जन में लगभग 80 प्रतिशत की कटौती करनी होगी और नये बनने वाले जहाज़ों को 2030 तक पूरी तरह उत्सर्जन-मुक्त करना होगा.“ इस रणनीति से नई प्रणोदन क्रांति लाने की उम्मीद की जा रही है.

जहाज़ों के उत्सर्जन से जलवायु परिवर्तन और लोगों के स्वास्थ्य पर जो बुरा असर पड़ रहा है, उसे देखते हुए अब यथास्थिति स्वीकार्य नहीं है. इसका ख़ामियाज़ा अब पूरी मानव जाति को उठाना पड़ेगा – ली एडम्सन, प्रवक्ता, अंतरराष्ट्रीय मैरीटाईम संस्थान

"व्यावसायिक रूप से शून्य-कार्बन जहाज़ों को व्यवसायिक रूप से और ज़्यादा आकर्षक बनाने की ज़रूरत है और नवीन सतत् तकनीकों और कम कार्बन और शून्य-कार्बन ईंधन वाली वैकल्पिक तकनीकों में निवेश अत्यंत आवश्यक है.”

बैटरी-चालित भविष्य की ओर क़दम

ली एडम्सन कहते हैं कि आईएमओ उत्सर्जन रणनीति के मद्देनज़र भविष्य के स्पष्ट संकेत दिए जाने के बाद, जहाज़रानी उद्योग कई रोमांचक विकल्पों की जांच कर रहा है. इनमें बैटरी से चलने वाली और हाइब्रिड फैरी, जहाज़ के जैव ईंधन या हाइड्रोजन ईंधन सेल और हवा की सहायता से जहाज़ों का संचालन भी शामिल हैं.

उदाहरण के लिए, नॉर्वे की फैरी कंपनी कलर लाइन दुनिया के सबसे बड़े प्लग-इन हाइब्रिड जहाज़ का निर्माण कर रही है, जो 2000 यात्रियों और 500 कारों को स्ट्रोमस्टैड, स्वीडन और नार्वे के सैंडफैजॉर्ड के बीच आवाजाही कराने में सक्षम होगा.

नाव पर बैटरी पैक 60 मिनट तक की गति देता है, जिससे वो 12 समुद्री मील तक की गति से चल सकता है. मतलब ये कि फैजॉर्ड से सैंडफैजॉर्ड बंदरगाह की आख़िर की दो-ढाई घंटे की यात्रा पूरी तरह उत्सर्जन-मुक्त रहेगी.

नॉर्वे ब्रोड्रीन एए का घर भी है, जो अत्यधिक कुशल कार्बन फाइबर फैरी बनाता है. माना जाता है कि पारंपरिक जहाज़ों की तुलना में, इसमें ईंधन की खपत 40 प्रतिशत कम होती है. भविष्य में शून्य उत्सर्जन की ज़रूरतों को देखते हुए कंपनी ने एक ऐसा पोत भी विकसित किया है जो पूरी तरह से बैटरी और हाइड्रोजन पर चलता है.

प्रगति के लिए साझेदारी

ली एडमसन ने आगाह करते हुए कहा कि शिपिंग उद्योग में शून्य-उत्सर्जन भविष्य के उत्साहजनक संकेतों के बावजूद अगर संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों को प्राप्त करना है तो तुरंत कार्रवाई करनी होगी. 

आईएमओ प्रगति को गति देने के लिए सदस्य देशों और शिपिंग उद्योग के साथ मिलकर कई वैश्विक परियोजनाओं पर काम कर रहा है. (बॉक्स में देखें)।

IMO के प्रवक्ता का कहना है हालांकि कम या शून्य-उत्सर्जन शिपिंग में निवेश का मतलब उच्च लागत हो सकता है, लेकिन अब इसे वर्तमान रूप में चलने देने का विकल्प नहीं बचा है.

"जहाज़ों के उत्सर्जन से जो बुरा असर पड़ रहा है, उसे देखते हुए अब यथास्थिति स्वीकार्य नहीं है – न केवल जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसके असर का ख़ामियाज़ा पूरे समाज को भुगतना पड़ रहा है.”

" प्रदूषक ही भुगतान करेगा' – ये सिद्धांत पूरी तरह मान्य है. अब ये स्वीकार करना होगा कि शिपिंग उद्योग प्रदूषक है और इसकी अहमियत देखते हुए इस समस्या से निपटना ज़रूरी है."

शिपिंग उत्सर्जन में कटौती के लिए आईएमओ समर्थित परियोजनाएं

  • कम कार्बन शिपिंग (GloMEEP) के समर्थन के लिए ग्लोबल इंडस्ट्री अलायंस, 10 देशों को ऊर्जा दक्षता उपाय लागू करने के लिए सहयोग प्रदान करता है.
  • वैश्विक समुद्री प्रौद्योगिकी नेटवर्क (GMN), इस क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता में सुधार के तरीक़ों को बढ़ावा देने वाले समुद्री तकनीकी केंद्रों को एकजुट करता है.
  • आईएमओ और नॉर्वे सरकार के बीच एक सहयोग के तहत ग्रीनवोयाज-2050, शिपिंग उत्सर्जन कम करने के लिए तक़नीकी समाधान के परीक्षण हेतु वैश्विक प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए डिज़ायन किया गया है.