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सऊदी महिलाओं के लिए संरक्षण प्रणाली का ख़ात्मा 'उत्साहजनक'

सऊदी अरब ने 2017 में भी महिलाओं पर लगी सामाजिक पाबंदियों पर सख़्ती को कम किया था.
FAO/Alessandra Benedetti
सऊदी अरब ने 2017 में भी महिलाओं पर लगी सामाजिक पाबंदियों पर सख़्ती को कम किया था.

सऊदी महिलाओं के लिए संरक्षण प्रणाली का ख़ात्मा 'उत्साहजनक'

महिलाएँ

सऊदी अरब में महिलाओं को पासपोर्ट के लिए आवेदन और पुरुष संरक्षकों की मर्ज़ी के बग़ैर विदेश यात्रा की अनुमति दिए जाने को उत्साहजनक क़दम बताया गया है. संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र विशेषज्ञों का कहना है कि इस निर्णय से पुरुष संरक्षक प्रणाली के पूर्ण उन्मूलन में मदद मिलेगी लेकिन अभी सभी पाबंदियां हटाने के लिए और प्रयास किए जाने होंगे.

यूएन के छह स्वतंत्र विशेषज्ञों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस संबंध में कोई भी प्रगति तब तक कमज़ोर रहेगी जब तक व्यापक सुधार लागू नहीं किए जाते.

साथ ही ऐसे क़दम उठाए जाएं कि महिलाओं के लिए अधिकारों को शाही फ़रमानों से आगे बढ़कर सऊदी अरब के संविधान में भी जगह मिल सके.

सऊदी अरब ने इससे पहले 2017 में महिलाओं पर लगी सामाजिक पाबंदियों पर सख़्ती को कम किया था.

2019 के नए शाही फ़रमान के तहत सऊदी अरब की महिलाएं अब स्वतंत्र रूप से पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकेंगी और 21 वर्ष से ज़्यादा उम्र वाली महिलाओं को स्वतंत्र रूप से यात्रा करने की इजाज़त होगी. इसके लिए उन्हें कथित संरक्षकों की अनुमति की ज़रूरत नहीं होगी. ये फ़ैसला अगस्त 2019 के आख़िर तक लागू होने की उम्मीद जताई गई है.

रिपोर्टों के अनुसार कुछ मानवाधिकार पैरोकारों ने इस पहल का स्वागत किया है लेकिन उनके अनुसार शादी करने सहित जीवन के कुछ अन्य क्षेत्रों में महिलाओं को अब भी एक पुरुष परिजन की अनुमति चाहिए.

विशेषज्ञों का कहना है कि संरक्षण प्रणाली के तहत महिलाओं पर कई पाबंदियां जारी हैं जिससे उनके बुनियादी मानवाधिकारों, मानवीय स्वायत्तता और गरिमा बुरी तरह प्रभावित होते हैं.

महिला रिश्तेदारों पर पुरुषों को मनमाने ढंग से अधिकार दिए जाने से उनके ख़िलाफ़ भेदभाव उपजता है.

“इससे राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक मामलों में निर्णय प्रक्रिया में महिलाओं की समान भागीदारी कमज़ोर पड़ती है. इसके साथ उनकी आवागमन की आज़ादी, शिक्षा, काम, न्याय तक पहुंच, निजता और पारिवारिक जीवन पर भी असर पड़ता है.”

निजता के मुद्दे पर विशेष यूएन रैपोर्टियर जोसेफ़ कानाटाची ने गहरी चिंता जताई है कि तकनीकी साधनों और ऐप्स जैसे डिजिटल माध्यमों के ज़रिए भी पुरुष संरक्षक महिलाओं पर नियंत्रण रख सकते हैं.

“मुझे विशेष तौर पर अबशेर मोबाइल ऐप को लेकर चिंता है जिससे पुरुष संरक्षक महिलाओं की आवाजाही की निगरानी और उसे ऐसे नियंत्रित कर सकते हैं जो निजता के मानवाधिकार के अनुरूप नहीं है. मुझे आशा है कि नए क़ानून का उसकी भावना के अनुरूप इस्तेमाल करते हुए ऐसे तरीक़ों का तत्काल उन्मूलन किया जाएगा.”

विशेषज्ञों ने सऊदी अरब सरकार की इस पहल का स्वागत किया है लेकिन साथ ही आग्रह किया है कि यूएन मानवाधिकार परिषद में मार्च 2019 किए गए वादे के अनुरूप बिना देरी के पुरुष संरक्षक प्रणाली का उन्मूलन कर देना चाहिए.

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र विशेषज्ञ जिनीवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किए जाते हैं.

इन विशेषज्ञों को किसी देश में मानवाधिकारों की स्थिति या मानवाधिकारों के किसी ख़ास विषय की समीक्षा कर उस पर एक रिपोर्ट तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है.

इनका पद मानद होता है और ये संयुक्त राष्ट्र स्टाफ़ नहीं होते और उनके कार्यों के लिए उन्हें कोई वित्तीय भुगतान नहीं किया जाता है.