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फँसे हुए प्रवासियों को सुरक्षित व गरिमामय वतन वापसी की दरकार – यूएन समिति

लीबिया के ज़ाविया के एक हिरासत केंद्र में प्रवासी.
Photo: Mathieu Galtier/IRIN
लीबिया के ज़ाविया के एक हिरासत केंद्र में प्रवासी.

फँसे हुए प्रवासियों को सुरक्षित व गरिमामय वतन वापसी की दरकार – यूएन समिति

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र के स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक आयोग ने गुरुवार को आग्रह किया है कि सरकारों को उन प्रवासी कामगारों की मुश्किलों का तत्काल समाधान करना होगा जिन्हें अमानवीय परिस्थितियों में हिरासत में रखा गया है. इन प्रवासी कामकारों पर कोरोनावायरस फैलाने का दोष भी मढ़ा गया है.

‘प्रवासी कामगारों पर यूएन समिति’ ने हिरासत केन्द्रों में रखे गए कामगारों के साथ हर दिन हो रहे बुरे बर्ताव और प्रताड़ना की रिपोर्टों का उल्लेख करते हुए खाड़ी देशों में सुविधाओं सम्बन्धी हालात पर चिन्ता जताई है. 

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इन देशों में सऊदी अरब, यमन और लीबिया सहित अन्य उत्तर अफ़्रीकी देश हैं.

पैनल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि अधिकाँश प्रवासी अफ़्रीकी और दक्षिण एशियाई देशों से आते हैं, और उन्हें नियमित रूप से कोरोनावायरस फैलाने के लिये बलि का बकरा बनाया जा रहा है. 

पैनल ने साथ ही उन आरोपों को भी रेखांकित किया है जिनके मुताबिक बन्दियों को चिकित्सा उपचार की सुविधा नहीं मिल पाई और जिस वजह से कुछ प्रवासियों की मौत हो गई. 

'स्तब्धकारी फ़ुटेज'

पैनल ने पिछले महीने प्रकाशित एक वीडियो का विशेष रूप से उल्लेख किया जिसमें हज़ारों अफ़्रीकी प्रवासी कामगारों को सऊदी अरब में एक बेहद भीड़-भाड़ भरे और गन्दगी वाले शिविर में रखा गया है, जहाँ सीवेज की गन्दगी फ़र्श पर ही बिखरी है. 

दुनिया अब भी वैश्विक महामारी कोविड-19 के विनाशकारी स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभावों की चपेट में है. इस पृष्ठभूमि में समिति ने आशंका जताई है कि प्रवासी कामगारों के लिये पहले से कहीं ज़्यादा जोखिम है. 

“साफ़ पानी, स्वच्छता, स्वास्थ्य देखभाल तक उनकी पहुँच नहीं है, और स्थानीय बाशिन्दों की तुलना में वे ज़्यादा सम्वेदनशील हालात में हैं.”

यूएन समिति ने इन हालात के मद्देनज़र अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल कार्रवाई करने की अपील की है. 

घर पहुँचाने में मदद

स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने स्थानीय प्रशासनों से पुकार लगाई है कि जो लोग हिरासत में रखे गए हैं उन्हें व्यवस्थित, सुरक्षित और गरिमामय ढँग से उनके देशों तक पहुँचाया जाना चाहिये. 

कोविड-19 महामारी से उपजी स्थिति को ध्यान में रखते हुए समिति ने कहा, “यह पहले से कहीं ज़्यादा अहम है कि इन प्रवासियों के साथ हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन पर तत्काल रोक लगाई जाय.

ये भी पढ़ें - कोविड-19: बन्दियों की सुरक्षा के लिये पुख़्ता स्वास्थ्य उपायों की पुकार 

साथ ही समिति ने कोविड-19 से प्रवासियों के मानवाधिकारों पर हुए असर के सम्बन्ध में एक संयुक्त टिप्पणी की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया है.  

इस टिप्पणी में सरकारों से सभी प्रवासियों के मानवाधिकारों का सख़्ती से पालन किये जाने और बिना देरी के सहयोग का आहवान किया गया है ताकि फँसे हुए प्रवासियों को व्यवस्थित, सुरक्षित और गरिमामय तरीक़े से उनके मूल देशों को वापिस भेजा जा सके.   

यह समिति ‘सभी प्रवासी कामगारों और उनके परिजनों के अधिकारों के संरक्षण पर अन्तरराष्ट्रीय सन्धि’ ( International Convention on the Protection of the Rights of All Migrant Workers and Members of Their Families) के सदस्य देशों द्वारा अनुपालन पर नज़र रखती है.  

यूएन समिति 14 सदस्यों से मिलकर बनी है जो स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञ हैं, जिन्हें दुनिया भर से चुना जाता है, और ये अपनी निजी हैसियत में ज़िम्मेदारी निभाते हैं.